ललितपुर(विश्व परिवार)| आचार्य श्री सुमति सागर जी की परम प्रभाविका शिष्या गणनी आर्यिका वात्सल्य मूर्ति आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी संघ सहित ललितपुर के अटा दिगंबर मंदिर में विराजित हैं आयोजित धर्म सभा में आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी ने बताया कि संपत्ति आने पर विपत्ति भी साथ में आती है क्योंकि संपत्ति चले जाने पर खो जाने पर दुख होता है आपके पास बहुत सोना है किंतु अगर एक अंगूठी गुम खो जाती है तो जो अधिक सोना शेष है उसकी खुशी नहीं होती किंतु एक अंगूठी गुम होने का दुख होता है । लोभ ,अहंकार दुख देता है मनुष्य का जब जन्म होता है तब आप रोते हैं और जगत हंसता है। आप जीवन में ऐसा कार्य करो कि आपके जाने का सब दुख मनाये। भीड़ में भेड़ की तरह नहीं सिंह की तरह रहना चाहिए हर इंसान में आत्म बल के कारण शक्ति बहुत है जब अग्नि दुर्घटना होती है तो कमजोर व्यक्ति अपाहिज व्यक्ति भी दौड़ लगा देते हैं क्योंकि उनके भीतर शक्ति और साहस है। जो संस्कारवान है वह धर्म सभा में आए हैं कहते हैं बारिश नहीं होने से फसल नष्ट हो जाती है इस प्रकार संस्कार के नहीं होने से नस्ल खराब हो जाती है लौकिक व्यवहार में आपकी दुकान में भीड़ बहुत है तो आप भूख प्यास कष्ट सब भूल जाते हैं इसी प्रकार की तन्मयता धर्म ध्यान के लिए भी होना चाहिए।मीडिया प्रभारी अक्षय एवम डा सुनील संचय अनुसार माताजी ने प्रवचन में वर्णी जी का एक कहानी सुनाई की जब उन्होंने भोजन करने बैठे तब माता से कहा कि आज नमक नहीं डाला तब माता ने सहज रूप से कहा कि तुम्हारा लेखन कार्य पूर्ण होकर क्या ग्रंथ पूरा हो गया तो वर्णी जी आश्चर्यचकित होकर बोले मां ऐसा क्यों कह रही हो माता बोली बेटा मैं 6 महीने से बिना नमक का भोजन दे रही हूं किंतु तुमने काम के कारण कभी भोजन में नमक की कमी महसूस नहीं की। साधु महावृत्ति भी अनेक व्रत के माध्यम से संयम में त्याग करते हैं व्रत परिसंखायन और अन्य व्रत से वह आत्म शक्ति का परीक्षण करते हैं कई बार एक करवट पर ही सोने का भी नियम ले लेते हैं।