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27 जून को संत शिरोमणि आचार्य गुरूदेव श्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज का अबतरण दिवस से होगी वृक्षारोपण की शुरुआत

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विदिशा(विश्व परिवार) | “ज्ञान के मोती जन-जन में बिखेरने वाले, पल भर में शंकाओं के समाधान देने तथा पर्यावरण एवं संस्कृति संरक्षण” के प्रखर बक्ता मुनि श्री ने श्री प्रमाण सागर महाराज का 57 बां अवतरण दिवस है। मुनि श्री का दीक्षा पूर्व गृहस्थ नाम नवीन कुमार जैन था आपका जन्म 27 जून, 1967 को झारखण्ड के हज़ारीबाग में श्री सुरेंद्र कुमार जैन और श्रीमती सोहनी देवी जैन के घर में हुआ। मुनि श्री को वैराग्य नहीं हुआ था बल्कि गुरुदेव की एक झलक ने उनके जीवन का लक्ष्य ही बदल दिया। 4 मार्च 1984 कोछत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में मुनि श्री को आचार्य श्री से ब्रह्मचर्य व्रत मिला, आपकी धार्मिक शिक्षा पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में हुई।आपकी पढ़ाई-लिखाई में इतनी अधिक रूचि थी कि आप तर्क-वितर्क बहुत किया करते थे और तथ्यों के साथ प्रमाण भी मांगा करते थे इसलिए आचार्य श्री ने उनका नाम शंका के सागर कर दिया और दीक्षा नाम भी उनको “प्रमाण सागर'” दिया।आपकी पहले क्षुल्लक दीक्षा, फिर ऐलक दीक्षा तथा सोनागिर तीर्थ क्षेत्र पर 31 मार्च 1988 को महावीर जयंती पर मुनि दीक्षा संपन्न हुई,मुनि श्री ने जैन सिद्धांतों में छुपे वैज्ञानिक तथ्यों को अपनी सरल वाणी, प्रवचनों एवं साहित्य ज्ञान से समस्त दुनिया के जीवों का मार्ग-दर्शन करते हुये संदेश दिये। आपका विश्व भर में शंकासमाधान कार्यक्रम जो कि पारस चैनल,जिनवाणी चैनल एवं प्रमाणिक एप के माध्यम से संपूर्ण विश्व के136 देश के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करता है तथा उनकी समस्याओं में बैज्ञानिक तरीके से समाधान निकलता है। मुनि श्री ने अपने 36 वर्ष के जीवन काल में सामाजिक एवं जीव दया के क्षेत्र में महती योगदान दिया है,मुनि श्री के ह्रदय में हर वर्ग, जाति-समुदाय के लोगों के लिए आपार वात्सल्य और करुणाभाव है। महाराज जी की पावन प्रेरणा से सम्मेद शिखरजी की तलहटी में गरीब, निर्धन, बेसहारा और अशिक्षित लोगों की सहायता के लिए सेवायतन बनाया गया, जिसका उद्देश्य लोगों को स्वस्थ, शिक्षित एवं संस्कारी बनाना है। जो कि लगातार अपनी सेवाएं दे रहा है। आपके माध्यम से दयोदय महासंघ का गठन हुआ जो कि संपूर्ण भारत में 150 से अधिक गौ शालाओंं का संचालन कर लाखों पशुओं के प्राणों की रक्षा कर रहा है। आप हिंदी, संस्कृत, प्राकृत और अंग्रेजीभाषा के ज्ञाता हैं,और अब तक 30 से ज्यादा जैन ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। जैसे- जैन धर्म और दर्शन, जैन तत्व विद्या, सुखी जीवन की राह, चार बातें, भावना योग, मर्म जीवन का, दिव्य जीवन का द्वार, लक्ष्य जीवन का, घर को कैसे स्वर्ग बनाएं आदि, श्री सम्मेदशिखर में बनने बाला गुणायतन जैन सिद्धान्तों की प्रयोगशाला बनकर मानवमात्र के आत्मविकास का दिव्य द्वार सिद्ध होगा। मुनि श्री की अनूठी एवं आधुनिक देन ‘भावना योग’ जो कि हमारे तन को स्वस्थ, मन को मस्त और आत्मा को पवित्र बनाने का अभूतपूर्व प्रयोग है। महाराज श्री देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी उतने ही विख्यात है। 2021 में हुए ऑनलाइन संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व धर्म की संसद(Parliament Of World Religion) में महाराज श्री ने भारत से जैन धर्म का प्रतिनिधित्व किया जिससे पूरा जैन समाज गौरवान्वित हुआ। इसी वर्ष ऋषिकुल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित वेबीनार में पर्यावरण एवं संस्कृति संरक्षण पर मुनि श्री ने अपने विचार प्रकट कर अनेक देशों के श्रोताओं को लाभान्वित किया है।

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