Home दिल्ली वात्सल्य का महापर्व, रक्षाबंधन – आचार्यश्री विमर्शसागर जी

वात्सल्य का महापर्व, रक्षाबंधन – आचार्यश्री विमर्शसागर जी

30
0

दिल्ली(विश्व परिवार)। कृष्णानगर जैन मंदिर में परमपूज्य भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्शसागर महामुनिराज के पावन सानिध्य में मची हुई हैं आयोजनों की धूम। जैन श्रमण संस्कृति से संबद्ध रक्षाबंधन महापर्व का भव्य आयोजन आचार्य श्री के ससंघ सानिध्य में सम्पन्न हुआ। प्रातः जिनेन्द्र भगवान का मांगलिक अभिषेक एवं शान्तिधारा की गई जिसका सोभाग्य श्री टीनू, मीनू जैन परिवार को प्राप्त हुआ भगवान श्रेयांसनाथ (जैन धर्म के ११वें व तीर्थंकर) के मोक्षकल्याणक के पावन प्रसंग पर जिनपूजा एवं जैन धर्म के 19 वे तीर्थंकर भगवान मल्लिनाथ स्वामी के काल में आचार्य अकंपन स्वामी के 700 मुनिराजों के संघ पर घोर उपसर्ग हुआ था जो विष्णुकुमार मुनिराज के माध्यम से दूर हुआ । तभी से वात्सल्य का यह महापर्व रक्षाबंधन भारत में प्रचलित हुआ। आचार्य श्री ने अपने धर्मोंपदेश के माध्यम से बताया है कि जैन धर्म में रक्षाबंधन पर्व वात्सल्य का पर्व है। रक्षाबंधन पर्व सिद्धान्त की प्रयोगशाला में आचरण का शंखनाद है। आचार्य अंकपन स्वामी आदि मुनिराज एवं विष्णुकुमार मुनि आचरण के प्रस्तोता है। दिगम्बर संतों ने जिनागम कथित दृढ़ श्रद्धा, तप, त्यागमय आचरण को जगत में प्रसिद्ध किया है। आगमानुसार चर्या का पालन करने वाले आचार्य अकंपन स्वामी के संघ पर घोर उपसर्ग होता जानकर मुनिवर विष्णुकुमार ने अपनी श्रेष्ठ साधना के फल से प्राप्त विक्रिया ऋद्धि के द्वारा उपसर्ग निवारण कर जो परस्पर साधु वात्सल्य का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया वही दिन रक्षाबंधन पर्व के रूप में विख्यात हुआ है। जैन शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन विशुद्ध धार्मिक पर्व है। इस दिन श्रमण संघ एवं श्रावक के मध्य वात्सल्य का मधुर संबंध स्थापित हो। इस दिन श्रावक मुनि संघ की पूजा आराधना करें एवं अपने धर्मायतनों की रक्षा का संकल्प दुहरावें । सभी साधक, पंथवाद एवं जातिवाद की दीवारों में बचकर विष्कुकुमार मुनि का आचरण अपनायें । प्रवचन के उपरान्त 700 जोड़ों के माध्यम से आचार्य संघ का भव्य पड़‌गाहन किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here