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गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के संघस्थ शिष्य और अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन युवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जीवन प्रकाश जी जैन : एक आदर्श युवा व्यक्तित्व

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“47वें जन्मदिवस पर सादर प्रस्तुत”

कोल्हापूर(विश्व परिवार)। समाज में सामान्य श्रावकों की संख्या एवं भूमिका अवश्य ही समाज के विकास के लिए लाभदायक सिद्ध होती है। लेकिन कुछ अद्भुत प्रतिभासम्पन्न विरले महामानओं की खोज की जावे, तो समाज में ऐसे पुरुष जिन्हें महापुरुष की संज्ञा दी जा सकती है, वे बहुत कम संख्या में ही मिलते हैं। यह बात भी निश्चित है कि हर काल एवं समय में समाज, धर्म एवं संस्कृति के उत्थान हेतु ऐसे महानुभावों का अस्तित्व अवश्य ही देखने को मिलता है।
इसी श्रृँखला में इस वर्तमानकालीन युग को भी अनेक विभूतियाँ प्राप्त हुई और इस बीसवीं-इक्कीसवीं शताब्दी में भी अनेक निष्काम सेवा के धनी महानुभावों ने समाज की सेवा करके इसका विकास किया। इस शृँखला में बीसवीं सदी के प्रथमाचार्य चारित्रचक्रवर्ती श्री शांतिसागर जी महाराज का महान व्यक्तित्व एवं कृतित्व इस समाज द्वारा कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने जैन संस्कृति के संरक्षण में जो अवदान दिये हैं, वे सदा अतुल्य ही रहेंगे।
आगे इसी परम्परा के चमकते सितारे के रूप में हमें पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी का वरदहस्त प्राप्त हुआ और उनके द्वारा वर्तमान में की गई धर्मप्रभावना एवं संस्कृति संरक्षण के कार्य समाज के समक्ष उपस्थित हैं। ऐसी पूज्य माताजी के उपकारों से भी यह समाज कभी उऋण नहीं हो सकता। और भी धर्म के प्रति विभिन्न समर्पित व्यक्तित्वों ने अपना समाज विकास हेतु योगदान दिया, उनमें एक हैं गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के संघस्त शिष्य बाल ब्रम्हचारी डॉ जीवन प्रकाश जैन जी।
डॉ जीवन प्रकाश जैन जी का जीवन काफी रोचक रहा है। आज हम उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं…
डॉ जीवन प्रकाश जैन जी का जन्म 26 अगस्त 1978 को भोपाल में धार्मिक परिवार में हुआ | उनके माता का नाम श्रीमती प्रेमलता जैन और पिताजी का नाम श्री एल.सी. जैन है | भक्तामर स्तोत्र की उद्गम भूमि धार (म.प्र.) में मानतुंगगिरी दिगंबर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र की निर्देशिका एवं गुजरात संत केसरी आचार्य श्री भरतसागर जी महाराज की शिष्या, क्षुल्लिका श्री चंद्रमती माताजी आपकी गृहस्थ बहन हैं। दीपक-रचना जैन, सोनू-संजय जैन उनके भाई बहन का नाम है | डॉ जीवन प्रकाश जैन जी को हिंदी और अंग्रेजी भाषाएँ ज्ञात है |
शैक्षणिक योग्यता –
* होलकर विज्ञान महाविद्यालय (स्वशासी), देवी अहिल्या विश्वविद्यालय-इंदौर (म.प्र.) से एम.एस.सी. (गणित) प्रथम श्रेणी के साथ, वर्ष 1999-2001।
* भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल से “भारत के दार्शनिक ग्रंथों में कुछ गणितीय सामग्री का विश्लेषण” विषय पर पीएचडी ।
व्यवसायिक योग्यता –
