सागर(विश्व परिवार) | क्षुल्लक श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी जी की मूर्ति रथ पर विराजमान होकर मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के विभिन्न नगरों, कस्बों में होते हुए मंगलवार को नगर आगमन हुआ जिसका भव्य स्वागत किया गया। श्री दिगंबर जैन मंदिर रजाखेड़ी, अंकुर कॉलोनी, श्री ऋषभदेव जैन मंदिर, दीनदयाल नगर जैन मंदिर होते हुए श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर नेहा नगर पहुंची सभी स्थान पर लोगों ने आरती कर मूर्ति का स्वागत किया।
नेहानगर में रथ का भव्य स्वागत किया गया, आरती उतारी गई। वर्णी जी के जीवन पर बनाई गई चित्र प्रदर्शनी जिसका उद्घाटन जैन मिलन के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री अरुण चंदेरिया, श्रेयांश जैन पवा, ऋषभ जैन बैसाखिया ने किया इसके बाद में गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया। सभी ने अवलोकन किया । रथ में विराजमान अष्ट धातु की गणेश प्रसाद जी वर्णी की मूर्ति 350 किलो की वजनी और 4 फुट की है जो उनकी जन्म स्थली हँसेरा (मड़ावरा) में स्थापित की जाएगी।
सर्व प्रथम चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन डां हरिशचंद्र शास्त्री मुरैना, पं. उदय चन्द्र शास्त्री, पं. पवन कुमार दीवान पं. सुखदेव जैन, सनत जैन, विनोद जैन Lic, उत्तमचंद शास्त्री, डॉ. संजय जैन जैन, राजकुमार जैन बैंक, सुभाष जैन बैंक, संजय शास्त्री, सुनील शास्त्री,सुदेश शास्त्री, राजकुमार शास्त्री भगवा, आदि विद्वानों ने किया।
मंगलाचरण श्रीमती पुष्पा जैन ने किया सभा का संचालन रथ संयोजक मनीष विद्यार्थी ने किया।
डां हरिशचंद्र जैन ने गणेशप्रसाद वर्णी जी एक ऐसा नाम है जिन्होंने अनेक संघर्षों से जूझते हुए शिक्षा की अनोखी अलख जगाई। उनका जीवन अनेक उतार -चढ़ाव से युक्त विविध दृष्टियों से बहुरंगी रहा। एक सामान्य से अति-सामान्य युग-पुरुष के रूप में उभरे वर्णी जी का जन्म सन् 1874 में उत्तर प्रदेश में ललितपुर जिला अन्तर्गत हंसेरा ग्राम (मड़ावरा के निकट) में में हुआ था।
पं. पवन दीवान ने कहा कि वर्णी जी की प्रेरणा और मार्गदर्शन से सैंकड़ों पाठशालाएँ, विद्यालय और महाविद्यालय खुले। उनका अवदान अविस्मरणीय है।
पं. उदय चंद शास्त्री ने बताया वर्णी विकास संस्थान सभा द्वारा वर्णी जी की 150 वी जयंती राष्ट्रीय स्तर मनाई जा रही है उसी के अंतर्गत वर्णी जी की जन्म भूमि जनपद के मड़ावरा ब्लॉक में ग्राम हँसेरा में एक भव्य वर्णी स्मारक का निर्माण कराया जा रहा है।
कार्यक्रम का संयोजन भारतीय जैन मिलन महिला नेहा नगर द्वारा किया गया एवं आभार श्रीमती अनीता जैन माना कार्यक्रम में मुख्य रूप से राष्ट्रीय संयोजिका वीरांगना संगीता चंदेरिया, क्षेत्रीय संयोजिका वीरांगना अनीता मनोज जैन,
संरक्षक किरण जैन,अध्यक्ष वीरांगना ऋतु जैन, सचिव वीरांगना शालिनी जैन, कोषाध्यक्ष वीरांगना संध्या जैन,प्रचार प्रभारी वीरांगना ज्योति जैन,वीरांगना ऋतु जैन, वीरांगना पुष्पा जैन, वीरांगना बबिता जैन, वीरांगना पीयूष जैन, वीरांगना रानी जी श्रीमती भारती जैन सभा मे वक्ताओं ने कहा कि पूज्य वर्णी जी जैन प्राच्य विद्याओं, विद्यालयों के महान उद्धार कर्ता थे। इन्होंने शिक्षा जगत में महान क्रांति की। इन्होंने बुंदेलखंड की अवनत दशा को बड़ी गहराई से देखा -परखा और समझा था। उन्होंने आजादी के लिए अपनी चादर समर्पित की थी।विनोबा भावे जी ने वर्णीजी को अपना अग्रज माना ।पूज्य वर्णी जी का भारतीय प्राच्य विद्याओं के संरक्षण और सम्बर्धन में अनुकरणीय योगदान सदैव इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। उन्होंने सैकड़ों पाठशालाएँ , विद्यालय, महाविद्यालय खुलवाए। ललितपुर नगर में वर्णी कॉलेज, वर्णी कान्वेंट और वर्णी चौराहा उन्हीं के नाम पर है। साढूमल में जो शताधिक वर्ष पुराना संस्कृत विद्यालय है वह इन्हीं वर्णी जी की अनुपम देन है।
रथ के मुख्य संयोजक मनीष विद्यार्थी बताया कि वर्णी ज्ञान प्रभावना रथ में 22 जून को मड़ावरा जिला ललितपुर मैं समापन होगा जिसमें बुंदेलखंड में रथ भ्रमण के स्थानीय संयोजकों रथ व्यवस्था के सहयोगियों का सम्मान विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया जाएगा । यह रथ सिद्धक्षेत्र नैनगिरि से न्यायमूर्ति विमला जैन, सुरेश जैन आईएएस भोपाल ने हरी झंडी दिखाकर कर रवाना किया एवं रथ सारथी के रूप में युवा उद्योगपति कपिल मलैया सागर महत्वपूर्ण योगदान रहा ।