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छत्तीसगढ़ में बीजेपी से 3 नए चेहरे …. 8 में मंत्री, सांसद सहित 5 पूर्व विधायक खड़े … जानिए कहां कमजोर, कहां भारी पड़े

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रायपुर(विश्व परिवार) विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित भाजपा का दावा है कि 11 की 11 सीटें पार्टी जीतेगी. हालांकि अभी तक कभी ऐसा नहीं हुआ जब भाजपा 11 की 11 सीटों पर चुनाव जीत पाई हो. हां ये जरूर है कि लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ भाजपा का गढ़ बन गया है. राज्य बनने के बाद हुए बीते 4 चुनावों में भाजपा एक तरफा चुनाव जीत रही है. कई सीटें तो ऐसी हैं जहां कांग्रेस का खाता दशकों से नहीं खुल रहा है. जैसे रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, कांकेर जैसी सीट. इसके साथ ही सरगुजा, रायगढ़, राजनांदगांव , महासमुंद और जांजगीर जैसी सीटें भी भाजपा की कब्जे वाली सीट बन चुकी है. बस्तर और कोरबा ही कांग्रेस 2019 के चुनाव में जीत पाने में सफल हो पाई थी. अब फिर से उसी सवाल पर आइए कि क्या इस बार भाजपा 11 में 11 सीटें जीत पाएगी ? क्या भाजपा के 11 खिलाड़ी सफल हो पाएंगे ? आइए लोकसभा क्षेत्रों के हिसाब से जानते हैं भाजपा प्रत्याशी कहां कमजोर हैं ? और कहां भारी ?

रायपुर लोकसभा- बृृजमोहन अग्रवाल, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- छत्तीसगढ़ भाजपा में सबसे वरिष्ठ और ताकतवर नेता हैं. 4 दशक से सक्रिय राजनीति में हैं. लगातार 8 बार के विधायक हैं. लोकसभा चुनाव पहली बार लड़ रहे हैं, लेकिन 7 लोकसभा चुनावों के संचालक रहे हैं. प्रदेश भर में समर्थकों की मजबूत टीम है. राजनीति के साथ सामजाकि क्षेत्र में सबसे सक्रिय नेता हैं. आर्थिक रूप से समृद्ध परिवार से हैं. राज्य से लेकर केंद्र तक चिर-परिचित चेहरा. अन्य राजनीतिक दलों के साथ भी व्यक्तिगत तौर पर बेहतर संबंध. लोकसभा में 9 विधानसभा की 8 सीटों में भाजपा काबिज होना. 1996 से लगातार भाजपा का कब्जा. मोदी मैजिक का प्रभाव |

कमजोर पक्ष : बृजमोहन अग्रवाल कहीं से भी कमजोर नजर नहीं आते. सिवाय इस चर्चा को छोड़कर कि वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे |

दुर्ग लोकसभा- विजय बघेल, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- मौजूदा सांसद विजय बघेल मोदी टीम के सबसे विश्वनीय चेहरा बन चुके हैं. केंद्रीय नेतृत्व ने दूसरी बार टिकट देकर बड़ा भरोसा जताया है. प्रदेश में एक बड़े ओबीसी(कुर्मी समाज) से नेता के रूप में नाम. 2 दशक से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में हैं. विधायक और सांसद रहे हैं. भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़ने से प्रदेश भर में चिर-परिचित चेहरा. सांसद रहने के साथ दुर्ग लोकसभा के सभी क्षेत्रों तक पहुँच. 1996 से भाजपा का गढ़. हिंदुत्व के मुद्दे का असर. लोकसभा में 9 विधानसभा की 7 सीटों में भाजपा का काबिज होना. मोदी मैजिक का प्रभाव |

कमजोर पक्ष- बतौर सांसद कोई बड़ी उपलब्धि नहीं. कई क्षेत्रों में नाराजगी. मजबूत वोट बैंक वाले साहू समाज और नए चेहरे के कांग्रेस प्रत्याशी से मुकाबला |

