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स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुंगेली जिले में ध्वजारोहण के बाद एसपी के कबूतर उड़ाने का 9 सेकेंड का वीडियो वायरल

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मुंगेली। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुंगेली जिले में ध्वजारोहण के बाद एसपी के कबूतर उड़ाने का 9 सेकेंड का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो को ‘पंचायत’ वेब सीरीज के तीसरे सीजन से जोड़ते हुए देखा और शेयर किया जा रहा है. लेकिन इस घटना की पूरी सच्चाई कुछ और ही है, जिसे आप केवल घटना के पूरे वीडियो को देखने के बाद ही जान पाएंगे. मीडिया आपके लिए इस घटना के पूरे वीडियो के साथ इस वाकये की पूरी सच्चाई बताने जा रहे हैं, ताकि पाठकों को यह पूरा माजरा समझ मे आ सके।
वायरल वीडियो में क्या है ?
सोशल मीडिया पर एसएसपी के तेजी से वायरल हो रहा वीडियो केवल 9 सेकेण्ड का है, जो मुंगेली में 15 अगस्त के अवसर पर आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम का है. इसे वायरल करने वाले ने पूरे वीडियो में से छोटा सा क्लिप मात्र को वायरल किया है. सोशल मीडिया यूजर्स इस क्लिप को पंचायत सीजन 3 के कबूतर सीन्स से रिलेट कर (जोड़कर) देख रहे हैं. वायरल वीडियो में देखा जा रहा है कि एसएसपी गिरिजाशंकर जायसवाल शांति के प्रतीक के रूप में जो कबूतर आसमान में छोड़ रहे हैं, वह नीचे की ओर गिर गया. जबकि मुख्य अतिथि पुन्नूलाल मोहले और कलेक्टर राहुल देव ने जो कबूतर छोड़े वह आसमान की तरफ उड़ गया।
जानिए पूरा वीडियो मे क्या है
मुंगेली के इस कार्य्रकम में शांति के प्रतीक कपोत आसमान में उन्मुक्त करने की परंपरा का पूरा वीडियो करीब 1 मिनट का है. जबकि वायरल वीडियो केवल 9 सेकेंड का है।
दरअसल सबसे पहले मुख्य अतिथि विधायक पुन्नूलाल मोहले ने आसमान में कबूतर छोड़े और फिर दूसरे नंबर पर कलेक्टर राहुल देव के द्वारा छोड़ा गया. कबूतर भी उड़ गया, लेकिन जब एसएसपी की बारी आई उन्होंने आसमान की ओर कबूतर छोड़ा तो वह उड़ नहीं पाया और नीचे की ओर गिरने लगा. यह सब देख एसएसपी समेत विधायक और कलेक्टर भी अचंभित थे, कि आखिर कबूतर उड़ा क्यों नही. जिसके तुंरत बाद दूसरा कबूतर एसएसपी के हाथ मे दिया गया. जिसे एसएसपी ने छोड़ा और वह आसमान की ओर उन्मुक्त हो गया।
क्यों नहीं उड़ पाया कबूतर
मुंगेली में पशु चिकित्सा सेवा के उपसंचालक डॉ. आर एम त्रिपाठी ने बताया कि एसएसपी द्वारा छोड़े जाने वाला कबूतर जो उड़ नहीं पाया, उसको लेकर बताया कि उस कबूतर का पंख फंस गया था, जिसके चलते व उड़ान नहीं भर पाया. वहीं इस घटना के बाद उसके बीमार होने की आशंका पर उसे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन जैसे ही पिंजरा खोला गया, कबूतर तुंरत उड़कर भाग खड़ा हुआ. इस पूरे वाकये को लेकर डॉक्टरों ने कहा कि उड़ान ना भर पाने के पीछे दो कारण हो सकते हैं. एक तो उस कबूतर का पंख फंस गया था, दूसरा लाउडस्पीकर भी चल रहा था. इसके साथ ही वहां काफी भीड़ थी, जिससे कबूतर असहज भी हो गया था. इस कारण वह नहीं उड़ पाया.
उन्होंने कहा कि यह तो बहुत सामान्य सा वाक्या है, हर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर 4 कबूतर कार्यक्रम स्थल में लाया जाता है, तीन आसमान में छोड़े जाते हैं और एक आपातकालीन के लिए रखा जाता है. कल भी ऐसा ही हुआ. डॉक्टर ने बताया कि न सिर्फ पशु पक्षी बल्कि इंसान भी कभी कभी असहज महसूस करता है और सदमे में आ जाता है. कबूतर पूरी तरह स्वस्थ था।
राष्ट्रीय पर्व के कार्यक्रम की तुलना रील लाईफ से जोड़ना कितना उचित ?
इस घटना को लेकर बिना सच्चाई जाने कई लोगों ने तो यह तक भी कह दिया कि एसएसपी ने जो कबूतर उड़ाए वह आसमान में उड़ने की बजाय नीचे गिर कर मर गया . जबकि लेकिन सच्चाई आपके सामने है. वहीं कुछ लोगों ने पंचायत सीजन 3 के रील लाइफ की तुलना रियल लाइफ से भी कर दिया. जबकि राष्ट्रीय पर्वों से जुड़े घटनाओं से तुलना करना सही नहीं है. क्योंकि आजादी का यह पर्व हम सब देशवासियों के लिए गर्व का विषय और इससे जुड़े किसी भी परम्परा को लेकर मीम्स बनाना या मजाक बनाने जैसा मटेरियल परोसना कितना सही प्रतीत होता है?
पंचायत सीज़न 3 में विधायक के किरदार पर जो सबसे बड़ा आरोप लगा, वह जानवरों के प्रति उनकी कथित क्रूरता थी. विधायक को एक कुत्ते को मारकर खाने के लिए दोषी ठहराया गया था. कबूतर को छोड़ने की कोशिश करते समय उनके हाथों कबूतर की मौत ने उनके नाम को और कलंकित कर दिया. लेकिन यह रील लाइफ का मसला है. ऐसे सीन्स को स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय महापर्व के किसी परंपरा से जोड़कर बिलकुल भी उचित नहीं है, क्योंकि 15 अगस्त और 26 जनवरी के पर्व पर आयोजित मुख्य समारोह में शान्ति के प्रतीक के रूप में अतिथि एवं अधिकारियों के द्वारा आसमान में कपोत उन्मुक्त करने की परंपरा काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

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