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फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी पाने वाले शिक्षक की अब होगी जांच, कलेक्टर ने डीईओ को दिए निर्देश

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बलौदाबाजार(विश्व परिवार) | भाटापारा जिले में शिक्षा विभाग में बीते 12 वर्षों से फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी कर रहे ऋषि कुमार महिलांग के खिलाफ शिकायत किए जाने पर मीडिया ने 20 मई के समाचार प्रकाशन के बाद कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को प्रकरण की जांच कराने मार्क किया है। इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा इसकी जांच जल्द प्रारंभ कराई जाएगी। इससे मामले की पूरी कड़ी खुलने की पूरी संभावना है। वहीं जिले में सालों से चल रहे फर्जी मेडिकल तथा शिक्षा प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी नौकरी करने के बड़े रैकेट के भी सामने आने की संभावना है। वर्तमान मामले की सबसे अहम कड़ी शिक्षक ऋषि द्वारा बनाया गया फर्जी दिव्यांग मेडिकल सर्टिफिकेट है, जिसे जारी करने वाले स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ भी अब कड़ी कार्रवाई किया जाना आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी पात्र दिव्यांग का हक न मारा जाए।

इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। समाचार प्रकाशन के बाद कलेक्टर कुमार लाल चौहान ने मंगलवार को टीएल की बैठक में इस मुद्दे की जांच कराने जिला शिक्षा अधिकारी को मार्क कर जांच के लिए दिया है। मीडिया से चर्चा में जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारती ने बताया कि यह शासन के आदेश अनुसार समाज कल्याण विभाग ने जारी किया है। संदर्भ में दिया है कलेक्टर से प्रकरण की जांच के लिए मार्क किया गया है। मामले में अहम कड़ी स्वास्थ्य विभाग का दिव्यांगता प्रमाण पत्र है। इस बारे में सिविल सर्जन से चर्चा हुई है। स्वास्थ्य विभाग तथा शिक्षा विभाग के सभी तथ्यों को देखते हुए मामले की जांच जल्द शुरू करेंगे।

बलौदाबाजार संवाददाता को दी बधाई

बहुत बहुत धन्यवाद भैया की ये रिपोर्टिंग की वजह से ये आदेश होने में आपका महत्वपूर्ण भूमिका रहा है इसलिए मैं संग परिवार की ओर से बहुत बहुत धन्यवाद एवम बधाई प्रेषित करता हूँ।

बता दें कि सहायक शिक्षक महिलांग की नियुक्ति कला विषय पर अनुसूचित जाति ने शब्द दृष्टिबाधित श्रेणी में शासकीय प्राथमिक शाला नवागांव विकासखंड छुरिया में साल 2012 में हुई थी। चयन प्रक्रिया के समय विभाग द्वारा शारीरिक योग्यता प्रमाण पत्र मांगा गया था जिस पर महिलांग ने विभाग को जो शारीरिक योग्यता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था, उसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि इनके एक आंख की दृष्टि क्षमता 6.6 यानी सामान्य और दूसरे आंख की क्षमता कोई प्रकाश बोध नहीं है। इस पर दिव्यांगता का प्रतिशत महज 30 प्रतिशत आता है। शासकीय विभागों में सरकारी सेवक की नियुक्ति हेतु दिव्यांगता का 40 प्रतिशत होना अनिवार्य माना जाता है। शारीरिक योग्यता प्रमाण पत्र अभ्यर्थी के वर्तमान स्थिति का पता लगाने हेतु मांगा जाता है। शारीरिक योग्यता प्रमाण पत्र के अनुसार महिलांग पूरी तरह अपात्र है। दो दिन पहले दिव्यांग कर्मचारी संघ द्वारा इसकी शिकायत कलेक्टर से एक बार फिर से की गई है। समिति के पदाधिकारियों ने पत्रिका से चर्चा में बताया कि पूर्व में शिकायत के बाद कलेक्टर के आदेश पर संभागीय मेडिकल बोर्ड रायपुर से महिलांग की जांच की गई थी। जांच रिपोर्ट में महिलांग की दिव्यंगता का प्रतिशत महज 30 प्रतिशत आया था।

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