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देश के कृषि विकास में कृषि विज्ञान केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका : श्री नेताम

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  • कृषि मंत्री ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्रों की तीन दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया

रायपुर(विश्व परिवार) । कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा है कि देश में कृषि के विकास में कृषि वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले देश में भुखमरी की स्थिति थी। आवश्यकता के अनुरूप अनाज का उत्पादन नहीं हो पाता था, जिसके कारण हमें अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं द्वारा नित नई तकनीकों की खोज और उत्पादन में वृद्धि के प्रयास का प्रतिफल है कि आज हमारे पास अन्न का पर्याप्त भंडार है और दूसरे देशों को निर्यात भी करते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित नवीन अनुसंधानों और तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं और इस तरह कृषि के विकास तथा किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मंत्री श्री नेताम आज कृषि महाविद्यालय, रायपुर में आयोजित तीन दिवसीय छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्रों की 31वीं क्षेत्रीय कार्यशाला’ के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जोन-9, जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। मंत्री श्री नेताम ने इस मौके पर कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन किया। इस तीन दिवसीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के 81 कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख, विषय वस्तु विशेषज्ञ तथा कृषि वैज्ञानिक शामिल हुए हैं।
कृषि मंत्री श्री नेताम ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘‘एक गांव, एक फसल’’ का आव्हान किया है। देश को सक्षम और समृद्धशाली बनाने हेतु प्रधान मंत्री श्री मोदी की सोच के अनुरूप कृषि वैज्ञानिकों और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को नवीन अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी का विकास कर उत्पादन में वृद्धि करने की दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश भर में सभी जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों को विभिन्न जिलों की स्थानीय आवश्यकताआें और परिस्थितियों के अनुरूप फसलों का चयन कर कृषि विकास की योजनाएं बनानी और क्रियान्वित करनी चाहिए। श्री नेताम ने इस मौके पर हरित क्रांति के जनक महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को भी याद किया। श्री नेताम ने इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधिकारियों से कहा कि वे छत्तीसगढ़ राज्य की लंबित कृषि योजनाओं एवं प्रस्तावों को शीघ्र स्वीकृति दिलाने का प्रयास करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. (कर्नल) गिरीश चंदेल ने कहा कि कृषि के विकास और किसानों को समृद्ध बनाने में कृषि विज्ञान केन्द्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मूल रूप से कृषि विश्वविद्यालय का काम शिक्षा विस्तार और शोध का है। लेकिन वास्तव में कृषि विश्वविद्यालयों के शोध को किसानों तक पहुंचाने का काम कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि को सुदृढ़ बनाने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा नए-नए तकनीकों को किसानों तक पहुंचने का काम किया गया है। जिससे कम लागत और उत्पादन में वृद्धि संभव हुआ है। आज बाजार आधारित कृषि विकास की जरूरत है कृषि विज्ञान केन्द्र इस पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में अब धान का पर्याप्त उत्पादन हो रहा है। देश में चावल निर्यात में छत्तीसगढ़ का 17 से 18 प्रतिशत का योगदान है। उन्होंने कहा कि मिलेट फसलों कोदो-कुटकी का अच्छा बाजार भी उपलब्ध हो रहा है। मिलेट फसल के अच्छे भाव मिलने से किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. रंजय के. सिंह ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के शुरूआती 100 दिनों के लिए बनाई गई विकास योजनाओं में कृषि योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसानों की आय बढ़ाने और उन्हे रोजगार के नये साधनों से जोड़ने की दिशा में कृषि विज्ञान केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका तय की गई है। उन्होंने कहा कि देश भर में स्थापित 750 से अधिक कृषि विज्ञान केन्द्र कृषि के विकास और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर के निदेशक डॉ. एस.आर.के. सिंह ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र कृषि से संबंधित गतिविधियों के क्रियान्वयन में बहुआयामी केन्द्र के रूप में कार्य कर रहे हैं। वे कृषि विकास, रोजगार सृजन, प्रौद्योगिकी उन्नयन, जैव विविधता तथा पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्रों में अच्छा कार्य कर रहे हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. अजय वर्मा ने स्वागत भाषण देते हुए छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा संचालित योजनाओं एवं गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। इस कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एवं विभिन्न संस्थानों के निदेशक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर, राजमाता विजया राजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के निदेशक विस्तार सेवाएं तथा छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के अंतर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख एवं वैज्ञानिक शामिल हुए।

 

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