रामगंजमंडी(विश्व परिवार)– जैन दर्शन मे अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है इस दिन भगवान् आदिनाथ को एक वर्ष बाद आहार की विधि मिली विधि मिलने पर उन्हे प्रथम बार आहार मिला। वह भी इक्षु रस (गन्ने का रस) का तभी से यह पर्व अक्षय पर्व के रूप मे जाना जाने लगा और इसे अक्षय तृतीया पर्व के रूप मे मनाया जाता है और तभी से दान देने की परम्परा की शुरुआत हुई।
रामगंजमंडी में इसी क्रम मे प्रातःबेला मे भव्यता के साथ श्रीजी का अभिषेक शांतिधारा पूजन की गयी इसके उपरान्त श्रावक समूह द्वारा सभी को इक्षु रस (गन्ने का रस) पिलाया गया जिसमे सभी भक्त सम्मलित रहे और प्रभु आदिनाथ की जय जयकार की गयी वही संध्या बेला शाम 4 से 6 के मध्य महिला समूह संगिनी ग्रुप की और से सभी को इक्षु रस (गन्ने का रस) पिलाया गया जिसमे सभी महिला शक्ति सक्रिय रही साथ ही समाज बंधुओ एवं युवा वर्ग का विशेष सहयोग रहा सभी ने एक जुटता के साथ इस दिवस को भव्य रूप से मनाया एवम प्रभु आदिनाथ का गुणानुवाद किया इस अवसर पर समाज, अध्यक्ष दिलीप कुमार विनायका के साथ समस्त समाजजन ने अपनी सहभागिता दी। इस अवसर पर शांतिनाथ महिलामंडल अध्यक्ष शोभना सावला, उपाध्यक्ष सुलोचना लुहाड़िया ने अपना सहयोग दिया साथ एवम विशिष्ट योगदान देते हुए संगिनी समूह की साधना जैन,, सारिका चांदवाड़, मनीषा जैन, शिल्पा जैन, हेमा जैन,श्वेता जैन, पूजा जैन, मोना जैन, अंजली जैन, विजया जैन, नीलू जैन, रूपाली जैन, सारिका जैन ने इस आयोजन को भव्य बनाया