दमोह(विश्व परिवार)– निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज का संघ सहित दमोह नगर में मंगल आगमन हुआ। मंगल आगमन पर भव्य अगवानी समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं एवम बच्चों ने भी मंगल अगवानी में सहभागिता दी।
गाजो बाजो के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मुनि संघ का स्वागत किया मुनि श्री ने संघ सहित प्रात काल अनुग्राम से बिहार करते हुए धर्मपुरा नाका गढ़ी मोहल्ला पुराना थाना बकली चौराहा घंटाघर से होते हुए दिगंबर जैन धर्मशाला में आगमन हुआ। इस दौरान पूरे मार्ग में श्रद्धालुओ के द्वारा अपने-अपने घर के द्वारों को झंडों और बैनर से सजाया हुआ था।स्थान स्थान पर रंगोली सजाई गई। द्वार द्वार पर मुनि संघ की आरती उतारी गई एवं पद् प्रक्षालन किया गया।
समाज की विभिन्न महिला संगठनों ने अनेक स्थानों पर मंगल कलशो के साथ भव्य अगवानी की जैन धर्मशाला पहुंचने पर मुनि संघ मंदिर में दर्शन उपरांत मंच पर विराजमान हुए जहां पर सराफ परिवार के द्वारा मुनि श्री के पद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त किया।
इस मौके पर मुनि श्री ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि दीपक जगत के अंधकार को दूर कर देता है। दीपक स्वयं जलता है, किंतु वह दूसरों को प्रकाशित कर देता है। आज अमावस्या है किंतु संतो के आगमन से यह महोत्सव में परिवर्तित हो जाती है। जिस तरह भगवान महावीर ने अमावस्या को मोक्ष प्राप्त कर इस जगत को मोक्ष महोत्सव मनाने का अवसर प्रदान कर दिया।भगवान को मोक्ष प्राप्त हुआ किंतु उनकेमोक्ष कल्याणक दिवस से हम सबको लाभ प्राप्त हुआ दीपक की ज्योति से हमें लाभ तभी प्राप्त हो सकता है जब हमारी आंख खुली हो नेत्रहीन के लिए प्रकाश का कोई महत्व नहीं।
उन्होंने कहा संतो के सानिध्य से तभी लाभ हो सकता है जब हम उनके ज्ञान ज्योति से अपने जीवन को प्रकाशित कर पाएं जब निमित्त हमारे उपादान के लिए कार्यकारी हो जाएं तभीसार्थकता है।
उन्होंने दामों के विषय में बोलते हुए कहा कि दमोह वालों के भाग्य से हर साधु के लिए दमोह आना पड़ता है, क्योंकि आपके भाग्य से कुंडलपुर निकट है। दमोह के लिए साधु आता नहीं लाया जाता है। अब ऐसा पुरुषार्थ करो की साधु दमोह के नाम से दमोह आए। कुंडलपुर के लिए दमोह ना आए।