Home राजस्थान सुख और दुख हमारी सोच में है, अगर हम पॉजिटिव सोचते हैं...

सुख और दुख हमारी सोच में है, अगर हम पॉजिटिव सोचते हैं तो सुखी, और नेगेटिव सोचते हैं तो दुखी स्वस्तिभूषण माताजी

28
0

केशवरायपाटन(विश्व परिवार) | परम पूजनीय भारत गौरव गणिनी आर्यिका 105 स्वस्ति भूषण माताजी ने जीवन में सकारात्मक सोच रखने की बात कही।

उन्होने कहा की सुख और दुख हमारी सोच में हैं! अगर हम पॉजिटिव सोचते हैं तो सुखी और निगेटिव सोचें तो दुःखी! माताजी ने एक उदाहरण के माध्यम से बताया कि एक महिला टीचर थी वह सुबह से शाम तक कामों में लगी रहती थी स्कूल में जाती थी! वह अच्छी अच्छी पुस्तकें एकत्र तो करती थी लेकिन समय के अभाव में पढ़ नहीं पाती थी तो मन में विकल्प रहता था! एक दिन उसके पाँव में फेक्चर हो गया! पहले तो दुःख हो गया लेकिन मन विचार आया कि अब में पुस्तक पढ़ सकती हूं! इससे उसको प्रसन्नता भी हो गयी! इसलिए कहते सोच और भावना अच्छी रखनी चाहिए! जैसी सोच बनाओ हम वैसे ही हो जायेंगे!

यदि हम किसी का बुरा सोचते हैं तो उसका बुरा हो या ना हो हमारा तो बुरा हो ही जाता है ! और हम किसी का अच्छा सोचें तो उसका अच्छा हो या ना हो हमारा तो अच्छा हो ही जाता है! धोखा देना बुरा है धोखा खाना बुरा नहीं हैं! धोखा देने में धोखा देने वाले का बुरा हुआ है धोखा खाने में तुम्हारा बुरा हो ये जरूरी नहीं है! हमारे चाहने से दुनियां चलती है क्या? नहीं!हमारे चाहने से हमारा शरीर चलता है क्या? नहीं! जो होना सो होना है! हम उसमें कुछ भी नहीं कर सकते हैं! आत्मा से भिन्न संसार की जितनी भी पर वस्तुएँ हैं वह सब दुःख का कारण हैं!

माताजी ने कहा की भोगों और उपभोगों का परिमाण बनाना चाहिए! क्योंकि हम जितनी ज्यादा इच्छाएं रखेंगे और अगर वह पूरी नहीं हुई तो हमे दुःखी होना पड़ेगा!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here