इंदौर स्कूल ऑफ सोशल वर्क, डीएवीवी, इंदौर से मानव संसाधन विकास (एचआरडी) के लिए एक वर्षीय प्रबंधन पाठ्यक्रम, प्रथम श्रेणी, वर्ष 2003-2004।
वर्तमान धार्मिक स्थिति –
ब्रह्मचर्य व्रत के साथ गणिनीप्रमुख आर्यिका शिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के ‘संघ’ में शामिल हुए ।
‘ज्ञानमती माताजी के संघ’ में निम्न संत हैं-
गणिनीप्रमुख आर्यिका शिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी की शिष्या प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी एवं अन्य आर्यिकाएँ एवं क्षुल्लिका माताजी, जम्बूद्वीप धर्मपीठ के पीठाधीश, कर्मयोगी स्वस्तिश्री रवींद्रकीर्ति स्वामी जी, भारत में जैन समाज के सबसे समर्पित और प्रसिद्ध व्यक्तित्वों में से एक है | अन्य ब्रह्मचारी-ब्रह्मचारिणी भी ‘संघ’ का अंग हैं |
धार्मिक अध्ययन-
परम जैन साध्वी गणिनी प्रमुख आर्यिका शिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के मार्गदर्शन में पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी द्वारा तत्वार्थ सूत्र, द्रव्य संग्रह, रत्नकरंड श्रावकाचार, गोम्मटसार जीवकांड, नियमसार, पद्मनंदी पंचविंशतिका आदि विभिन्न ग्रंथों का अध्ययन।
विदेश यात्रा –
2007 में दशलक्षण पर्व पर व्याख्यान देने के लिए उत्तरी कैलिफोर्निया अमेरिका के जैन केंद्र द्वारा आमंत्रित किया गया। एक महीने के दौरे में विभिन्न केंद्र शामिल थे – मिलपिटास-कैलिफोर्निया, फीनिक्स-एरिज़ोना, डलास-टेक्सास और ऑरलैंडो-फ्लोरिडा। 2015 में न्यू जर्सी,न्यूयॉर्क, फ्रँकलीन में दशलक्षण पर्व में धर्मप्रभावना के लिए आमंत्रित किया गया।
2019 और 2022 में डॉ जीवन प्रकाश जैन जी को जैनधर्म के सबसे बड़े दशलक्षण महापर्व के अवसर पर अमेरिका के ‘‘जैन सेंटर ऑफ नार्दन कैलीर्फोनिया’’ द्वारा अतिविशिष्ट स्कॉलर के रूप में आमंत्रित किया गया था । जहां पर वह एकमात्र वक्ता के रूप में लगातार 10 दिन तक अमेरिका में मौजूद लोगों के बीच में रहकर जैनधर्म के विभिन्न पहलुओं पर अपने अभिभाषण किए । जिससे अमेरिका में सिर्फ हस्तिनापुर का ही नहीं भारत का भी मान सम्मान और बढा और वहां के लोगों में भारत की प्राचीन संस्कृति के बारे में जानकार धार्मिक भावनाएं पैदा हुई ।
एसी क्रम में वर्तमान में सन 2024 में भी आप हाल ही में 6 सितम्बर को अटलांटा,वॉशिंग्टन डीसी, वर्जीनिया आदी जैन सेंटर में धर्मप्रभावना के लिए प्रस्थान कर रहे हैं |
साहित्यिक उपलब्धियां –
* लगभग 15000 जैन धार्मिक शब्दों के हिंदी व अंग्रेजी दोनो भाषाओं में वर्णन से युक्त एक अत्यंत सम्भावित ग्रंथ “भगवान महावीर हिंदी-अंग्रेजी जैन शब्दकोष” के संकलन में संकलन सहायक के रूप में कार्य किया (वर्ष 2003-2004)।
* मुख्य रूप से “गणिनी ज्ञानमती गौरव ग्रंथ” , “पार्श्वनाथ ग्रंथ” , “आचार्य भारतसागर गौरव ग्रंथ”, प्रज्ञा पुंज ग्रंथ प्रज्ञाश्रमणी चंदनामती माताजी के व्यक्तित्व पर आदि महान स्मारक खंडों के संपादकों में से एक के रूप में काम किया।
* जैन समाज की 51 वर्षीय प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका “सम्यकज्ञान” के संपादक के रूप में डॉ जीवन प्रकाश जैन वर्षों से अपनी सतत सेवाएँ दे रहे हैं।।
* हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में आकर्षक पुस्तक “जम्बूद्वीप दर्शन” के संकलन हेतु कार्य किया ।
