Home EDUCATION राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव, अब फेल होने पर भी छात्र...

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव, अब फेल होने पर भी छात्र दे सकेंगे सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा

67
0
  • तृतीय सेमेस्टर के लिए पिछले सेमेस्टर के 50% विषयों में उत्तीर्ण होना आवश्यक
  • उच्च शिक्षा की तरफ रुझान बढ़ाने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में किया जा रहा बदलाव

 रायपुर(विश्व परिवार)- उच्च शिक्षा की तरफ छात्रों का रुझान बढ़ाने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। प्रथम सेमेस्टर के सभी विषयों में अनुत्तीर्ण होने के बाद भी छात्रों को द्वितीय सेमेस्टर की पढ़ाई करने और परीक्षा देने से नहीं रोका जाएगा, लेकिन तीसरे सेमेस्टर में जाने के लिए छात्रों को कम से कम 50 प्रतिशत अथवा आधे विषय में उत्तीर्ण होना जरूरी है।

वर्तमान में नियम है कि दो से ज्यादा विषयों में अनुत्तीर्ण होने पर उन्हें अगले सेमेस्टर की परीक्षा देने की पात्रता नहीं रहती है। छात्रों का एक वर्ष बर्बाद हो जाता है। नई व्यवस्था लागू होने से छात्रों को लाभ मिलेगा। एनईपी छात्रों के हित में बहुत सारे बदलाव करने जा रही है। प्रदेश में उच्च शिक्षा में एनईपी शिक्षा सत्र 2024-25 से लागू की जाएगी। इसकी घोषणा पहले ही हो चुकी है।

एनईपी लागू करने की दिशा में काम शुरू

उच्च शिक्षा विभाग एनईपी लागू करने की दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है। यूजीसी द्वारा जारी किए गए स्नातक स्तर के करिकुलम एवं क्रेडिट फ्रेमवर्क के आधार पर सेमेस्टर वाइज नया पाठ्यक्रम बनाना शुरू हो गया है। उच्च शिक्षण संचालनालय ने तीन संकायों (विज्ञान, कला और वाणिज्य) के लिए अलग-अलग समितियों ने पाठ्यक्रम बनाकर उच्च शिक्षा विभाग को दे दिया है।

इसके अलावा यूजी के छात्रों के लिए एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट लागू किया जाएगा, इसके सभी छात्रों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। इसमें रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी संबंधित कालेज और विश्वविद्यालयों की होगी। इससे छात्रों को बहुत सुविधा मिलेगी। छह महीने की पढ़ाई के बाद छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय बदलना चाहते हैं तो उन्हें आसानी से दूसरी जगह प्रवेश मिल जाएगा।

पांचवें सेमेस्टर के लिए प्रथम वर्ष पास होना जरूरी

नए नियमों के मुताबिक प्रथम सेमेस्टर के सभी विषयों में फेल होने पर द्वितीय सेमेस्टर में पहुंच जाएंगे, लेकिन तृतीय सेमेस्टर की पढ़ाई के लिए पिछले सेमेस्टर 50 प्रतिशत विषयों पर पास होना जरूरी रहेगा। मान लीजिए कि बीए प्रथम सेमेस्टर में छह विषय और सभी में फेल है, सेकंड सेमेस्टर के छह विषयों में पास है तो वे तृतीय सेमेस्टर की पढ़ाई कर सकेंगे।

प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर के तीन-तीन विषयों में भी पास है, तब भी तृतीय सेमेस्टर की पढ़ाई कर सकेंगे, लेकिन पांचवें सेमेस्टर की पढ़ाई के लिए प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर के सारे विषयों में पास होना जरूरी है। नए नियम के मुताबिक छात्रों को एक-एक अतिरिक्त मौका मिल जाएगा।

नई शिक्षा नीति में चार वर्षीय स्नातक का प्रविधान

नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय स्नातक का प्रविधान है। चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम छात्रों के लिहाज से अच्छे हैं। जैसे, इसमें मल्टी एक्जिट और मल्टी एंट्री का सिस्टम है। इसके तहत छात्र किसी कारणवश बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं तो वे बाद में फिर कोर्स पूरा कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अवसर मिलेगा। हालांकि यह कोर्स उन्हें छह वर्ष के भीतर पूरा करना होगा।

स्नातक में एक वर्ष के बाद पढ़ाई छोड़ने पर छात्रों को सर्टिफिकेट, दो साल पढ़ाई करने पर डिप्लोमा और तीसरे साल में डिग्री मिलेगी। इसी तरह इस कोर्स में चार साल की पढ़ाई का अवसर उन्हीं छात्रों को मिलेगा, जिन्हें तीसरे वर्ष या छठवें सेमेस्टर में 7.5 क्यूम्लेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज (सीजीपीए) आएगा। इसके तहत चार ईयर रिसर्च डिग्री या फिर आनर्स की डिग्री मिलेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here