एटा(विश्व परिवार)। जैनों के “गणेश ” गणधर वलय स्तोत्र सेमिनार के समापन के पश्चात भारत गौरव आर्यिका 105 श्री विशुद्धमती माता जी के आर्शीवाद से गुरुवार को शिविरार्थियों की परीक्षा संपन्न हुई जिसके तीन परीक्षा केंद्रों में लगभग 400 शिविरार्थियों ने परीक्षा दी पुरुष वर्ग बड़े जैन मंदिर में महिला वर्ग ग्रीन गार्डन में एवं बालिका वर्गों ने अपनी ड्रेस में समय से पूर्व नेमिनाथ जिनालय पहुंचकर परीक्षा दी।
,पट्ट गणिनी आर्यिका105 विज्ञमति माताजी ने बताया समय रहते बच्चों को संस्कार देना चाहिए, सोने के निब से कोई पढ़ नहीं पाया है गुरु के चरणों में आकर तप कर हम भी निखर गए, गुरु दूरदर्शी होते हैं मूल की गल्ती से ऊंचे शिखर का कलश बनने की पात्रता हमारे अंदर नहीं आ पायी हैं। लेकिन मन के अंदर की कषाय हमें आगे नहीं बढ़ने देती।
उन्होंने कहा जिस तरह पत्थर एक भी बूंद को शोषित नहीं करता है वहीं माटी एक भी बूंद को छोड़ती नहीं है प्रथम चरण आचरण का मसीहा बना देगा! तन के परिणामों को देखते हुए मन के परिणाम की ऊंचाइयों तक पहुंचने का प्रयास करें! संस्कार समय रहते अगर दे दिए जाएं तो जीवन भर आप धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलते रहेंगे , 14 दिन गणधर वलय स्तोत्र के माध्यम से सभी ने ज्ञानार्जन किया अब परीक्षा की घड़ी है देखते हैं कि किसने कितना ज्ञान प्राप्त किया यह स्तोत्र आपके जीवन में उतर जाना चाहिए छूटना नहीं चाहिए।
परीक्षक के रुप में वी ए एस प्राइम मैनेजिंग ग्रुप मालपुरा राजस्थान की टीम ने तीनों परीक्षा केन्द्रों में उपस्थित रहकर निर्विघ्न शांति पूर्वक परीक्षा संपन्न कराई,बाल ब्रह्मचारिणी अदिति दीदी,प्रियंका दीदी एवं श्रीमान भागचंद्र कागला, विमल कठमाणा, मुन्ना लाल जैन, राजू पचेवर,अशोक जैन लावा, मनोज जैन,, शुभम जैन, कमल जैन, श्रीमती मेघा जैन,एवं शिविरार्थियों में श्रीमान शैलेन्द्र जैन, प्रदीप जैन, आयुष जैन, चिराग जैन, राघवेंद्र जैन, उद्देश्य जैन, श्रीमती बबिता जैन “प्रेरणा” शैलेश जैन, मंजू जैन, साधना जैन, ममता जैन, रजनी जैन चिंकी जैन, संजना जैन, टिशा जैन, सोनाली जैन, परी जैन, खुशी जैन एवं तान्या जैन आदि परीक्षा में शामिल हुईं।