राजनांदगांव लोकसभा- संतोष पाण्डेय, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- संघ पृष्ठभूमि से आने वाले संतोष पाण्डेय बेदाग छवि के हिंदूवादी नेता. संघ की पहली पसंद और केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा. भाजपा के सभी गुटों में सर्वमान्य. संगठन के नेताओं के साथ बेहतर तालमेल. 3 दशक से सक्रिय राजनीति में. सांसद रहने के साथ पंडरिया से मानपुर तक पहुँच. हिंदुत्व के मुद्दे का प्रभावशील होना. मोदी मैजिक का प्रभाव |

कमजोर पक्ष- बतौर सांसद कोई बड़ी उपलब्धि नहीं. कई क्षेत्रों में नाराजगी. लोकसभा में 8 विधानसभा की 3 सीटों में सिर्फ में भाजपा का काबिज होना. मुकाबले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की किसान नेता वाली छवि |

कांकेर लोकसभा- भोजराज नाग, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- भोजराज नाग आदिवासी समाज में कट्टर हिंदुत्व छवि के आक्रमक शैली के लोकप्रिय नेता हैं. संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं. 3 दशक से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में हैं. ग्राम, जनपद और जिला पंचायत के प्रतिनिधि रहे. 2014 से 2018 तक विधायक भी रहे. क्षेत्र में बैगा के रूप में गांव-गांव प्रसिद्ध हैं. धर्मांतरण के मुद्दे मुखर-प्रखर आंदोलनकारी नेता के रूप में चर्चित हैं. क्षेत्र में मोदी मैजिक का प्रभाव |

कमजोर पक्ष- विवादित बयानों से नाता रहा है. लोकसभा में 8 विधानसभा की 6 सीटों में कांग्रेस का काबिज होना. प्रतिद्ंवदी प्रत्याशी बीरेश का सौम्य और मिलनसार छवि. 2019 में सिर्फ 5 हजार मतों से मिली जीत |

बस्तर लोकसभा- महेश कश्यप, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- महेश कश्यप की पहचान बस्तर में कट्टर हिंदू छवि वाले नेता के रूप में है. धर्मांतरण के विरुद्ध जारी आंदोलन के अग्रणी नेता हैं. पंचायत स्तर की राजनीति से आए हैं. बस्तर संभागीय मुख्यालय से लगे विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत पकड़. सामाजिक रूप से सक्रिय. 3 दशक का राजनीतिक अनुभव. सरपंच संघ के अध्यक्ष रहे. लोकसभा में 8 विधानसभा की 5 सीटों पर भाजपा का काबिज होना. मोदी मैजिक का प्रभाव. धर्मांतरण और हिंदुत्व का मुद्दा |

कमजोर पक्ष- घोर नक्सल क्षेत्र में प्रभाव नहीं. दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, अबूझमाड़ जैसे इलाकों में व्यक्तिगत रूप से पकड़ कम. बड़े स्तर पर यह पहला चुनाव |

महासमुंद लोकसभा- रूपकुमारी चौधरी, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- तेज-तर्रार नेता के रूप में क्षेत्र में लोकप्रिय. 2 दशक का राजनीतिक अनुभव. पंचायत स्तर के चुनाव से राजनीति की शुरुआत. 2013 से 18 तक विधायक रहने का लाभ. 18 से 23 तक टिकट नहीं मिलने के बाद क्षेत्र में सक्रिय रहीं. पार्टी संगठन में मजबूत पकड़. सामाजिक रूप से सक्रिय. लोकसभा में विधानसभा की 8 में 4 सीटों पर भाजपा का काबिज होना. कांग्रेस प्रत्याशी का स्थानीय नहीं होना |

कमजोर पक्ष- स्थानीय संगठन के बीच तालमेल में कमी. साहू प्रभावशील क्षेत्र में पकड़ कम होना. कांग्रेस काबिज विधानसभा सीटों में असर कम. जातिगत समीकरण |

रायगढ़ लोकसभा- राधेश्याम राठिया, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- 3 दशक से सक्रिय राजनीति में. पंचायत स्तर की राजनीति में मजबूत पकड़. पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन के कई पदों में पर रहे. पार्टी में सर्वमान्य. सहज-सरल छवि. मुख्यमंत्री साय के पसंद के नेता. मोदी मैजिक का प्रभाव. मुख्यमंत्री साय का गृह क्षेत्र. लोकसभा में विधानसभा की 8 में 5 सीटों में भाजपा का काबिज होना.

