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12 वर्ष पहले 26 साधु-संतों के साथ बालोद पहुंचे थे आचार्य विद्यासागर, स्वागत के लिए उमड़ पड़ा था शहर, स्कूल में गुजारी थी रात

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बालोद (विश्व परिवार)। प्रसिद्ध दिगंबर जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज रविवार को ब्रम्हलीन हो गए। बालोद से भी उनकी यादें जुड़ी हुई हैं। 12 वर्ष पूर्व पांच फरवरी 2012 को विद्यासागर महाराज 26 साधु-संतों के साथ जिले के प्रवास पर आए थे। उन्होंने ग्राम जमरुवा व चिल्हाटी के स्कूल में रात गुजारी थी। फिर वे रामटेक के लिए रवाना हुए थे।

वर्ष 2012 में आचार्य विद्यासागर ने बालोद जिला मुख्यालय में करीबन छह घंटा का समय व्यतीत किया था। तांदुला नदी के पुल पर जैन समाज के लोगों के साथ-साथ शहरवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया था। तांदुला नदी पुल से उनके स्वागत में शोभायात्रा निकाली गई। बाजे-गाजे के साथ दल्ली चौक होते हुए उन्हें महावीर भवन लाया गया, जहां बारी-बारी से सभी ने विद्यासागर जी से आशीर्वाद लिया। इसके बाद महाराज ने आहारचर्या और साधु-संतों ने सामयिक की। महावीर स्कूल में उन्होंने समाज के लोगों और श्रद्धालुओं को आशीर्वचन प्रदान किया। नगर के शंकर लाल श्रीमाल की तरफ से महावीर भवन में भोजन की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान आचार्य विद्यासागर नगर के रहने वाले बाबी जैन के घर भी पहुंचे। घर की महिलाओं ने उन्हें आहारचर्या करवाई।

आचार्य जी ने चौके में किया था आहार

बाबी जैन ने नईदुनिया को जानकारी देते हुए बताया कि जैसे ही उन्हें आचार्य श्री विद्यासागर जी के देह त्याग की सूचना मिली, वैसे ही वे अपने परिवार के साथ चंद्रगिरी के लिए निकल गए और अंतिम यात्रा में शामिल हुए। बाबी जैन ने बताया कि पांच फरवरी 2012 को आचार्य हमारे घर आए थे। हमारे चौके में उनका आहार हुआ था। यह गोचरी नाम की क्रिया होती है।

रविवार को किया गया अंतिम संस्कार

उल्लेखनीय हो कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने शनिवार-रविवार की रात करीबन ढाई बजे डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में देह त्याग दिया। रविवार दोपहर दो बजे विधि विधान से चंद्रगिरि परिक्षेत्र में ही चंदन की लकड़ी, नारियल व शुद्ध घी का उपयोग कर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

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