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मंदाकिनी दीदी ने अपने प्रवचनों से बनाई अलग पहचान ‘पण्डित रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार’ से सम्मानित

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भगवान श्रीराम का व्यक्तित्व विराट और मर्यादाओं से परिपूर्ण : मुख्यमंत्री डॉ यादव

भोपाल(विश्व परिवार)। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव तुलसी मानस प्रतिष्ठान एवं संस्कृति विभाग द्वारा मानस भवन में आयोजित पद्मभूषण युगतुलसी पंडित श्रीरामकिंकर उपाध्याय, राष्ट्रीय पुरस्कार-2024 अलंकरण समारोह में शामिल हुए। उन्होंने समारोह में शॉल, श्रीफल, सम्मान पट्टिका और दो लाख रुपये की राशि का चेक प्रदान कर दीदी मंदाकिनी को ‘पण्डित रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार’ से सम्मानित किया। उन्होंने इस मौके पर तुलसी मानस भारती पुस्तिका का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम के विराट व्यक्तित्व और उनके जीवन ने मर्यादाओं का पालन करने का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति: 2020 लागू की गई है। इसमें प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अध्यात्म एवं संस्कृति से जुड़े पाठ्यक्रमों का संचालन प्रारंभ किया गया है। उन्होंने भगवान श्रीराम के कृतित्व और व्यक्तित्व की व्याख्या की है।
मंदाकिनी दीदी ने अपने प्रवचनों से बनाई अलग पहचान
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने रामायण के हनुमान, सुग्रीव, माता कैकयी, राजा दशरथ सहित विभिन्न पात्रों से संबंधित प्रसंग सुनाए। उन्होंने दीदी मंदाकिनी को साधना के 25 वर्ष पूर्ण करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि दीदी मंदाकिनी को सम्मानित करने से राज्य सरकार का मान बढ़ा है। मंदाकिनी दीदी ने अपने प्रवचनों से अलग पहचान बनाई है। मेरी ओर से उनको बहुत बहुत बधाई।
समारोह में दीदी मंदाकिनी ने कहा कि पंडित रामकिंकर उपाध्याय महाराजश्री ने अध्यात्म के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया। वे ब्रह्मलीन होकर भी मानस के माध्यम से हमेशा हमारे बीच बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ यादव प्रदेश में निरंतर संस्कृति एवं अध्यात्म के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहे हैं। दीदी मंदाकिनी ने मुख्यमंत्री डॉ यादव से प्रदेश में अध्यात्म विश्वविद्यालय की स्थापना करने की मांग की। उन्होंने कहा कि आज के दौर में आध्यात्मिकता की बहुत जरूरत है।
संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेद्र सिंह लोधी ने कहा कि पंडित रामकिंकर उपाध्याय ने सनातन संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने 49 वर्षों तक रामचरित मानस पर प्रवचन दिए हैं। वे मानस मर्मज्ञ, कथावाचक एवं हिन्दी के श्रेष्ठ साहित्यकार थे। उन्होंने जो उपदेश दिए वे सदियों तक मार्गदर्शन देते रहेंगे। उनकी स्मृति में मुख्यमंत्री डॉ. यादव के कर-कमलों द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जाना सराहनीय है।
तुलसी मानस प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि तुलसी मानस प्रतिष्ठान लगातार विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करता रहता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव का प्रयास अतुलनीय है। संस्कृति संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया। प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में सांची विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. वैद्यनाथ लाभ, प्राचार्य नूतन महाविद्यालय प्रो. सुरेंद्र बिहारी गोस्वामी, पत्रकार, छात्र-छात्राएं तथा अध्यात्म और संस्कृति से जुड़े नागरिक उपस्थित थे।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग अंतर्गत तुलसी शोध संस्थान द्वारा वार्षिक ‘पद्मभूषण युगतुलसी पण्डित रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार’ की स्थापना वर्ष 2024 से की गई है। यह सम्मान ‘धार्मिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने, भारतीय ज्ञान परम्परा के पौराणिक आख्यानों के प्रवाचकों अथवा इन्हीं विषयों से संबंधित श्रेष्ठ लेखन/पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में स्थापित किया गया है। इस पुरस्कार के अंतर्गत दो लाख रुपये की सम्मान राशि एवं सम्मान पट्टिका भेट की जाती है।

 

 

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