- 17 साल के डी गुकेश ने रचा इतिहास
- विश्वानाथ आंनद ने सीखी चेज की बारीकियां
- डी गुकेश ने तोड़ दिया 40 साल का रिकॉर्ड
(विश्व परिवार)- भारत के 17 साल के युवा शतरंज खिलाडी़ डी गुकेश ने टोरंटो में आयोजित हुए कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट में कमाल का प्रदर्शन कर दिया है। मजह 17 साल के डी गुकेश भारत के ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन के बाद यह टूर्नामेंट जीतने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। उनसे पहले ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन यह कारनामा करने में सफल हो पाए थे और अब डी गुकेश ने भी इस सूची में अपना नाम दर्ज कर लिया है।
अब इसके बाद उनका खिताबी मुकाबला चीन के डिंग लिरेस से वर्ल्ड चैंपियन खिताब के लिए होगा। डी गुकेश की इस ऐतिहासिक जीत के बाद भारत के सभी स्पोर्ट्स फैंस उन्हें काफी बधाइंया दे रहे हैं। आपको बता दें कि 17 साल के डी गुकेश ने फाइनल में अमेरिका के हिकारू नाकामुरा के खिलाफ आखिरी मुकाबला खेला था, जो कि ड्रॉ रहा था। चलिए आपको बताते हैं कि आखिरी डी गुकेश हैं कौन जिन्होंने भारत का परचम शतरंज में लहराया है।
7 साल की उम्र में शुरू किया चेज
डी गुकेश ने का जन्म 7 मई 2006 को चेन्नई में हुआ था। उनका पूरा नाम डोमाराजू गुकेश है। डी मुकेश को बचपन से चेज खेलना काफी पंसद था, जिसके बाद महज 7 साल की उम्र में उन्होंने चेज खेलना शुरू कर दिया था। खास बात यह है कि उन्होंने चेज खेलने की बारीकियां भी विश्वानाथ आंनद से ही ली थी।
जिसके बाद एक कारण यह भी माना जा सकता है कि जिससे चेज की बारीकियां डी गुकेश से सीखी थीं उन्हीं का रिकॉर्ड वह तोड़ पाने में सफल हो पाए थे। बता दें कि डी गुकेश के पिता डॉक्टर हैं तो उनका माता माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। डी गुकेश को चेज काफी पंसद था, जिसका समर्थन उनके माता पिता ने भी किया था और उन्होंने न सिर्फ अपने माता-पिता का बल्कि सभी भारतवासियों का सिर गर्व से ऊंचा किया है।
2014 में विश्वानाथ ने जीता था कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट
डी गुकेश से पहले विश्वानाथ आंनद ने 2014 में कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट को अपने नाम किया था। विश्वानाथन पांच बार वर्ल्ड चैंपियन हैं और अब उनके शिष्य ने भी इस टूर्नामेंट को अपने नाम कर लिया है। इसके साथ ही डी गुकेश ने गैरी कास्पारोवा का 40 साल पुराना रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिया है।
जिसके बाद विश्वानाथ आंनद ने भी डी गुकेश को जीत की बधाई देते हुए कहा कि डी गुकेश आपको यह जीत मुबारक हो आप सबसे कम उम्र में चैलेंजर्स बने हैं। उन्होंने आगे कहा कि आपने जो किया है उसपर मुझे काफी गर्व हैं और न सिर्फ मुझे बल्कि आपके परिवार को भी आप पर काफी गर्व है। उन्होंने यह भी कहा कि आपने काफी कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है आपने काफी मुश्किल परिस्थियों में यह मैच खेला और जीत दर्ज की।