उत्तर बस्तर कांकेर (विश्व परिवार)। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत पारंपरिक कौशल को आधुनिकता से जोड़कर निखारने का कार्य किया जा रहा है। इस योजना के माध्यम से 18 प्रकार के व्यापार जैसे बढ़ई, नाव बनाने वाला, अस्त्रकार, लोहार, ताला बनाने वाला, हथौड़ा टूलकिट निर्माता, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोती, राजमिस्त्री, डलिया, चटाई, झाड़ू बनाने वाले, पारंपरिक गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी, मछली का जाल बनाने वाले निर्माता को चयनित कर लाभान्वित किया जाएगा। इसके लिए पारम्परिक शिल्पकार व कारीगर आधार कार्ड, लिंक मोबाइल नंबर तथा बैंक पासबुक के साथ अपने नजदीकी ग्राहक सेवा केन्द्र (सीएससी) में पंजीयन करा सकते हैं।
पांच से सात दिन का दिया जाएगा निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण
जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक ने बताया कि योजना के तहत चयनित हितग्राहियों को प्रमाण-पत्र और विश्वकर्मा परिचय पत्र दिया जाएगा। इन कारीगरों के पारंपरिक कौशल को निखारने के लिए 05 से 07 दिवस का निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी, जिसमें 500 रूपये प्रतिदिन की दर से छात्रवृत्ति दी जाएगी। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद यंत्र एवं औजारों के लिए 15 हजार रूपये की अनुदान सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी। इच्छुक हितग्राहियों को पहले चरण में एक लाख रूपये और दूसरे चरण में दो लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता मात्र 05 प्रतिशत ब्याज दर पर बैंकों द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा । इस योजना का लाभ लेने हेतु आवश्यक दस्तावेज- आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक विवरण, राशन कार्ड तथा आवेदक की आयु पंजीकरण तिथि में न्यूनतम 18 वर्ष होनी चाहिए। हितग्राही राज्य या केन्द्र सरकार की किसी भी स्वरोजगार हेतु 05 वर्ष में ऋण न लिया हो। योजना में परिवार के किसी एक सदस्य को ही लाभ दिया जायेगा एवं सरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्य पात्र नहीं होंगे। विस्तृत जानकारी के लिए कार्यालय महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र कांकेर से संपर्क किया जा सकता है।