विदिशा(विश्व परिवार) | संत शिरोमणिआचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के महाप्रयाण को अभी तक हम लोग भूल भी नहीं पाऐ थे कि जिन शासन का एक और सूर्य गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज ने इस नशवर देह को त्याग कर इस संसार से विदा ले ली। सकल दि. जैन समाज विदिशा के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया प्रातःकाल के अंतिम पहर में 2:30 बजे गणाचार्य विरागसागर जी महाराज ने समाधि ले ली समाचार बहूत दुःखद था एवं समूचा भक्त स्तब्ध रह गया।नगर विदिशा के श्री शांतिनाथ जिनालय में गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के श्री चरणों मे श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये आचार्य श्री निर्भयसागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री सुदत्त सागर जी मुनि श्री भू दत्त सागर जी एवं क्षुल्लक श्री चद्रदत्त सागर जी महाराज मुनिसंघ के सानिध्य में विनयांजलि सभा रखी गई। विनयांजलि सभा को विदिशा सकल दि. जैन समाज की ओर से एस एस एल जैन टृस्ट के अध्यक्ष संजय सेठ, मुनिसेवक संघ के सुनील मेमसाब सहित कयी श्रावक श्रैष्ठिओं ने श्रदांजलि अर्पित कर गणाचार्य विरागसागर जी महाराज को याद किया पं. महेंद्र जैन विदिशा ने संचालन किया प्रवक्ता अविनाश जैन बताया गणाचार्य विरागसागर जी महाराज का सानिध्य विदिशा बासिओं को 8 दिन का 2013 में मिला था आपके साथ 69 पिच्छीका दिनांक 17 दिसंवर 2013 को भोपाल रोड़ से आऐ थे एवं अरिहंत विहार में 8 दिन की धर्मप्रभावना उपरांत 24 दिसंवर को आपका विहार सागर रोड़ पर हुआ था।आपका जीवन परिचय देते हुये बताया आपका जन्म 2 मई 1963 को धर्म नगरी पथरिया के श्रावक श्रैष्ठी श्री कपूर चंद जी एवं माता श्यामा देवी के परिवार में हुआ एवं 17 वर्ष की उम्र में गृह त्याग कर आचार्य सन्मति सागर जी महाराज से 2 फरबरी1980 को बुडा़र मध्यप्रदेश में क्षुल्लक दीक्षा धारण की तथा 9 दिसंबर 1983 में आचार्य विमलसागर जी महाराज से महाराष्ट्र केऔरंगाबाद में भव्य जैनेश्वरी दीक्षा ली, तथा 8 नवम्वर 1992 में द्रोणगिरि जिला छतरपुर मध्यप्रदेश में आचार्य पद ग्रहण करने के पश्चात एक बड़ा यति संघ स्थापित किया जो वर्तमान में जैन धर्म की महती प्रभावना कर रहा हैं जिसमें आचार्य विशुद्ध सागर जी,आचार्य विभव सागर जी,आचार्य विनम्र सागर जी, सहित नौ आचार्य है, आपने अपने जीवनकाल में 427 दीक्षाऐं प्रदान की जिसमें 83 मुनि4 गणनी आर्यिका69 आर्यिका 5 ऐलक एवं 25 क्षुल्लक25क्षुल्लिकाऐं शामिल है। आपके संघ सानिध्य में वर्ष 2023 में विरागोदय तीर्थ पथरिया में युगप्रतिक्रमण विशाल संत सम्मेलन हुआ था जिसकी चर्चा सर्वत्र हुई थी।