Home धर्म कुलचाराम हैदराबाद औरंगाबाद अन्तर्मना प्रसन्न सागरजी महाराज

कुलचाराम हैदराबाद औरंगाबाद अन्तर्मना प्रसन्न सागरजी महाराज

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अँधेरे से नहीं — अँधेरे में रखने वालों से बचिये..!
(विश्व परिवार)। मनुष्य – जितना आधुनिक सुख सुविधाओं में जीवन जी रहा है, वह उतना ही बनावटी और कृत्रिम जीवन जीने का ढोंग रच रहा है। सब कुछ बनावटीपन का है — सफेद बाल पर काला रंग, शरीर की गन्ध को छुपाने के लिए आधुनिक सुगन्ध-स्प्रे आदि, उसके वस्त्र नकली, चेहरा नकली, हँसी नकली, रिश्ते नकली, भोजन नकली, [रंग और गन्ध से भरा बे-स्वाद] और भी बहुत कुछ नकली।
मनुष्य हर तरह से बनावटीपन का जीवन जी रहा है। मनुष्य का शरीर देखने और दिखाने का ही ढांचा रह गया है। सब कुछ यांत्रिक हो गया है, आधुनिक यन्त्रों के बिना मनुष्य अब जी नहीं सकता। आधुनिक यन्त्रों के साथ जीते जीते उसका जीवन यांत्रिक हो गया है, इसलिए मनुष्य असहाय और परेशान नजर आ रहा है…!!!

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