* पीठाधीश कर्मयोगी रवींद्रकीर्ति स्वामी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाशित स्मृति पुस्तक “गौरविका” और कर्मयोगी पीठाधीश रवींद्रकीर्ति स्वामी जी के 75 वें हिरक जन्म जयंती के अवसर पर प्रस्तुत आदर्श एवं प्रेरणास्पद सचित्र जीवन दर्शन “साहसीक व्यक्तित्व” ग्रंथ समाज को भेंट की।
* साथ ही आपके द्वारा दिगंबर जैन त्रिलोक संस्थान-जंबूद्वीप के ५० वर्षों की पूर्णता पर “ शरदपूर्णिमा एवं स्वर्ण जयंती” आयोजन हेतु संस्थान की ५० वर्षों की महान उपलब्धियों के चित्रमय इतिहास और संस्मरणों से समाहित “स्वर्णिम सोपान” नामक आकर्षक बहुउपयोगी स्मारिका का निर्माण पिछले ५० वर्षों का आईना बनकर समाज के समक्ष प्रस्तुत है। साथ ही शाश्वत तीर्थंकर जन्मभूमि अयोध्या के विषय में “महातीर्थ अयोध्या” पुस्तक भी आपके परिश्रम का एक महत्त्वपूर्ण व उपयोगी परिणाम है।
शैक्षणिक कार्य –
* जैन धर्म के विभिन्न विषयों पर आधारित 2 महीने का “जैन अध्ययन हेतु ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स” सफलतापूर्वक आयोजित किया गया । इसमें जैन धर्म के अध्ययन के लिए भारत और विदेश में हजारों अभ्यर्थियों ने रुचिपूर्वक भाग लिया (2010-2011-2012)।
* आर्यिका श्री चंदनामती माताजी की प्रेरणा से “गणिनी ज्ञानमती दिगम्बर जैन पत्राचार परीक्षा केन्द्र” का आयोजन।
प्रबंधकीय योगदान –
डीजेआईसीआर के माध्यम से व्यापक रूप से चलने वाली सभी गतिविधियों का एक जिम्मेदार हिस्सा रखने के साथ-साथ शैक्षणिक और सामाजिक कार्यक्रम, प्रकाशन आदि जैसे विभिन्न प्रबंधकीय गतिविधियों के लिए विशेष योगदान देना।
सामाजिक जुड़ाव –
राष्ट्रीय अध्यक्ष-अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन युवा परिषद,प्रबंध सचिव-दिगंबर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर एवं तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ, प्रयाग-इलाहाबाद | सतपथ फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट, वडोदरा और यूएसए के लिए सलाहकारों में से एक |तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत महासंघ के सदस्य। साथ ही जैन समाज की सबसे बडी संस्था भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र मुंबई के राष्ट्रीय मंत्री, भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आदी विभिन्न संस्था के साथ ही विशेषरुपसे उत्तर प्रदेश सरकार के सांस्कृतिक विभाग से संबद्ध उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान लखनऊ के सदस्य के रुप में समाज को गौरवान्वीत करते हैं |
आपने दिल्ली सांसद भवन अँनेक्सी में एवं दिल्ली विधान सभा में भी आपने संबाधनो से गौरव प्राप्त किया है | गिनीज वर्ल्ड रेकार्ड में शामिल मांगीतुंगी में बनी 108 फुट भगवान आदिनाथ प्रतिमा के अंतराष्ट्रीय पंचकल्याणक महोत्सव में भी महत्वपूर्ण लोगों में आपकी भी भूमिका महत्वपूर्ण रही है |
भविष्य की योजनाएं –
गणिनी माताजी की पावन शरण में आध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर होना एवं उनकी सेवा करना।
उद्देश्य –
