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कर्म सिद्धांत एक अकाट्य सिद्धांत है फल जव भी मिलेगा कर्म के उदय से मिलेगा- मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज

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  • महा आरती में सम्मिलित हुए दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी
  • उपकार महामहोत्सव में बड़ो के साथ वच्चो का बैठना आनंदित कर रहा है-पूर्वकेन्द्रीय मंत्री

अशोक नगर(विश्व परिवार) | कर्म सिद्धांत एक अकाट्य सिद्धांत है फल जब भी मिलेगा कर्म के उदय से मिलेगा। कुंडली वह सत्य है जिसमें यह कर्म कितना फल देगा इसको, यदि ये प्रयास करेगा तो इस प्रकार का परिवर्तन हो सकता है कुंडली नियत नहीं होती, कुंडली एक थर्मामीटर या जाँच मशीन के समान है उसमें हीनाधिकता हो जाती है, उसमे परिवर्तन हो जाता है कुंडली सशर्त बनती है, वैद्य के समान इस प्रकार पथ्य करोगे तो इस बीमारी से बच जाओगे इसी प्रकार कुंडली वह पुरुषार्थ है जो नियत व वर्तमान के पुरुषार्थ को जोड़ती है, जैसे नियत यह है लेकिन पुरुषार्थ करोगे तो उसे बचाया जा सकता है इसलिए अपने कर्म पर भरोसा रखो सब कुछ ठीक हो जाएगा उक्त आश्य केउद्गार मुनि पुगंव श्रीसुधासागरजी महाराज ने दमोह में उपकार महामहोत्सव में विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए|

कलेक्टर सुधीर कोचर ने छात्र-छात्रों को दिया मार्ग दर्शन
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने दमोह से लौट कर बताया कि मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में चल रहे हैं यह पहली बार है कि इस शिक्षण शिविर में तीन तीन निर्यापक श्रमण श्री प्रसाद सागर जी महाराज निर्यापक श्रमण श्री वीरसागर जी महाराज सहित अन्य संत जन भी अपना समय दे रहे हैं इस शिविर में सभी वाल वृद्ध सहित हजारों शिविराथी भाग ले रहे हैं वाहार से आये शिविराथी को आवास की सुविधा दी शिविर में दमोह कलेक्टर श्री सुधीर कोचर शिविर स्थल पहुंचे और युवा छात्र छात्राओं को अपना मार्गदर्शक देते हुए कैरियर वनाने के लिए कुछ टिप्स दिए किस तरह अपना मनोबल ऊंचा रखते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं का सामना करना चाहिए और किन किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए उन्होंने कहा कि कोई भी एग्जाम कठिन नहीं होता हम उसे कठिन वना देते हैं यदि हम नियमित अध्ययन कर परीक्षा की तैयारी करेंगे तो सफलता निश्चित मिलेगी |

महा आरती में पहुंची दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी
इसके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य के साथ मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा दर्शनोदय थूवोनजी कमेटी अध्यक्ष अशोक जैन टींगू मिल महामंत्री विपिन सिंघई मंत्री विनोद मोदी कोषाध्यक्ष सौरव वाझल पूर्व कोषाध्यक्ष मनोज भैसरवास आडिटर राजीवचन्देरी शिरोमणि संरक्षण संजीव श्रागर शैलेन्द्र दददा जैन समाज मंत्री शैलेन्द्र श्रागर सहित अन्य भक्तों ने भाग लिया इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य ने कहा कि जिस पर परम पूज्य आध्यात्मिक संत निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज की कृपा होती है वह हर समय निश्चित रहता है उसकी चिंता को गुरु देव का आशीर्वाद ही दूर कर देता है हम सब को परम पूज्य की सेवा का सौभाग्य झांसी अंचल में प्रवास के दौरान मिला था वे क्षण हमारे जीवन के अनमोल क्षण थे जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।

बहुमुखी दुनिया में कोई चीज नहीं है
बहुमुखी दुनिया में कोई चीज नहीं है बहुमुखीपना ऐसे होता है जैसे हीरा में पहलू होते नहीं है लेकिन जोहरी हीरा में पहलू निकाल देता है। हम किसी भी विद्या को बहुमुखी बनाना चाहते हैं, यह हमारी योग्यता पर आधारित है जैसे हमने अभिषेक से बहुमुखी तत्व निकला कि बेटे को अभिषेक से मोक्ष ही नही होगा, जो सुबह से अभिषेक का लोटा उठाएगा वह शराब की बोतल नही उठाएगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति सारी दुनिया को अपने अनुकूल क्यों चलना चाहता है, वह यह प्रयास क्यों नहीं करता कि मैं दुनिया के साथ एक कदम चलूं। टूटता वह व्यक्ति है जो दुनिया को अपने अनुसार चलाना चाहता है, दुनिया मेरे अनुसार नाचे। हर व्यक्ति यही टूट रहा है महत्वाकांक्षा में, बेटा बाप से टूट रहा है क्योंकि वेटा भी माँ-बाप को अपने अनुसार चलना चाहता है।

अधिकार हम मुठ्ठी में बांधें और सहयोग सभी से चाहें तो कठिन होगा
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति वह कहलाती है जिसमें पूरी समाज का अधिकार होता है जहाँ हर व्यक्ति कह सके कि इस संस्था का मैं भी ट्रस्टी हूँ। अधिकार हम मुट्ठी में बांधे और सहयोग सभी से चाहे तो मिलना कठिन होता है हमें सभी को अधिकार देना होगा जब सफर बहुत लंबा होता है तो रात्रि में विश्राम करने वाली लालटेन भी साथ में रख लेना चाहिए, रात्रिविश्राम का तंबू भी साथ रख लेना चाहिए। यही व्यवस्था आचार्यो ने रास्तों के लिए कही, जिसे षट आवश्यक कहा है, ये उन्ही के लिए हैं जिनकी गति धीमी है और रास्ता लंबा है, डायरेक्ट मोक्ष जाने वालों के लिए नही पूजा में हम जो कुछ पढ़ते हैं, उस समय तदरूप होने का प्रयास करें। जैसे पूजा में हम क्षुधारोग विनाश की भावना करते हैं तो कुछ घण्टे के लिए हम भूख को रोके , हम महीने में एक बार उपवास करने का प्रयास करें, नही बनता तो एकासन, दो बार भोजन का प्रयास करे।

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