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पट्ट गणिनी आर्यिका विमलप्रभा माताजी सानिध्य में मनाया गया रक्षाबंधन पर्व श्रेयांश नाथ भगवान को चढ़ाया गया निर्वाण लाडू

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रामगंजमंडी(विश्व परिवार)। परम पूजनीय पट्ट गणिनी आर्यिका 105 विमलप्रभा माताजी एवम संघस्थ आर्यिका 105 श्री विजय प्रभा माताजी, क्षुल्लिका 105 श्री विनीतप्रभा माताजी, क्षुल्लिका 105 श्री सुमैत्री श्री माताजी संघ सन्निध्य में रक्षाबंधन पर्व मनाया गया पर्व के अंतर्गत सर्वप्रथम श्री जी का अभिषेक शांति धारा नित्य पूजन के उपरांत श्रेयांश नाथ भगवान का पूजन, अकंपनाचार्य आदि 700 मुनियों की पूजन भक्ति भाव के साथ मूल नायक शांतिनाथ भगवान के समक्ष की गई पूजन उपरांत निर्वाणकांड बोलते हुए अर्ध समर्पण कर निर्वाण लाडू समर्पित किया गया जिसे विशेष रूप से बनाया गया था। इसके उपरांत मंदिर की में विशेष रूप से सजाई गई राखी बांधी गई। मंदिर में इस आयोजन को लेकर काफी उत्साह था। इसके उपरांत पद्मावती माता को भी राखी समर्पित की गई। इस अवसर पर पूज्य गुरु मां की पिच्छिका पर भी भक्तों ने रक्षा सूत्र बांधकर गुरु मां की एवं धर्म की साधु संतों की सेवा का संकल्प लिया।
इस पुनीत बेला में पट्ट गणिनी आर्यिका 105 विमलप्रभा माताजी ने रक्षाबंधन के पर्व पर इसके महत्व को बताते हुए कहा कि हम आज रक्षाबंधन पर्व मना रहे हैं, रक्षाबंधन के साथ-साथ आत्म धर्म की भी रक्षा करो। दीपावली, महावीर जयंती व्यक्ति विशेष पर्व है लेकिन रक्षाबंधन पर्व एक विशेष पर्व है। रक्षाबंधन पर्व स्वर्णिम संस्कृति एवं इतिहास को प्रेरित करता है। जैन दर्शन में रक्षाबंधन पर्व का विशेष महत्व है इस पर्व के दिन 700 मुनियों का उपसर्ग दूर हुआ था। मुनि धर्म सुरक्षित है तो श्रावक धर्म भी सुरक्षितहै। मुनि धर्म से ही एवं मुनियों से ही श्रावक को धर्म का ज्ञान होता है। इस पर्व को राष्ट्रीय सांस्कृतिक पर्व भी कहते हैं। रक्षाबंधन पर्व वात्सल्य की भूमिका देता है भाई बहन का रिश्ता पवित्र होता है। यह पर्व हमें रोशनी देता है जिसे हम भुला नहीं सकते। यह एक महापर्व है जो सिद्धांत सामाजिक रीति से जुड़ा हुआ है। यह रक्षा सूत्र है और रक्षा सूत्र के साथ धर्म के सूत्र से साथ संयम एवं ब्रह्मचर्य के सूत्र से बंधना चाहिए वात्सल्य अंग सम्यक दर्शन का प्रतीक होता है। जो त्यागी व्रती की आराधना करता एवं नगर में उनके आने पर उनकी सेवा करता है यह वात्सल्य अंग को दर्शाता है। पूज्य माताजी ने कहा कि जिन धर्म जिन शासन वह सूत्र है उसके प्रति संकल्पित हो तभी यह रक्षाबंधन बनाना सार्थक होगा।

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