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स्वाध्याय से पुण्य की प्राप्ति और कर्मों की निर्जरा होती हैं – आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी

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टीकमगढ़(विश्व परिवार)  | आचार्य श्री सुमति सागर जी एवं विद्या भूषण आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज की शिष्या गणिनी आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी का मंगल प्रवेश टीकमगढ़ में हुआ।बुंदेलखंड के सिद्ध क्षेत्र अतिशय क्षेत्र की यात्रा कर आपने नगर में प्रवेश कर नगर के पारस धाम, बड़ा मंदिर ,नया मंदिर ,बाजार ,जिनालयों में दर्शन किए। आचार्य श्री विशद सागर जी महाराज के संघ सहित दर्शन कर जुलूस का समापन वेद कॉलोनी पारस जिनालय वेद कॉलोनी टीकमगढ़ में हुआ आयोजित धर्म सभा में आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी ने बताया कि वर्षायोग में साधु चातुर्मास करते हैं ,किंतु साधुओं के साथ श्रावको का भी चातुर्मास होता है। आपको असीम पुण्य से तीर्थंकर कुल जैन धर्म में मनुष्य पर्याय मिली है, इसलिए देव शास्त्र गुरु रतनत्रय रूपी धर्म देशना से जीवन में परिवर्तन लाना चाहिए ।
संसार के आवागमन से मुक्त होने के लिए आपको देव शास्त्र गुरु सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान सम्यक चारित्र अणुव्रत महावृत तप संयम को अपनाने से पुरुषार्थ करने पर सिद्धालय की प्राप्ति हो सकती है स्वाध्याय से ज्ञान प्राप्त होता है जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करता है इसलिए धर्म को धारण कर पुरुषार्थ कर मोक्ष मार्ग का पथिक होना चाहिए।नियम छोटा या बड़ा हो उस से पुण्य का आश्रव होता है तथा कर्मो की निर्जरा होती है समाज संरक्षक अनिल भदौरा,एवं अध्यक्ष राजेंद्र अनुसार आर्यिका श्री विश्वयश मति माताजी ने बताया कि पुण्यशाली जीवो को चातुर्मास का लाभ मिलता हैं धर्म सभा में उदासी के बजाय उत्साह शरीर,नेत्रों चेहरे से प्रगट होना चाहिए। आप यह भाव मत बनाओ कि हम चातुर्मास करा रहे हैं,वरन यह भावना होना चाहिए कि हमें पुण्य के कारण साधुओं का समागम वर्षायोग मिला है आर्यिका माताजी ने परमपूज्य आचार्य श्री विराग सागर जी का गुणानुवाद कर भावांजलि अर्पित की।इसके पूर्व इंदौर राजेश पंचोलिया महावीर जी आदि से बाहर से पधारे अतिथियों का समाज द्वारा सम्मान किया गया। इस अवसर पर राजा कारी,अनिलभदौरा,जिनेन्द्र,राकेश,प्रकाश चंद्र, सचिन ,अरुण,पवन वेद्य मिंटू,प्रमोद, किरण,सपना,सविता एवं श्वेता ने आर्यिका श्री सृष्टि भूषण एवम आर्यिका श्री विश्व यश में माताजी को वर्ष 2024 के वर्षायोग के लिए श्रीफल भेंट किया।

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