हैदराबाद(विश्व परिवार) | शुक्ल लेश्या अर्थात निर्मल परिणाम स्फटिक की भाँति पदम लेश्या वाला व्यक्ति सदा त्याग की भावना रखता है। धर्म, मंदिर और गुरु की ओर उसकी दृष्टि रहती है। शुक्त लेश्या मोक्ष का मार्ग खोलती है।
आगापुरा स्थित श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर स्थानीय और दूर-दूर से पधारे श्रद्धालुओं को धर्म का अवण कराते हुए अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसत्र सागरजी महाराज ने कहा कि जब तक पर नजर है तब तक जिंदगी में परेशानियां ही परेशानियां आएंगी। जिस दिन नजर पर से हटकर स्व की ओर आ जाएगी उस दिन परेशानियां खत्म हो जाएंगी। मैं जानता हूं कि आप पाप सर्वधा नहीं छोड़ सकते परंतु कम से कम धर्म स्थलों पर तो पाप मत करो। मोबाइल को मत छोड़ो, पर कम से कम भगवान और महाराज जी के सामने तो मोबाइल का प्रयोग मत करो।
आगापुरा स्थित श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में प्रवचन देते पूज्य आचार्य 108 प्रसत्र सागरजी म.सा.। साथ में उपाध्याय मुनि श्री 108 पीयूष सागरजी, प्रवर्तक मुनि श्री 108 डॉ. सहज सागरजी महाराज व धर्मप्रेगी।
धर्मात्मा दिखने की नहीं, बनने की कोशिश करो। जब तक देव शास्व गुरु से अटैचमेंट नहीं है तब तक तुम्हारा कल्याण नहीं हो सकता। तपाचार्य प्रसत्र सागरजी महाराज ने अशुभ लेश्याओं के वर्णन के बाद अब शुभ लेश्याओं का वर्णन करते हुए कहा कि जो व्यक्ति पीत लेश्या के परिणामों से अपने मन को पवित्र कर आत्मोत्थान की ओर अग्रसर होता है वह क्रमशः पीत से पद लेश्या और शुक्ल लेश्या का अवलंबन लेता है।
उपाध्याय मुनि श्री 108 पीयूष सागरजी महाराज ने कहा कि जीवन का आनंद निस्वार्थ भावना में ही है। हम बाहरी दुनिया में इतना उलझ गए हैं कि अपनों को और खुद को हो भूल गए हैं। बाहरी भौतिक सामग्री पर नजर मत डाली। अपने विचारों पर नजर रखो। परिणाम अच्छे होंगे। प्रभावी वक्ता प्रवर्तक मुनि श्री 108 डॉ. सहज सागरजी महाराज ने कहा कि नरक में तीन अशुभ लेश्याएं होती हैं। एक इंद्रीय से पंचेन्द्रीय और
असंज्ञी तक अशुभ लेश्या होती है। शुभ लेश्या स्वर्ग और भीव भूमि में होती है। मुनि श्री 108 नव पदम सागरजी महाराज ने कहा कि बदला लेने की नहीं बल्कि अपने को बदलने की भावना रखो। अपनी पूजा की गाह मत करो अपितु दूसरों का सम्मान करो। गुरु से जुड़े रहो। शुल्लक श्री 105 नैगम सागरजी ने कहा कि जीवन में भेद विज्ञान अति आवश्यक है। अंधेरी रात है साया तो हो नहीं सकता। यह कौन है जी
मेरे साथ चल रहा है। आत्मा साथ चल रही है पर आपको उसका एहसास नहीं है। देह अलग है आत्मा अलग है उसे पहचानते।
मंत्री राजेश पाटनी ने कहा कि परिणाम के खेल प्रवचन माला का आन अंतिम दिन था। 29 जून से आध्यात्मिक ज्ञान ध्यान शिक्षण संस्कार शिविर का महत्वपूर्ण आयोजन प्रारंभ होगा। इस शिविर में अधिक से अधिक संख्या उपस्थित होने का निवेदन उन्होंने किया।