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आठ सौ सालों से मनाया जा रहा बस्तर दशहरा ‘पाट जात्रा’ से शुरू, 75 दिनों तक चलेगा यह पर्व

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आठ सौ सालों से मनाया जा रहा बस्‍तर दशहरा l
अराध्य देवी मां दंतेश्वरी के प्रति आस्था का है पर्वl
दंतेश्वरी मंदिर के सामने पूरी हुई रस्म

जगदलपुर(विश्व परिवार)। विश्व में सबसे लंबी अवधि 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा पर्व का रविवार को शुभारंभ हो गया। मां दंतेश्वरी मंदिर के समीप पर्व का पहला अनुष्ठान पाट जात्रा संपन्न हुआ। इस अवसर पर सांसद महेश कश्यप, महापौर सफीरा साहू, कलेक्टर विजय दयाराम के, मांझी, मुखिया सहित बस्तर दशहरा समिति के अनेक सदस्य उपस्थित थे। पाट जात्रा में साल की लकड़ी की पूजा की जाती है। जिसका उपयोग रथ निर्माण के लिए औजार तैयार करने में किया जाता है। इस वर्ष बस्तर दशहरा 19 अक्टूबर को संपन्न होगा।
इसके लिए सिरहासार चौक के समीप राजमहल के सामने साल की लकड़ी जिसे स्थानीय बोली में ठुरलू खोटला कहा जाता है उसे एक दिन पहले शनिवार को ही माचकोट जंगल से लेकर रख दी गई है। सुबह 11 बजे बस्तर दशहरा समिति के पदाधिकारियों, मांझी, मुखिया, मेंबर-मेंबरिन व आम जनों की उपस्थिति में पाट जात्रा की रस्म पूरी की गई।
पर्व का समापन 19 अक्टूबर को दंतेवाड़ा से बस्तर दशहरा पर्व में शामिल होने आने वाली मावली माता की डोली की विदाई से होगी। पाट जात्रा से लेकर मावली माता की डोली की विदाई तक पूजा विधान की 15 प्रमुख रस्में होंगी। बस्तर की संस्कृति के इस अनूठे बस्तर दशहरा पर्व में सभी वर्ग, समुदाय, जातियों का योगदान महत्वपूर्ण होता है।
बस्तरवासियों की बस्तर की अराध्य देवी मां दंतेश्वरी को समर्पित व अगाध प्रेम और आस्था से ओतप्रोत इस पर्व में सहकार और समरसता का विलक्षण रूप देखने को मिलता है। पिछले लगभग आठ सालों से मनाए जा रहे बस्तर दशहरा में रावण वध की परंपरा शामिल नहीं है बल्कि यह महिषासुर का वध करने वाली मां दुर्गा की अराधना और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। बस्तर दशहरा पर्व में लकड़ी के विशाल रथ का निर्माण कर उसमें माता की डोली विराजित की जाकर रथ का परिचालन किया जाता है।
बस्तर दशहरा महापर्व-2024 का कार्यक्रम विवरण
चार अगस्त: पाट जात्रा पूजा विधान, मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने।
16 सितंबर: डेरी गड़ाई पूजा विधान, सिरहासार भवन में।
दो अक्टूबर: काछनगादी पूजा विधान, भंगाराम चौक स्थित काछनगुड़ी।
तीन अक्टूबर: कलश स्थापना पूजा विधान, शहर के सभी मां दंतेश्वरी मंदिर।
चार अक्टूबर: जोगी बिठाई पूजा विधान, सिरहासार भवन में।
पांच से 10 अक्टूबर तक:
प्रतिदिन नवरात्रि पूजा विधान, रथ परिक्रमा पूजा विधान सिरहासार भवन से गाोलबाजार होते हुए मां दंतेश्वरी मंदिर तक।
10 अक्टूबर: बेल पूजा विधान, ग्राम सरगीपाल बेल चबूतरा में।
11 अक्टूबर: महा अष्टमी पूजा विधान, मां दंतेश्वरी मंदिर में एवं निशा जात्रा पूजा विधान अनुपमा चौक के समीप।
12 अक्टूबर: कुंवारी पूजा विधान मां दंतेश्वरी मंदिर, जोगी उठाई सिरहासार भवन एवं मावली परघाव कुटरू बाड़ा के सामने पैलेस रोड।
13 अक्टूबर: भीतर रैनी पूजा विधान, रथ परिक्रमा सिरहासार से मां दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण से कुम्हड़ाकोट तक।
14 अक्टूबर: बाहर रैनी पूजा विधान कुम्हड़ाकोट में एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान कुम्हड़ाकोट से मां दंतेश्वरी मंदिर तक।
15 अक्टूबर: काछन जात्रा पूजा विधान, मुरिया दरबार सिरहासार भवन में।
16 अक्टूबर: कुटुम्ब जात्रा पूजा विधान गंगामुंडा जात्रा पश्चात ग्राम देवी-देवताओं की विदाई महात्मा गांधी स्कूल गीदम रोड।
19 अक्टूबर: मावली माता की डोली की विदाई पूजा विधान दंतेश्वरी मंदिर में एवं दिन में 12 बजे जिया डेरा से दंतेवाड़ा के लिए प्रस्थान।

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