बिलासपुर (विश्व परिवार)। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के दौर में निगम,मंडल,बोर्ड व प्राधिकरण की कुर्सी पर काबिज नेताओं की अब छुट्टी तय हो गई है। राज्य की सत्ता पर भाजपा की वापसी हो गई है। नई सरकार के गठन के बाद विभिन्न मंडलों व बोर्ड में काबिज कांग्रेेसी नेताओं के इस्तीफे का दौर चलेगा। त्यागपत्र ना देने वाले नेताओं की सरकार की ओर से छुट्टी भी तय की जाएगी। भाजपा के दिग्गज नेताओं की नजरें भी इस ओर लगी हुई है। सरकार बनने के बाद सबसे पहले निगम मंडल व बोर्ड में बैठे कांग्रेसी ही निशाने पर रहेंगे । प्रदेश में सरकार बदलते ही अब बोर्ड ओर प्राधिकरण के पदाधिकारियों के कार्यकाल की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। आमतौर पर यह माना जाता है कि जिस पार्टी की सरकार प्रदेश में होती है उनके हिसाब से नियुक्तियां होती है, और सरकार के बदलते ही नैतिकता के नाते पदों पर काबिज नेता राजनीतिक सूचिता का पालन करते हुए अपना पद छोड़ देते हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की घोषणा होने और सरकार के कामकाज प्रारंभ करते ही इस्तीफों का दौर प्रारंभ होगा। जाहिर सी बात है कि दिग्गज भाजपा नेताओं की नजरें भी इस ओर लगी हुई है। दिग्गजों की चिंता अपने समर्थकों को महत्वपूर्ण जगहों पर काबिज कराना भी है। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपाई दिग्गजों ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भी नजदीक से देखा है। नाराजगी के चलते 15 साल की सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।
- कैबिनेट में लेना होगा निर्णय
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष के अलावा सहकारी समितियों में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ताओं को काबिज किया था। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष व समिति के पदाधिकारियों को उनके पदों से हटाने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कराना होगा। इसके बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया के चलते इनके पद एक से दो महीने सुरक्षित रहेगा। इसके बाद प्रक्रिया पूरी कर इनको पद से हटाया जाएगा।