पंचकल्यानक प्रतिष्ठा महोत्सव 17 नवम्बर से
बड़ौत (विश्व परिवार)। राजकीय अतिथि,दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ऋषभ सभागार मे धर्मसभा में सम्बोधन करते हुए कहा कि गुरु सेवा एवं प्रभु भक्ति का जो आनन्द है, वह आनन्द दायक होता है। संयम की अनुभूति परमानन्द रूप है। जो पूजक है उसे यह विचार करना चाहिए कि जो पूज्य हैं, वह पूज्य कैसे बने ? पूज्य की पूजा होती है। जो गुणों से पूर्ण होता है, दोषों से शून्य होता है, वहीं यथार्थ में पूज्य होता है। जिनके विचार पवित्र हो, आचरण सम्यक् हो, वही पूज्य हो पाते हैं। विचारों की पवित्रता के साथ आचरण की निर्मलता भी होना चाहिए। चारित्र की पूर्णता में ही मुक्ति संभव है। ज्ञान की पूर्णता चारित्र को निर्मल करती है।
जन्म लेना महत्वपूर्ण नहीं है। मनुष्य जन्म उन्हीं का प्रशंसनीय है जो परोपकार के कार्यों में अपना धन व्यय करें, संयम-साधना में योवन व्यतीत करें, उपकारी का उपकार मानें, सर्व-जीवों के प्रति मैत्री भाव रखें। नैतिकता पूर्ण जीवन ही सुखद हो सकता है।
जीवन में धन-धरती प्राप्त करना सरल है, परन्तु धर्म पूर्ण जीवन जीना महत्त्वपूर्ण है। मानव में मानवता न हो, मिठाई में मिठास न हो, साधु में साधुत्व न हो, माँ में ममत्व न हो तो व्यर्थ है। अच्छा सोचो, अच्छे कार्य करो, मधुर बोलो, सद् व्यवहार करो।
विवेकशील, विनयगुण सम्पन्न, संतोषी श्रद्धावान्, क्रियाशील, आचरणवान,अनुशासनप्रिय, अहिंसक, शांतिप्रिय, मधुर-भाषी मानव ही श्रेष्ठ माना जाता है। मनुष्य का जीवन संस्कारों से ही श्रेष्ठ बनता है। परस्पर सहयोग से ही मानव जीवन प्रशंसनीय बनता है। श्रेष्ठ संस्कार ही सिद्धी प्रदान करते हैं। संस्कार विहीन मानव पशु तुल्य होता है। ज्ञान चर्चा के साथ चर्या भी पवित्र करो। आचरण के बिना ज्ञान व्यर्थ है।औषधि के मात्र ज्ञान से रोग ठीक नहीं होता है। पथ्य भोजन के साथ औषधि सेवन भी आवश्यक है।सभा मे मुनि श्री सुव्रत सागर जी महाराज ने भी मंगल प्रवचन दिये।
मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य मे 17 नवम्बर से 22 नवम्बर तक श्री चैत्यवृक्ष जिनालय जिनबिम्ब पंचकल्यानक प्रतिष्ठा महोत्सव, दिगंबर जैन कॉलेज के C फील्ड मे अत्यंत धूमधाम से मनाया जायेगा।जिसके सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य श्री राजकुमार सपना जैन जैनसन इंडस्ट्रीज वालो को प्राप्त हुआ है।
सभा मे प्रवीण जैन, विनोद जैन,सुभाष जैन बीड़ी वाले,सुनील जैन, राकेश जैन,आलोक सर्राफ, सतीश सर्राफ, धनेंद्र जैन,अतुल जैन, अशोक जैन,आलोक मित्तल,राजेश जैन, मनोज जैन,पुनीत जैन,अरविंद जैन, सुदेश जैन आदि उपस्थित थे।
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