Home महाराष्ट्र आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी से दीक्षित मुनि श्री 108 सहर्ष...

आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी से दीक्षित मुनि श्री 108 सहर्ष सागर जी महाराज का 25 वां अवतरण दिवस

55
0

कोल्हापूर(विश्व परिवार)। श्रमण संस्कृती के महनीय संतो में अग्रणी देश के सर्वश्रेष्ठ आगम अनुकूल चर्या शिरोमणी आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज जी के शिष्य श्रमण मुनी श्री सहर्ष सागर जी महाराज का आज 25 वां अवतरण दिवस है
वैसे तो आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के संघ में जन्म दिवस की महत्वता नहीं है, पर हम भक्तो को अवसर चाहिए गुरुगुण गान करने को तो वो अवसर आज मिल गया ।
यूं तो हमारे गुरू दिगंबराचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज जी से दीक्षित हर शिष्य हिरा है | बेजोड है बेशकिमती कोहनूर है | पर हम चर्चा कर रहे है एक ऐसे संत की जिन्होने आज के दिन इस धरा पर जन्म लिया |श्रमण मुनि श्री सहर्ष सागर जी महाराज का पूर्व नाम बा.ब्र. हिमांशु जैन था | मध्य प्रदेश के भिंड नगर में 27 अगस्त 1999 को जन्म लिया | पिता श्री मनोज कुमार जैन और माता श्रीमती मधु जैन आपको पाकर निहाल हुई |उनकी माता और पिताजी दोनों ही बहुत धार्मिक है | श्री आशिष जैन, श्रीमती शालिनी जैन और श्रीमती मोहिनी जैन उनके भाई बहन का नाम है।
अलौकिक प्रतिभाओं के धनी बा. ब्र. हिमांशु भैया जी (श्रमण मुनि श्री सहर्ष सागर जी महाराज का पूर्व नाम) ने बी. ए. डिग्री तक पढाई करके लौकिक शिक्षा के शिखर को छुने में कोई कसर नहीं छोडी
20 वर्ष की उम्र में ही वे धर्म की ओर आकर्षित हो गए और उसी समय आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का संकल्प कर लिया | अपने 20 वे अवतरण दिवस पर आपने 27 अगस्त 2019 को भिंड (म. प्र.) में ब्रम्ह्चर्य व्रत धारण किया | सन 2023 में रायपुर में दो प्रतिमा व्रत धारण किया ।
धर्म ज्ञान की प्राप्ती करके, धर्म के रास्ते पर अपने चरण बढाते हुए बा. ब्र. हिमांशु भैया जी ने मात्र 24 वर्ष की उम्र में उन्होने बड़ौद (मध्य प्रदेश) में 25 अक्टूबर 2023 में आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी के शिष्यत्व में मुनि दिक्षा ग्रहण की | पिच्छि – कमंण्डलु धारण कर संसार की समस्त बाह्य वस्तुओंका परित्याग कर दिया | और दिक्षा के बाद से ही सदैव पैदल चलते हुए उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र में अध्यात्म की गंगा बहाई  मुनि श्री सहर्ष सागर जी का मन जल की तरह निर्मल है तथा हमेशा प्रसन्न और मुस्कराते रहना उनकी खासियत हैं। वे ज्ञानी और सुकोमल छवि वाले होने के कारण उनके चुम्बकीय व्यक्तित्व ने सभी के मन में अध्यात्म की ज्योत जला दी है।
वे मानव जाति के ऐसे प्रकाश पुंज हैं, जो धर्म की प्रेरणा देकर जीवन के अंधेरे को दूर करके मोक्ष का मार्ग दिखाने का महान कार्य करते हैं। आज उनके 25 वें जन्मदिन पर मुनि श्री सहर्ष सागर महाराज जी को शत-शत नमन्!

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here