बिलासपुर(विश्व परिवार)– घोंघा बाबा मंदिर परिसर स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर मे श्री श्याम फागुन महोत्सव में भक्ति की बयार बह रही है। मंगलवार को श्री श्याम प्रभु की संगीत मय कथा सुनाई गई। भक्तों ने बाबा का 751 इत्र की शीशियों और पश्चिम बंगाल के सुगंधित फूलों से शृंगार किया गया। उत्सव के प्रारंभ के पूर्व अध्यक्ष मंगत राय अग्रवाल व सदस्यों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। व्यास पीठ पर विराजमान पंडित पलाश शर्मा द्वारा मधुर गायन के साथ बाबा श्याम की कथा का सुंदर वर्णन किया गया।
भक्तों ने भावविभोर होकर कथा श्रवण किया। उत्सव के प्रथम दिवस मे बाबा श्याम जी का मनमोहक शृंगार किया गया। कोलकाता के पुष्पों से प्रभु का शृंगार किया गया। विशेष रूप से आज बाबा श्याम जी को 751 शीशी इत्र की माला पहनाई गई। प्रभु के नयनाभिराम दर्शन कर भक्त आनंदित हो उठे। कथा उपरांत प्रभु की संध्या आरती करके खजाना बधाई और प्रसाद वितरण किया गया। उत्सव का दूसरा दिवस 20 मार्च को विविध आयोजन होगा। इसमें निशान यात्रा, भजन संध्या, होली उत्सव, इत्र सेवा राजसी शृंगार किया जाएगा। बता दें कि इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे। मंदिर प्रांगण में चारों ओर संगीतमय मंगल पाठ गूंज रहा था।
खाटू श्याम बाबा से जुड़ी पौराणिक कथा
बताया गया कि बाबा खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था। वे भीम और हिडम्बा पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। उन्हें भगवान कृष्ण से वरदान प्राप्त था कि कलयुग में उन्हें श्याम नाम से पूजा जाएगा। दरअसल, बर्बरीक काफी बलशाली थे और वे महाभारत के युद्ध में जिस भी तरफ से लड़ते जीत उन्हीं की होती। ऐसे में भगवान कृष्ण ने उनसे उनका शीश मांग लिया। तब बर्बरीक ने अपना शीश काट कृष्ण के चरणों में रख दिया। भगवान कृष्ण बर्बरीक के बलिदान से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे ही नाम से पूजे जाओगे और जो तुम्हारी शरण में आकर सच्चे मन से कुछ भी मांगेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी। वहीं कहते हैं कि वरदान के बाद बाबा श्याम का शीश राजस्थान के खाटू नाम के स्थान पर दफनाया गया जो कि राजस्थान के सीकर जिले में है। इसी वजह से आगे चलकर बाबा श्याम को खाटू श्याम के नाम से जाना जाने लगा।