Home ललितपुर धर्म का बोध कराती जिनवाणी समाज की धरोहर- आर्यिका सृष्टिभूषण

धर्म का बोध कराती जिनवाणी समाज की धरोहर- आर्यिका सृष्टिभूषण

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  • जैन मंदिरों में मनाया श्रुतपंचमी महापर्व, हुआश्रुतस्कंधन विधान-

ललितपुर(विश्व परिवार) | गुरू के प्रति श्रद्धा और शास्त्रों के स्वाध्याय द्वारा ही जीवन में संस्कार और प्रभु की आराधना का मार्ग प्रशस्त होता है। जिनवाणी का अध्ययन जितना अधिक होगा जीवन में परिवर्तन मार्ग प्रशस्त होगा। जिनधर्म प्रभाविका आर्यिका रत्न सृष्टिभूषण माता जी ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा धर्म का मर्म हमें जिनवाणी के स्वाध्याय में ही मिलता है।जिसका संरक्षण करना समाज का दायित्व है।यह हमारी धरोहर है जिनके द्वारा हमें धर्म का बोध होता है। जिनवाणी ही हमारी पालनहार है।

नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अटामंदिर में श्रुतपंचमी महापर्व पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रभु अभिषेक से हुआ इसके उपरांत शान्तिधारा आर्यिका विश्ववशमति माता जी द्वारा की गई। जिसका पुण्यार्जन अनिल कुमार,अक्षय कुमार,अजय अलया,निर्मल कुमार, प्रभात लागौन,धन्यकुमार,अमित जैन,चंदन जैन सैदपुर एवं मनोज कुमार,डां० पलाश सिंघई द्वारा किया गया। श्रुतस्कंधन विधान में सौधर्म इन्द्र शान्तिबाई,अजय कुमार गंगचारी,माहेन्द्र रवीन्द्रकुमार,राजीव कुमार खजरा बाले,सुदीप कुमार, निकेत मोहनी,मधुर समैया रहे। श्रावकों ने भगवान बाहुबलि वेदिका पर जिनवाणी विराजमान का पुण्यार्जन किया। विधान आर्यिका माता जी के सानिध्य एवं पं० संतोष जैन अमृत के मार्गदर्शन में हुआ। श्रावकों ने मंचासीन आर्यिका सृष्टिभूषण माता जी, आर्यिका विजिज्ञस्या माता जी,आर्यिका विश्वयश मति माता जी को शास्त्र प्रदान कर आशीर्वाद ग्रहण किया।

इस मौके पर जैन पंचायत के अध्यक्ष डा० अक्षय टडैया,महामंत्री आकाश जैन,संयोजक सनत जैन खजुरिया, शीलचंद अनौरा, धन्यकुमार जैन एड०,कपूरचंद लागौन,चंचल पहलवान, डा० संजीव कडंकी, वीणा जैन,अनीता मोदी,अंजना अलया,डां० नीलम सर्राफ, किरण सतभैया,सीमा बानपुर, उमा जैन सैदपुर आदि मौजूद रहे। विधान की व्यवस्थाओं की संयोजना में दिगम्बर जैन महिला मण्डल, साधु वैयावृत्ति मण्डल, आदर्श महिला मण्डल, जैन मिलन,नंदा-सुनंदा महिला मण्डल का सक्रिय योगदान रहा। आज नगर के जैन मंदिरों में सरस्वती पूजन एवं श्रुतस्कंधन विधान श्रावकों ने भक्तिपूर्वक कर जिनवाणी संरक्षण का संकल्प लिया।पर्व को भक्तिपूर्वक मनाया। सायंकाल में आर्यिका माता जी के सानिध्य में गुरु भक्ति में श्रोता झूम उठे।

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