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अतिशय क्षेत्र नांदणी में आचार्य विशुद्धसागरजी महाराज ससंघ का 2024 साल का चातुर्मास और उन्हीं के मंगल सानिध्य में 2025 साल का भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव

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श्री वृषभाचल अतिशय क्षेत्र नांदणी में आचार्य विशुद्धसागरजी महाराज ससंघ और स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक महास्वामी जी
नांदणी(विश्व परिवार)
l पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापूर जिले के हातकणंगले तहसिल में नांदणी यह गांव है l कोल्हापूर से पूर्वे की ओर 35 कि.मी.,बेलगांव से उत्तर की ओर 100 कि.मी.,सांगली से 15 कि.मी.और जयसिंगपूर से दक्षिण की ओर 7 कि.मी.की दुरी पर नांदणी तीर्थक्षेत्र स्थित है l अनेक ऋषी मुनीयों के तपस्या से पावन तथा प्राचीन मूर्ती के लिए सु-विख्यात यह प्राचीन तीर्थक्षेत्र अनेक लोगों का श्रद्धास्थान है l
स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ नांदणी -नांदणी ग्राम जैनो के लिए बहोतही पूज्य माना जाता है।इसका पुराना नाम नन्दापुर था।दुसरा नाम नन्दीग्राम था। प्राचीन धरोहर की समृद्धी इसमे झलकती है ।
जैन धर्म के विकास और संरक्षण के हेतू भारतवर्ष में भट्टारक पीठोंकी निर्मिती हुई है l इन सभी भट्टारक पीठों में स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी मठसंस्थान नांदणी,करवीर (कोल्हापूर) यह आद्य पीठ है l प्राचीन भारत के दिल्ली, पिंनगोंडी, जिनकंची और करवीर (नांदणी) ऐसी जिनसेन मठ की परंपरा चलती आ रही है करवीर मठ संस्थांन के कोल्हापूर,नांदणी,तेरदाळ और बेलगांव यह चार शाखापीठ है; इसलिये जिनसेन मठ की वास्तू अतिभव्य है नांदणी स्थित मठ का इतिहास 1300 वर्ष पूराना है।
नांदणी मठ के आधीपत्य में दक्षिण महाराष्ट्र और उत्तर कर्नाटक के 743 गांव समाविष्ट है l इन सभी गांव में जैन धर्म के सभी धार्मिक महोत्सव,विधिविधान,पंचकल्याणक,धर्म का प्रसार एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामीजी के आदेश से और आशीर्वाद से सानंद संपन्न होते है इस मठ के द्वारा नूतन जिनालयों की निर्मिती,प्राचीन और पुराणे जिनालयों का जीर्णोद्धार,धार्मिक साहित्य की निर्मिती का कार्य,धर्मप्रसार एवं समस्याओंका समाधान प.पू.जगद्गुरु स्वस्तिश्री जिनसेन स्वामीजी के मार्गदर्शन से किया जाता है नांदणी के मठ द्वारा सार्वधर्म इस मासिक पत्रिका के माध्यम से जैन तत्त्वज्ञान का प्रचार -प्रसार कार्य होता है।
स्वस्तिश्री भट्टारक पट्टाचार्य जिनसेन महास्वामीजी के अधिनेतृत्व में अतिप्राचीन धर्मपीठ नांदणी में आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ का 35 वा चातुर्मास संपन्न हो रहा है।
पर्युषण पर्व काल में राष्ट्रीय ब्रम्हचारी युवा शिबीर संपन्न होनेवाला है l इस चातुर्मास के दौरान विद्वत सांगोष्टी, भट्टारक संमेलन, युवा संमेलन,स्वतंत्रता दिन,रक्षाबंधन पर्व,प्रथमाचार्य शांतिसागर महाराज जी पुण्यतिथी,आचार्य विशुद्ध सागरजी महाराज क्षुल्लक दिक्षा दिवस, मुनी श्री सुव्रत सागरजी मुनी दिक्षा दिवस, शरद पूर्णिमा महोत्सव,8 मुनीराजोंका प्रथम मुनी दिक्षा दिवस,वृक्षारोपण,पाठशाला अध्यापक प्रबोधन कार्यक्रम,जैन इतिहास संमेलन,जैन साहित्य संमेलन,पंडित संमेलन,पाठशाला बालक संमेलन और महिला संमेलन आदी विविध कार्यक्रम संपन्न होंगे।
14 ऑगस्ट 2024 को दोपहर 1 बजे वृषभाचल अतिशय क्षेत्र,नांदणी में 2025 साल में होनेवाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का यजमान पद सवाल का कार्यक्रम होगा।
श्री वृषभाचल अतिशय क्षेत्र-पहले निशिदिका के नाम प्रसिद्ध क्षेत्र में 29 मई 1987 को 31 फूट उत्तुंग भगवान आदिनाथ (वृषभनाथ ) की भव्य -दिव्य खडगासन प्रतिमा का निर्माण करके 22 मई से 29 मई 1988 तक समाधीस्थ (नांद्रेकर) महास्वामीजी के अधिनेतृत्व में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ तबसे यह क्षेत्र ‘वृषभाचल’ तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हुआ l हरसाल भ. आदिनाथ निर्वाण के दिन महाशिवरात्री को यहाँ पर महामस्तकाभिषेक संपन्न होता है l
आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज जी के सानिध्यामध्ये भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव-दिनांक 1 जनवरी 2025 से 9 जनवरी 2025 तक नांदणी में भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज जी के सानिध्य में और स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक स्वामीजी के अधिनेतृत्व में संपन्न होगा l वृषभाचल पर भगवान आदिनाथ बृहन्मुर्ती के बाजु में भ. मुनीसुव्रतनाथ तीर्थंकरा की 21 फूट की पद्मासन प्रतिमा का पंचकल्याणक ,नांदणी मठ में भ. आदिनाथ बस्ती के शिखर में नूतन मूर्ती का,गांव में भ.पार्श्वनाथ मंदिर के शिखर में भ.पार्श्वनाथ की प्रतिमा और स्वस्तिश्री जिनसेन मठ में मुख्य मंदिर के मुलानायक भ.आदिनाथ मंदिर के बाजू में (दक्षिण दिशा को )’9 तीर्थंकर मंदिर’का निर्माण हुआ है उस 9 प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठापणा इस पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव में संपन्न होगा।
वृषभाचल पर (निशिदिका में ) चक्रेश्वरी देवी ( भ. वृषभनाथ जी की शासनदेवी यक्षिणी) और क्षेत्रपालजी की नूतन स्थापना होगी l यह चक्रेश्वरी मंदिर बहोतही सुंदर बन रहा है l वृषभाचलापर 24 टोक पर सम्मेदशिखरजी की प्रतिकृती बनी है l उसीके 24 वे टोक पर पावपुरी’ क्षेत्र का थोडे विकसितरूप देकर नूतन पावपुरी की रचना होगी।
इस पुरे ऐतिहासिक चौमासा और भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव और महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम का प्रभावशाली अधिनेतृत्व स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामीजी करेंगे उनका उत्साह जैन समाज के युवाओंको प्रेरणादायक है।

 

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