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निर्जला एकादशी आज, मंदिरों में विशेष पूजा, बाजार में चहल-पहल, पूजन सामग्री व फल दुकानों में भीड़

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  • पूजन सामग्री व फल दुकानों में रही भीड़
  • बाजारों में दिखी रौनक
  • गंगा दशहरा को लेकर उत्साह

    बिलासपुर(विश्व परिवार)। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली निर्जला एकादशी का व्रत इस वर्ष सोमवार को मनाया जाएगा। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की इस पवित्र एकादशी के लिए शहर के विभिन्न मंदिरों में तैयारियां जोरों पर हैं। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर उनसे धन, समृद्धि, दीर्घायु और मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

    निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार भीम ने यह व्रत कर मोक्ष और दीर्घायु का वरदान प्राप्त किया था। इस व्रत को करने वाले भक्तों को इस दिन अन्न और जल का सेवन नहीं करना होता है, जिससे यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है। शहर के प्रमुख मंदिरों में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना के लिए तैयारियां चल रही हैं। मंदिरों की सफाई, गंगाजल का छिड़काव और सजावट का कार्य जोरों पर है।

    सुबह-सुबह भक्त पीले वस्त्र धारण कर मंदिर पहुंचेंगे और श्रीहरि का ध्यान करेंगे। इस दौरान वे भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, गोपी चंदन और देशी घी के दीपक अर्पित करेंगे। साथ ही, विष्णु चालीसा और विष्णु स्तोत्र का पाठ करेंगे। शहर के लोगों में इस पवित्र व्रत के प्रति विशेष उत्साह है और वे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करने के लिए तैयार हैं। व्रत के दौरान बुजुर्गों और महिलाओं का सम्मान करना और कटु वचन से दूर रहना आवश्यक माना जाता है। व्रत का समापन गरीब और ब्राह्मणों को दान देकर और शुभ मुहूर्त में पारण करके किया जाएगा।

    बाजारों में दिखी रौनक

    बिलासपुर के बाजारों में भी इस व्रत के लिए आवश्यक पूजन सामग्री और फलों की खरीदारी के लिए व्रतियों की भीड़ उमड़ी। प्रमुख रूप से बृहस्पति बाजार, शनिचरी, गोलबाजार, मंगला, सरकंडा और रेलवे बुधवारी बाजार में फल, फूल, गंगाजल, गोपी चंदन और अन्य पूजन सामग्री की दुकानों पर भीड़ लगी हुई है। लोगों का कहना है कि निर्जला एकादशी के लिए पूजा सामग्री और फलों की खरीदारी करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे वे भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकें।

    गंगा दशहरा को लेकर उत्साह

    इस वर्ष का निर्जला एकादशी व्रत भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह गंगा दशहरा के अगले दिन पड़ रहा है। शहरवासियों का मानना है कि इस पवित्र व्रत को विधि-विधान से करने पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भक्तगण दशमी तिथि से ही व्रत के नियमों का पालन करते हुए अगले दिन द्वादशी पर व्रत का पारण करेंगे।

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