नई दिल्ली(विश्व परिवार) । पिछले तीनों लोकसभा चुनावों में मतदान में वृद्धि हुई थी। इसलिए, 2024 के लोकसभा चुनावों के शुरुआती चरणों में मतदान में गिरावट पूरे चुनाव में सबसे अधिक चर्चा में रही। इस दिलचस्पी का एक कारण यह भी है कि पॉलिटिकल साइंटिस्ट नीलांजन सरकार के शोध के अनुसार बीते दो चुनाव में लोकसभा चुनाव में मतदान में वृद्धि से भाजपा को फायदा हुआ था।
2014 और 2019 दोनों में भारतीय जनता पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा अब तक जारी किए गए मतदान के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2024 में मतदान में कमी से भाजपा के लिए उलटफेर के संकेत नहीं हैं।
पहले दो चरणों में मतदान में ज्यादा गिरावट
पहले छह चरणों में मतदान के लिए निर्धारित 486 सीटों में से 485 में मतदान हुआ (सूरत में भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए)। इन 485 सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव में 67.6 फीसदी मतदान हुआ था। 2024 में यह संख्या घटकर 66% रह गई। यानि 1.6 प्रतिशत कम मतदान इस बार हुआ, हालांकि यह परिवर्तन मामूली है, लेकिन पहले दो चरणों में यह परिवर्तन इस आंकड़े से लगभग दोगुना था।
2019 के बाद से मतदान में गिरावट पहले चरण में 3.9 प्रतिशत और दूसरे चरण में 3.5 प्रतिशत थी। छठे चरण तक के अन्य चार चरणों में, मतदान में गिरावट 0-1.4 प्रतिशत रही। सातवें चरण में मतदान लगभग पांच प्रतिशत कम हुआ।
सीटों के स्तर पर मतदान में बदलाव
मतदान में बड़ी गिरावट काफी हद तक चुनाव के पहले दो चरणों तक ही सीमित थी। पहले छह चरणों के 466 सीटों में से (जहां मतदान की तुलना 2019 से की जा सकती है) 317 में मतदान में कमी आई। 54 सीटों पर 1 प्रतिशत से कम की गिरावट दर्ज की गई है और अन्य 49 सीटों पर केवल 1-2 प्रतिशत अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। 214 सीटों पर मतदान में 2 प्रतिशत से अधिक की कमी दर्ज की गई है। इनमें 79 सीटों पर तो 5 फीसदी की कमी है।
मतदान में गिरावट और भाजपा के नुकसान के बीच संबंध उचित नहीं
मतदान में गिरावट और भाजपा के नुकसान के बीच संबंध बनाना इस स्तर पर सुरक्षित नहीं है। जिन 214 संसदीय क्षेत्रों में मतदान में 2 प्रतिशत या उससे अधिक की कमी आई है, उनमें से 47 केरल और तमिलनाडु में हैं, ये दो ऐसे राज्य हैं जहां भाजपा का प्रभाव सबसे कम होने की संभावना है। निश्चित रूप से, यह पूरी तरह से संभव है कि अलग-अलग राज्यों में मतदान में गिरावट के अलग-अलग कारण हों।
बड़े राज्यों में हरियाणा, केरल, गुजरात, राजस्थान और तमिलनाडु में बड़ी संख्या में सीटों पर 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में किसी भी सीटों पर 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज नहीं की गई।
भाजपा और सहयोगियों के खाते में 2019 में अधिकांश सीटें
पहले छह चरणों के 466 सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगियों ने 2019 में 66.1%, कांग्रेस और सहयोगियों ने 17.6% और अन्य दलों ने 16.3% सीटें जीतीं थीं। ये सीट शेयर बहुत ज्यादा नहीं बदलते अगर खुद को उन 317 सीटों तक सीमित रखते हैं जहां मतदान कम हुआ है। इन 317 सीटों पर 2019 के विजेता 65.9% में भाजपा और उसके सहयोगी थे, 20.2% में कांग्रेस और सहयोगी और 13.9% में अन्य दल थे।
214 सीटें जहां मतदान में दो प्रतिशत से अधिक की कमी आई है उन सीटों पर 2019 में 67.8% में भाजपा और सहयोगी दलों ने जीती थी। 23.8% में कांग्रेस और सहयोगी और 8.4% में अन्य दल थे।