कमजोर पक्ष- कभी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़े. जशपुर और सारंगगढ़ क्षेत्र में संपर्क कम होना |

जांजगीर लोकसभा- कमलेश जांगड़े, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- करीब 2 दशक से सक्रिय राजनीति में. एबीवीपी से राजनीतिक शुरुआत. अविभाजित जांजगीर जिले में सर्वश्रेष्ठ सरपंच रहीं. पंचायत स्तर पर मजबूत पकड़. 2019 में भी प्रबल दावेदार रहीं. समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय. मिलनसार और साफ छवि. कांग्रेस प्रत्याशी का स्थानीय नहीं होना. कांग्रेस प्रत्याशी का आरोपों से घिरा होना |

कमजोर पक्ष- सक्ति तक सीमित, समूचे क्षेत्र में प्रभाव नहीं, जनता के बीच चर्चित नाम नहीं, लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में सभी में कांग्रेस का काबिज होना |

कोरबा लोकसभा- सरोज पाण्डेय, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- राष्ट्रीय स्तर की नेता. पार्टी संगठन में मजबूत पकड़. छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत. 3 दशक से सक्रिय राजनीति में. महापौर, विधायक और सांसद रहने का अनुभव. तेज-तर्रार नेता की छवि. देश भर में चर्चित चेहरा. पहचान का संकट नहीं. लोकसभा की 8 विधानसभा की 6 सीटों में भाजपा का काबिज होना. मोदी मैजिक का प्रभाव.

कमजोर पक्ष- बाहरी प्रत्याशी का आरोप, नई सीट से चुनाव. स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना. महंत का प्रभावशील क्षेत्र होना |

बिलासपुर लोकसभा- तोखन साहू, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- सहज-सरल नेता की छवि. पंच बनने के साथ से राजनीतिक जीवन की शुरुआत. 3 दशक से सक्रिय राजनीति में. जनपद सदस्य, अध्यक्ष और लोरमी विधायक रहे. साहू समाज के बड़े नेता. जातिगत समीकरण का लाभ. लोकसभा में 1996 से लगातार भाजपा की जीत. उपमुख्यमंत्री अरुण साव का प्रभाव. संघ का प्रभाव क्षेत्र. लोकसभा में 8 विधानसभा की 6 सीटों में भाजपा काबिज होना. मोदी मैजिक |

कमजोर पक्ष- तोखन साहू का वैसे तो कोई बड़ा कमजोर पक्ष नहीं है. सिवाय इसके कि वे 2018 विधानसभा चुनाव में हार के बाद लोरमी तक सीमित रहे |

सरगुजा लोकसभा- चिंतामणि महराज, भाजपा प्रत्याशी

मजबूत पक्ष- चिंतामणि महराज संत गहिरा गुरु के बेटे हैं. संत समाज में सर्वमान्य नाम. 2 दशक से सक्रिय राजनीति में. भाजपा से राजनीतिक जीवन की शुरुआत. कांग्रेस से दो बार विधायक रहे. 2023 विधानसभा में टिकट कटने के बाद कांग्रेस छोड़ भाजपा में वापसी. राष्ट्रीय नेतृत्व से सीधा संपर्क. क्षेत्र में परिचित और चर्चित चेहरा. लोकसभा में 8 विधानसभा की सभी सीटों पर भाजपा का काबिज होना. हिंदुत्व छवि. धर्मांतरण के मुद्दे पर मुखर. मोदी मैजिक का प्रभाव. मुख्यमंत्री साय का साथ |

कमजोर पक्ष- कई तरह के विवादों से घिरे रहे. सरगुजा राजपरिवार से मनमुटाव. दल-बदल का आरोप. भाजपा के स्थानीय नेताओं के बीच समन्वय में कमी |

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