रायपुर(विश्व परिवार) |छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बीचों-बीच शास्त्री चौक पर जनता के 46 करोड़ रुपए का स्काई वॉक राजनीति के काले पक्ष का सबूत बन गया है। 70 करोड़ की अनुमानित लागत वाला स्काई वॉक राजनीति के दलदल में ऐसा फंसा कि अब तक नहीं निकला। 6 साल बीत गए। रोज मंत्री-नेता उस राह से गुजरते हैं, लेकिन स्काई वॉक के लोहे के जंग और जनता के रुपयों की फिक्र किसी को नहीं हुई। सरकारें आईं-गईं, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचीं। जबकि सरकारी खजाने से 46 करोड़ खर्च हो चुके है।
क्या है स्काई वॉक
Raipur Sky Walk के पीछे तर्क यह था कि जयस्तंभ चौक, शास्त्रीचौक से आंबेडकर अस्पताल तक ट्रैफिक ज्यादा रहता है। इसी दायरे में डीकेएस हॉस्पिटल, तहसील, कलेक्ट्रेट और कोर्ट आदि कार्यालय हैं। इसलिए राहगीरों को सुविधा होगी। स्काई वॉक पर छह जगहों पर एस्केलेटर, लिट तथा सीढ़ियों की योजना थी।
सरकार बदलते ही लगा ब्रेक..
अक्टूबर 2018 में विधानसभा चुनाव हुए, सरकार बदल गई। कांग्रेस की भूपेश सरकार की पहली कैबिनेट में ही स्काई वॉक के निर्माण पर रोक लग गई। साथ ही इसकी उपयोगिता जानने के लिए तीन-तीन कमेटियां बनाई, परंतु पांच साल तक फैसला नहीं हुआ। तब से आज तक अधूरा ढांचा जंग खा रहा है।
सभी ने उपयोगिता को खारिज कर दिया
पूर्व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा कि भाजपा सरकार ने व्यक्ति विशेष का फायदा पहुंचाने के चलते ही करोड़ों बर्बाद किया। जब जनता स्काई वॉक का विरोध कर रही थी, तब भी हठधर्मिता अपनाई। हमारी सरकार ने इसकी उपयोगिता को लेकर जांच कराई। सभी ने इसकी उपयोगिता को खारिज कर दिया।
हमने शुरू किया था, हम ही बनाएंगे
पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक राजेश मूणत ने कहा कि स्काई वॉक पर पांच साल तक कांग्रेस ने सिर्फ राजनीति की है। 3 कमेटियां बनाकर कुछ नहीं किया। ईओडब्ल्यू में केस दर्ज कराकर जांच भी कराई, लेकिन भ्रष्टाचार नहीं निकला। हमारी पार्टी ने छत्तीसगढ़ को बनाया है, हम ही इसका काम कराएंगे।