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स्वस्थ जीवन की दिशा दिखा रहा आयुर्वेद – मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज

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जबलपुर(विश्व परिवार)। आज श्री १००८ चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन जैन नवयुवक सभा के तत्वावधान में किया गया जिसमें सानिध्य प्राप्त हुआ निर्यापक श्रमण मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज ससंघ का शिविर में दूर दूर से स्वास्थ लाभ को आए शिविरार्थी को मुनि श्री पद्म सागर जी ने उद्बोधित करते हुए सुनाया की आयुर्वेद हमें हजारों वर्षों से स्वस्थ जीवन की दिशा दिखा रहा है। प्राचीन भारत में आयुर्वेद को रोगों के उपचार और स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता था। आजकल के तेज जीवनशैली में, हमें अपने शरीर और मन का ध्यान रखने के लिए आयुर्वेदिक तरीकों की आवश्यकता है। इससे हम न केवल रोगों को दूर रख सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित जीवन भी जी सकते हैं।
महाराज श्री ने अपने जीवन के अनुभव बताते हुए कहा की कैसे उनका रोग आयुर्वेदिक उपचार से तुरंत ठीक हुआ और जैन साधु साध्वी सदैव सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार ही लेते है क्योंकि वो शुद्ध तथा दोष रहित होता है आयुर्वेद का मूल सिद्धांत है कि त्रिदोष – वात, पित्त, और कफ, हमारे शरीर के नियंत्रित करते हैं । ये तीनों दोष हमारे शरीर में संतुलन की स्थिति को दर्शाते हैं और इनका संतुलित रहना हमें स्वस्थ रखता है। जब इन दोषों में संतुलन बिगड़ जाता है, तो यह हमारे स्वास्थ्य पर असर डालते है और बिमारियों का कारण बनते हैं।
शिविर में अनेकों डॉक्टर बाहर से पधारे और अपनी सेवाए दी इस सम्पूर्ण कार्यक्रम में दि जैन मंदिर संगम कॉलोनी ट्रस्ट कमेटी, एवं आयुष मंत्रालय भारत का महत्वपूर्ण सहयोग एवं योगदान रहा इसी श्रृंखला में प्राचीन भारतीय गौरव और चिकित्सा पद्धति का महिमा पूर्ण , प्रभावशाली इतिहास बताते हुए निर्यापक श्रमण मुनि श्री प्रसाद सागर जी ने कहा आयुर्वेद पांच हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, जो हमारी आधुनिक जीवन शैली को सही दिशा देने और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है । इसमें जड़ी बूटि सहित अन्य प्राकृतिक चीजों से उत्पाद, दवा और रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ तैयार किए जाते हैं। इनके इस्तेमाल से जीवन सुखी, तनाव मुक्त और रोग मुक्त बनता हैइसमें हर स्वास्थ्य समस्या के मूल कारण को समझकर उसके इलाज पर काम किया जाता है। इसी कारण से आयुर्वेद को भारत के अलावा दुनियाभर में महत्वपूर्ण माना जाता है।आयुर्वेद में, ‘ओजस’ ,कफ का सकारात्मक सूक्ष्म सार है, जो शरीर को शक्ति, जीवन शक्ति, और इम्युनिटी प्रदान करता है। अच्छा ओजस स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ावा देता है, जबकि कम ओजस से व्यक्ति बीमारियों का शिकार हो सकता है।
जीवनशैली और आहार शरीर की इम्युनिटी को संतुलित करने में मदद करता हैं। सही पोषण से शरीर में विषाक्त पदार्थों का निकाला जा सकता है, जो बाहरी खतरों को दूर रखता है। अच्छा पाचन इम्युनिटी को मजबूत बनाता है। यदि त्रिदोष के भीतर अग्नि की कमी होती है, तो यह इम्युनिटी को प्रभावित करता है और रोगो का कारण बनता है।
अब समय आ गया है जब हम पुनः अपने इतिहास की ओर बड़ चले और बिना साइड इफेक्ट के अपनी शारीरिक क्षमता का विकास कर स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर होवे।

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