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लोकसभा चुनाव: पहले चरण के चक्रव्यूह को भेद कर ही हासिल करनी होगी सत्ता, जानें किस राज्य में क्या गणित

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(विश्व परिवार)-लोकसभा चुनाव के पहले चरण की 102 सीटों पर चुनाव प्रचार बुधवार शाम थम जाएगा और वोटिंग शुक्रवार को है. दिल्ली की सत्ता फतह करने के लिए पहले चरण के सियासी चक्रव्यूह को भेदना बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के लिए चुनौती है. यह चरण 2024 चुनाव की दिशा तय करने में अहम भूमिका अदा करेगा, क्योंकि बीजेपी के लिए अपनी सीटें बचाए रखने की चुनौती होगी तो कांग्रेस पर अपनी सीटें बढ़ाने का दारोदमार टिका हुआ है. इतना ही नहीं इंडिया गठबंधन के अहम हिस्सा डीएमके की साख भी दांव पर लगी है |

राजस्थान और उत्तराखंड में बीजेपी को लगातार दो बार 2014 और 2019 में शत-प्रतिशत सीटें मिली हैं. बीजेपी इस बार के चुनाव में भी फिर इसे दोहराने की कोशिश में है. पूर्वोत्तर भारत में भाजपा और दक्षिण भारत में विपक्ष का दबदबा था. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए सीटों की संख्या बढ़ाने की चुनौती रहेगी |

पहले चरण में कहां-कहां वोटिंग

लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की जिन 21 राज्यों की 102 सीटों पर शुक्रवार को वोटिंग है. पहले चरण में अरुणाचल की 2, बिहार की 4, असम की 4, छत्तीसगढ़ की 1, एमपी की 6, महाराष्ट्र की 5, मणिपुर की 2, मेघालय की 2, मिजोरम की 1,नागालैंड की 1, राजस्थान की 12, सिक्किम की एक, तमिलनाडु की 39, त्रिपुरा की एक, उत्तर प्रदेश की 8, उत्तराखंड की 5, पश्चिम बंगाल की 3, अंडमान एंड निकोबार की 1, जम्मू-कश्मीर की 1, लक्षद्वीप की 1 और पुडुचेरी की 1 लोकसभा सीट पर मतदान है. इसके लिए बुधवार को इन सीटों पर प्रचार थाम जाएगा |

किसकी साख कितनी दांव पर लगी

पहले चरण की जिन 102 लोकसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उस पर कुल 1625 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसमें 134 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं तो 1491 पुरुष कैंडिडेट हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो बीजेपी ने 102 सीटों में से 40 सीटों पर कब्जा जमाया था और कांग्रेस को 15 सीटें ही मिल सकी थीं जबकि डीएमके को 24 सीटें मिली थीं. इसके अलावा बाकी सीटें अन्य दलों को मिली थीं. 27 सीटें ऐसी थीं जहां पर हार-जीत का अंतर 10 फीसदी से भी कम वोटों का था. इसके अलावा 26 सीटों पर 10-20 फीसदी तो 29 सीटों पर 20-30 फीसदी था. इसके अलावा 15 सीटों पर जो जीत का अंतर था वह 30 से 40 प्रतिशत था. इसके अलावा 5 सीटों पर 40 फीसदी का अंतर रहा था |

बीजेपी के लिए पहला फेज अहम

पहला चरण का चुनाव बीजेपी के लिए काफी अहम माना जा रहा है. बीजेपी उत्तराखंड की सभी पांचों सीटें जीतने में कामयाब रही थी. राजस्थान की जिन 12 सीटों पर शुक्रवार को वोटिंग है, उसमें से 11 सीट पर बीजेपी का कब्जा है और एक सीट आरएलपी को मिली थी. इस तरह बीजेपी को इन दोनों राज्यों के साथ-साथ यूपी में भी अपनी सीटें बढ़ाने की चुनौती होगी. उत्तर प्रदेश में पहले चरण की आठ सीटों पर चुनाव है. 2019 में बीजेपी को आठ सीटों में से उसे पांच पर हार का सामना करना पड़ा था |

2019 में बसपा और सपा के गठबंधन का सबसे अधिक असर यहीं देखने को मिला था, लेकिन इस बार समीकरण बदल चुके हैं. पिछली बार सपा के साथ रहने वाला आरएलडी इस बार बीजेपी के साथ है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी समीकरण 2019 से अलग हैं, लेकिन सपा-बसपा ने जिस तरह का तानाबाना बुना है, उससे बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती है. क्षत्रीय समुदाय की नाराजगी अगर ऐसी ही बरकरार रही है तो बीजेपी के लिए अपनी सीटें बचाए रखना मुश्किल होगा |

