- अभिनदनोदय तीर्थ में आर्यिका माता जी ने कहा जीवन में नम्रता ही शान्ति का माध्यम
ललितपुर(विश्व परिवार)| मानव को अपनी मानवीयता नहीं छोड़ना चाहिए। जीवन में अहंकार छोडकर स्वभाव में नम्रता ही शान्ति का माध्यम बनती है। स्वभाव बदलकर किसी भी व्यक्ति को पैर की धूल नहीं,सिर की पगडी बनने का प्रयास करो उसके लिए आत्म से मेल हटाना होगा।
अभिनंदनोदय तीर्थक्षेत्र पर जिनधर्म प्रभाविका आर्यिका रत्न सृष्टिभूषण माता जी ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा प्यार, प्रेम रिश्तेदारी आजकल रूपए से तौली जाती है। मंदिर में दान अहंकार से नहीं देना चाहिए। दान देने से मिलने वाला पुण्य अगले भव का फिक्स डिपोजिट है। इसलिए आपकी चिंता से आप चिंता में दशा बदले उसके पूर्व चिंतन बदलकर जीवन की दिशा बदल लीजिए। आर्यिका माता जी ने कहा इतने भव्य जिनालयों के निर्माण होने के बाद जीवन में परिवर्तन आने के लिए प्रयास करना चाहिए इसके लिए धर्म से जुडा ही व्यक्ति के लिए कल्याणकारी है। आर्यिका जिज्ञासा श्री माता जी इसके पूर्व अभिनंदनोदय तीर्थ में प्रभु अभिषेक के उपरान्त शान्तिधारा का वाचन किया। धर्मसभा में प्रमुख रूप से नरेन्द्र जैन राजश्री, आनंद जैन गारमेंटस,राजेन्द्र जैन थनवारा, जिनेन्द्र जैन डिस्को, जय महोली, अक्षय अलया, मनोज जैन बबीना, आकाश जैन गौना,सुधीर जैन सेवनी वीरेन्द्र सिंघई कुम्हेंडी,शिक्षक पुष्पेन्द्र जैन आदि मौजूद रहे। आर्यिका माता जी ने इसके पूर्व आदिनाथ मंदिर गांधीनगर,समोशरण पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर,शान्तिनाथ मंदिर, पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पार्श्वनाथ कालोनी के दर्शन किए। आर्यिका माता जी ने जनक जननी वृद्धाश्रम में पहुंचकर वहा की व्यवस्थाओं को देखा और ऐसे पुण्य कार्यों में समाज से जुड़ने का आह्वान किया।
गौरतलब रहे आर्यिका माता जी ससंघ इन दिनों पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अटामंदिर में विराजमान हैं।जहां प्रतिदिन धर्मप्रभावना हो रही है। आर्यिका माताजी के सानिध्य में प्रभु भक्ति में धर्मालुजन पहुंचकर जहां पुण्यार्जन कर रहे हैं वहीं आर्यिका माता जी द्वारा प्रातःकाल धर्मसभा में सामाजिक कुरीतियों पर समाज को आगाह करते हुए जीवन में आत्मिक शान्ति के लिए प्रेरित किया जा रहा है।