Home राजस्थान सम्यक दर्शन, ज्ञान चारित्र, अहिंसा तप संयम से मोक्ष की राह मिलती...

सम्यक दर्शन, ज्ञान चारित्र, अहिंसा तप संयम से मोक्ष की राह मिलती हैं-आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

55
0

बांसवाड़ा(विश्व परिवार)– भगवान आदिनाथ से लेकर महावीर स्वामी अंतिम तीर्थंकर हुए हैं।सभी ने धर्म देशना दी। संसार में सब प्राणी रोगी हैं संसारी प्राणी विषय कषाय राग द्वेष के कारण रोगी है और इस रोग को दूर करने के लिए तीर्थंकर भगवान ने अपने देशना में मेडिसिन दवाई धर्म की बतलाई है। धर्म और उसके अंग अर्थात सम्यक दर्शन ,सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र को जो धारण करता है उसका संसार भव रोग दूर होता है यह मंगल देशना प्रथमाचार्य आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज की मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परंपरा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने बांसवाड़ा नगर प्रवेश पर आयोजित धर्म सभा में प्रकट की। आचार्य श्री ने आगे बताया कि बांसवाड़ा के आदिनाथ जिनालय में आचार्य शिवसागर जी के साथ संघ आया था तब हमने भी संघ में प्रवेश किया था ।संघ का बिहार श्री महावीर जी के लिए हुआ तब हमारे दीक्षा के भाव हुए,और आचार्य श्री शिव सागर जी के समक्ष दीक्षा का श्रीफल चढ़ाया सभी साधुओं की सहमति से हमारी दीक्षा की प्रार्थना स्वीकार हुई आचार्य श्री शिव सागर जी की अनायास समाधि होने से संघनायक आचार्य धर्मसागर जी महाराज बने वह वास्तव में धर्म के सागर थे । उनके हाथ से हमारे मस्तक पर दीक्षा के संस्कार से हम मुनि बने। लौकिक शिक्षा विद्यालय से प्राप्त की जाती है किंतु धर्म के क्षेत्र में विद्यालय गुरु होते हैं ,वर्तमान में बच्चों को धर्म सिखाना बहुत जरूरी है धर्म में तर्क काम नहीं करता तर्क से धर्म की उन्नति विकास में बाधा होती है।

उच्च लौकिक शिक्षा के बाद अधिकांश नई पीढ़ी परिवार और समाज से दूर हो रही है न केवल नई पीढ़ी बल्कि पुरानी पीढ़ी भी धर्म में अब रुचि नहीं लेती है। अहिंसा संयम तप धर्म के प्राण है जो भगवान बने हैं उन्होंने भी अहिंसा तप संयम का सहारा लिया केवल ज्ञान के बाद मोक्ष होता है ।संसारी प्राणी दुख को सुख मानता है हमने भी कम उम्र में दीक्षा ली क्योंकि आपको दुखी देखकर हमने दीक्षा ली सुख धर्म से गुरु चरणों में मिलता है सुख का मार्ग धर्मात्मा पुरुषों की संगति से ही मिलता है।

धर्मसभा के पूर्व आचार्य 108 वर्धमान सागर जी महाराज संसघ का भव्य मंगल प्रवेश बाहुबली कॉलोनी मेंप्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्य श्री शांति सागर जी की मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परंपरा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज का बाहुबली कॉलोनी में को प्रातः 8 बजे मंगल प्रवेश हुआ गुरुदेव का मंगल प्रवेश के लिए सभी बांसवाड़ा शहर के श्रावक प्राःत 7:30 बजे राजराजेश्वर कॉलोनी पहुंचे जहां पर मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष सुरेश जी संघवी परिवार द्वारा गुरुदेव का पाद पक्षालन एवं श्री जी के दर्शन करके बाहुबली कालोनी के लिए विहार हुआ सकल दिगंबर जैन समाज बांसवाड़ा द्वारा जगह-जगह रगोली स्वागत द्वार लगाए गए बैंड बैंड बाजे ढोल नगाड़े के साथ आगवानी की जावेगी जुलूस के रूप मे सबसे पहले महिला मण्डल की महिलाए अपने माथे पर कलश लिए, बाहुबली बहू मण्डल की महिलाए नृत्य के माध्यम से सुंदर एवं मनमोहक झलकिया पेश करते हुए नृत्य कर रही थी ओर इसी के मध्य स्थानीय पुरुष सफ़ेद वस्त्रो एवं सभी कॉलोनी के नवयुवक मण्डल अपनी विशेष पोशाखों मे नजर आए| गुरुदेव के स्वागत मे श्रावकों ने स्वागत गेट लगाकर गुरुदेव का पाद प्रक्षालन किया|

गुरुदेव कामर्शियल कॉलोनी मंदिर में भी श्री जी के दर्शन कर जुलूस के साथ भटनागर नर्सिंग होम पर आखिर भारतीय पुलक जन चेतना मंच परिवार वालों ने पूरे संघ की भव्य पुष्प वर्षा एवं पाद पक्षालन किया पूरी शोभायात्रा जैसे ही बाहुबली कॉलोनी के मुख्य द्वार पर पहुची तब समाज के सभी पदाधिकारीयो द्वारा फिर से गुरुवार का पाद प्रक्षालन किया ओर कालोनी मे प्रवेश का न्योता दिया अंत मे जुलूस सुमतिनाथ जीनालय पहुचा जहा श्रीजी के दर्शन के पश्चात आचार्य श्री पाण्डाल में पहुंचें . मंगलाचरण कमलेश जी डगरिया द्वारा किया गया एवं द्वीप पंजलन सभी मंदिर में पधारे हुए अध्यक्षों के द्वारा किया समाज के प्रवक्ता महेंद्र कवालिया ने बताया गुरुदेव का पाद पक्षालन एवं शास्त्र भेट द्वारा समाज के अध्यक्ष महेंद्र वारा परिवार द्वारा किया गया मंच का संचालन महिपाल जी शाह द्वारा किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here