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छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के लिए सिर्फ 1 कॉलेज, स्कूलों का भी ठिकाना नहीं… दिव्यांग पूछ रहे- क्या मुझे पढ़ने-लिखने का अधिकार नहीं ?

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रायपुर(विश्व परिवार) | मैं दिव्यांग हूँ, क्या मुझे पढ़ने लिखने का अधिकार नहीं है ? क्या मुझे अपने भविष्य गढ़ने का अधिकार नहीं है ? ये सवाल हैं उन दिव्यागों के हैं जिन्हें अपने ही प्रदेश में स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है. हालांकि प्रदेश के 21 जिलों में दिव्यांगों के लिए स्कूल तो है लेकिन वहां नाम मात्र की सुविधाएं है. वहीं उच्च शिक्षा के लिए भी प्रदेश में एक ही कॉलेज है. उक्त कॉलेज में मात्र 120 सीटें हैं जिसमें लगभग 25-30 प्रतिशत सीटें दूसरे राज्यों के छात्रों को दे दिया जाता है. जबकि प्रदेश में दिव्यांगों की संख्या 7 लाख से अधिक है. अब आप अंदाजा लगा सकते है कि प्रदेश में कितने दिव्यांगों को उच्च शिक्षा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है |

दिव्यांगों की इस समस्या पर मीडिया ने सीधा सवाल समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े से किया. इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि दिव्यांगों के लिए पिछली सरकार ने कुछ नहीं किया है अब हम लगातार प्लानिंग कर रहे हैं दिव्यांग बच्चों को अच्छी और व्यावसायिक शिक्षा दिया जाएगा. जितना जल्दी हो सके इसके लिए मैं CM से भी चर्चा करुँगी |

सभी संभाग में खुलेगा कॉलेज
मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने बताया बहुत ही जल्द सभी संभागों में कॉलेज खोला जाएगा. जहां दिव्यांगों को अच्छी शिक्षा ही नहीं बल्कि व्यावसायिक शिक्षा भी दिया जाएगा |

प्रदेश में दिव्यांगों के लिए बस इतना व्यवस्था
छत्तीसगढ़ 23 साल का हो गया है, 33 जिला बन गया है लेकिन अभी तक प्रदेश में दिव्यांगों के लिए सिर्फ़ एक कॉलेज है और 21 ज़िलों में ही अब तक दिव्यांगों के लिए स्पेशल स्कूल खुला है लेकिन उसमें भी पर्याप्त सीट नहीं है सीट बढ़ाने की ज़रूरत है. अब भी 12 ज़िलों में दिव्यांग स्कूल का इंतज़ार कर रहे हैं. कॉलेज मानो ईद का चाँद है जिसे प्रवेश के दौरान आवेदन भरने के नाम पर देख सकते हैं लेकिन वहाँ पढ़ नहीं सकते क्योंकि सीट लिए पर्याप्त नहीं है |

स्कूलों में भी क्लास का पेच
मौजूदा व्यवस्था में दिव्यांगों के लिए 21 ज़िलों में संचालित है. जिसमें कई ज़िलों में सिर्फ़ पाँचवी तक कई स्कूल है तो कई ज़िलों में आठवीं तक तो महज़ चंद स्कूलों में 12 वीं तक की पढ़ाई होती है ऐसे में हज़ारों दिव्यांग बच्चे पढ़ ही नहीं पा रहे हैं. एक ओर जहाँ आगे कक्षा की पढ़ाई नहीं है वहाँ सैकड़ों बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे हैं क्योंकि उनके पास विकल्प नहीं है |

छत्तीसगढ़ में एक ही कॉलेज
प्रदेश के तीन स्कूलों में बारहवीं तक की पढ़ाई होती है. उसमें भी दिव्यांग विद्यार्थियों के पास मन मुताबिक़ पढ़ने का अवसर नहीं है. वहाँ संचालित कोर्स ही पढ़ना होगा. प्रदेश के तीन जिला रायपुर बिलासपुर और जगदलपुर में बारहवीं तक की पढ़ाई होती है. जिसमें लगभग 200 बच्चे पास होते हैं लेकिन रायपुर में 120 सीट का कॉलेज है. इस तरह चाहकर भी विद्यार्थी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते क्योंकि पूरे छत्तीसगढ़ में रायपुर में ही एकमात्र कॉलेज है जहाँ दूसरे प्रदेश के बच्चे अपनी पढ़ाई करते हैं और सीट फ़ुल होने के कारण चाहकर भी नहीं पढ़ पाते |

कब बढ़ेगी स्कूलों की संख्या ?
मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा प्रस्ताव भेजा गया है बहुत ही जल्द स्कूल ज़िलों में खुल जाएगा. ताकि बच्चों को ज़्यादा दूर जाना पड़े अपने ही जिला में स्कूल शिक्षा पूर्ण करें |

मौजूदा व्यवस्था में सीट बढ़ाने की ज़रूरत
जब तक नई व्यवस्था नहीं होती है तब तक 21 ज़िलों में संचालित दिव्यांग स्कूलों में सीट बढ़ाने की ज़रूरत तो है साथ ही सभी ज़िलों के स्कूलों में 12वीं तक पढ़ाई हो ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है. क्योंकि महज़ तीन ज़िलों में बारहवीं तक की पढ़ाई होती है |
दिव्यांग नार्मल बच्चों की तरह घर से पढ़ाई लिखाई नहीं कर सकते इसलिए आवासीय परिसर है और वहाँ सीट कम होने के कारण दिव्यांग पढ़ाई नहीं कर पाते |

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