जैन धर्म के सत्य सिद्धांतों को विज्ञान के आधार पर प्रसारित करने के लिए अर्जित ज्ञान का अन्वेषण करना, ताकि नई पीढ़ी एवं युवा इसे तार्किक रूप से स्वीकार कर सकें।जैन समाज की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं विकास के लिए समर्पित होना।
विशेषता –
धार्मिक भाषण देने में कुशल। अमेरिका की जैन सेंटर आफ नार्दन कैलीफोर्निया संस्था द्वारा अतिविशिष्ट स्कॉलर के रूप में डॉ जीवन प्रकाश जैन को आमंत्रित किया गया था । जोकि अमेरिकावासियों को हस्तिनापुर के प्राचीन इतिहास से अवगत किए थे ।
विभिन्न उपाधि अलंकरण-
आपको समय-समय पर विभिन्न समाज और संस्थाओं द्वारा आदर्श युवा रत्न, प्रज्ञाभूषण, समाज गौरव आदि उपाधियों से सम्मानित भी किया गया है ।
अयोध्या का विकास जन जन की उपलब्धि-
अयोध्या एवं जम्बूद्वीप हस्तिनापुर जैन तीर्थ मंत्री डॉ. जीवन प्रकाश जैन ने बताया की जैन धर्म में भी भगवान राम और सीता जी का महत्व है। अयोध्या में जैन धर्म के भगवान ऋषभ देव आदि पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ है। अयोध्या जैन धर्मावलंंबियों के लिए भी एक महान और पवित्र तीर्थ है। राममंदिर भारतीय संस्कृति की मिसाल बनकर सदैव स्थापति रहेगा।
डॉ जीवन प्रकाश जैन जी आप आकांक्षी, प्रेरणादायक और ज्ञान से भरपूर हैं। आप जैसे महान व्यक्ति के लिए मेरे मन में केवल अत्यधिक सम्मान है। डॉ जीवन प्रकाश जैन जी आप सचमुच प्रेरणादायी व्यक्ति हैं और इस कारण मैं सदैव आपके प्रति अत्यंत सम्मान रखूंगा।
जम्बूद्वीप संस्थान के प्रबंध मंत्री डॉ जीवन प्रकाश जैन जी ने हस्तिनापुर नगरी के प्राचीन महत्व को जन-जन में पहुॅंचाया और जैनधर्म के परिप्रेक्ष्य में धर्म का प्रचार-प्रसार किया ।
अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन युुवा परिषद 47 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत है | 20 जनवरी 2013 को डॉ. जीवन प्रकाश जैन-जम्बूद्वीप को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मनोनीत किया गया। जो प्रति तीन वर्ष में यानि वर्ष २०१६, २०१८,इसके उपरांत २३ जुलाई २०२० को डॉ. जीवन प्रकाश जैन-जम्बूद्वीप को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मनोनीत किया गया ।
४७ वर्षों से अधिक समय से कार्यरत इस युुवा परिषद को वर्तमान में समस्त दिगम्बर जैन आचार्यों, उपाध्यायों, मुनियों, आर्यिकाओं तथा परमपूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी एवं प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी का विशेषरूप से मंगल आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त है तथा पूज्य पीठाधीश क्षुल्लकरत्न श्री मोतीसागर जी महाराज (स्व.) के मार्गदर्शन को भी नहीं भुलाया जा सकता।
इस प्रकार हमारे समाज के ऐसे गौरवपूर्ण व्यक्तित्व हम सब युवाओं के लिए प्रेरणादायी डॉ जीवन प्रकाश जैन जी के जन्मदिवस पर हम सभी अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन युवा परिषद की तरफ से उनके यशस्वी उज्वल तथा धार्मिक एवं सामाजिक कल्याण के जीवन की मंगल कामनाये करते है | आपके साथ हम सभी युवाओं का भी योगदान छोटे बडे रूप से समाज और धर्म के लिए हमे प्राप्त होते रहे ऐसी मंगल कामनाओं के साथ आप के माता पिता और गुरू के चरणो में हमारा शत शत प्रणाम |

 

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