महाराष्ट्र-एमपी-पूर्वोत्तर में घमासान

महाराष्ट्र की पांच, मध्य प्रदेश की छह और पूर्वोत्तर भारत की 13 सीटों पर भाजपा को अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती होगी. महाराष्ट्र की जिन पांच सीटों पर शुक्रवार को मतदान हैं, वहां बीजेपी चार सीटों पर 2019 में जीती थी. शिवसेना और एनसीपी में टूट और अजित पवार और एकनाथ शिंदे के बीजेपी के पाले में जाने, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के कांग्रेस से साथ रहने के बाद सियासी समीकरण उलझा है. महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है. पहले चरण में ही साफ हो जाएगा कि किसका पलड़ा भारी है |

वहीं, मध्य प्रदेश की जिन छह लोकसभा सीटों पर चुनाव है, उसमें पांच सीट पर बीजेपी का कब्जा है तो कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा जीत पाई थी. इस बार बीजेपी छिंदवाड़ा सीट पर कब्जा जमाना चाहती है. कमल नाथ के करीबियों के पाला बदलकर भाजपा में आने से इस बार कांग्रेस के लिए छिंदवाड़ा में मुकाबला उतना आसान नहीं रहा है. साथ ही पहले चरण में पूर्वोत्तर के सात राज्यों की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव है |

अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम में वोटिंग होगी. इसके अलावा असम की चार लोकसभा सीट पर पहले ही चरण में चुनाव है और त्रिपुरा की एक सीट पर भी पहले चरण में चुनाव है, जहां पर बीजेपी का कब्जा है. पूर्वोत्तर भारत में कांग्रेस को 2019 में केवल चार सीटें मिली थीं. अब दोनों खेमों के बीच अपनी-अपनी सीटें बढ़ाने की चुनौती है. असम में परिसीमन के बाद सभी सीटों के चुनावी समीकरण बदल गए हैं और पुरानी की जगह कई नई सीटें बन गई हैं |

दक्षिण भारत की 42 सीट पर संग्राम

दक्षिण भारत के चार राज्यों की 42 सीटों पर पहले चरण के लिए शुक्रवार को वोटिंग है. इसमें तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीट शामिल हैं तो केंद्र शासित प्रदेश में लक्ष्यद्वीप व अंडमान निकोबार की एक-एक सीट है. इसके अलावा एक सीट पुडुचेरी की है. 2019 के लोकसभा चुनाव में डीएमके ने 39 में से 24 सीटें जीती थीं, जबकि पुडुचेरी मिलाकर कांग्रेस नौ सीटें जीती थी, सीपीआई, सीपीएम ने दो-दो, वीसीके और आईयूएमल ने एक-एक और एआईडीएमके ने एक सीट जीती थी |

पुडुचेरी सीट कांग्रेस के पास है, पिछली बार कांग्रेस के वी वैथिलिंगम ने जीती थी. लक्षद्वीप और अंडमान की एक-एक सीट पर पहले चरण में ही चुनाव है. लक्षद्वीप में एनसीपी के मोहम्मद फैसल जीते थे जबकि अंडमान निकोबार में कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन यहां पिछले कुछ बार से कांग्रेस और बीजेपी बारी-बार से जीतते रहे हैं. पिछली बार तमिलनाडु में जीरो पर आउट हुई बीजेपी इस बार बेहतर प्रदर्शन के लिए पूरा जोर लगा रही है |

बीजेपी के तमिलनाडु प्रदेशाध्यक्ष अन्नामलाई की मेहनत, छोटे-छोटे नौ दलों से गठबंधन के साथ ही कच्चातिवू जैसे मछुआरों के जीवनयापन से जुड़े मुद्दे के माध्यम से बीजेपी ग्राफ बढ़ाने की कोशिश कर रही है. खुद पीएम मोदी राज्य में बीजेपी की बाहरी पार्टी की छवि को तोड़कर तमिल संस्कृति व अस्मिता के रक्षक के रूप में आम जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, एआइएडीएमके से कमी खल रही है. एआइएडीएमके के अलग होने से अधिकांश सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है, जिसका फायदा डीएमके और कांग्रेस गठबंधन को हो सकता है |

पश्चिम बंगाल में कौन पड़े भारी

पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से तीन सीट पर पहले चरण में चुनाव है. बंगाल की कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी सीट है. 2019 में बीजेपी ने बंगाल की इन तीनों सीट पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी के लिए पहले चरण में अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है तो विपक्षी दल उसे हथियाने की कोशिश में हैं. बीजेपी और टीएमसी अलग-अलग किस्मत आजमा रही हैं तो लेफ्ट और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा पहले चरण में लक्षद्वीव, जम्मू-कश्मीर और अंडमान और निकोबार की एक-एक सीटों पर 19 अप्रैल को यानि शुक्रवार को मतदान होना है. ऐसे में देखना है कि पहले चरण की 102 सीटों पर होने वाले मुकाबले में कौन किस पर भारी पड़ता है?

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