Home धर्म दसलक्षण महापर्व के छाटवे दिन पर उत्तम संयम धर्म का विशेष आयोजन...

दसलक्षण महापर्व के छाटवे दिन पर उत्तम संयम धर्म का विशेष आयोजन चल रहे चातुर्मास मे प्रतिदिन – उत्तम संयम धर्म

57
0

औरंगाबाद(विश्व परिवार)। दसलक्षण महापर्व के छठवें दिन को उत्तम संयम धर्म के रूप में हर्षोल्लास से मनाया गया। तेलंगाना के मेदक जिले में स्थित श्री 1008 विघ्नहर पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, कुलचारम में चल रहे चातुर्मास के दौरान साधना शिरोमणि अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागरजी महाराज के आशीर्वाद से इस विशेष दिन का आयोजन किया गया। उपाध्याय श्री 108 पियूष सागरजी महाराज के निर्देशन में भक्तों ने संयम धर्म की महत्ता को समझा और पालन किया।
इस पवित्र अवसर पर दिन की शुरुआत प्रातःकालीन पूजा से हुई। इसके बाद, 24 तीर्थंकरों की जिनआराधना और भगवान पार्श्वनाथ का मंगल अभिषेक संपन्न हुआ। भक्तों ने इस धार्मिक आयोजन में गहरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भाग लिया। संयम धर्म के प्रति समर्पण और तप की भावना को जागृत करते हुए कई श्रावकों ने उपवास और व्रत का पालन किया।
उपवास व्रत साधना के अंतर्गत, इस दिन विशेष रूप से मुक्तावली व्रत का समापन उपाध्याय श्री पियूष सागरजी महाराज और मुनि श्री 108 परिमल सागरजी महाराज के नेतृत्व में हुआ। इसके साथ ही, त्रिलोक सार व्रत कर रहे गुरुदेव अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागरजी महाराज का भी महापारणा संपन्न हुआ। इस अवसर पर सैकड़ों गुरुभक्तों ने पारणा का लाभ प्राप्त किया और व्रतधारियों को
धार्मिक अनुष्ठानों के पश्चात, गौग्रास सेवा और बंदर ग्रास किया गया, जिसमें हर्ष और उत्साह के साथ । संयम धर्म की पूजा विधि और तत्त्वार्थ सूत्र पर अंतर्मना आचार्य श्री के मुखारविंद से विशेष वचन हुए, जिनमें संयम के महत्व और उसकी जीवन में आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
मध्यान्ह में प्रवर्तक मुनि श्री सहज सागरजी महाराज द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र का वाचन और गुरुपूजन हुआ। संयम धर्म के प्रति जागरूकता फैलाने और इसे जीवन में अपनाने की प्रेरणा देने के लिए ये अत्यंत प्रभावशाली रहे।
दिन के अंतिम चरण में संध्याकाल में श्रावक प्रतिक्रमण का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने अपने दिन भर के विचारों और कार्यों की समीक्षा की। इसके बाद गुरुभक्ति के भावपूर्ण प्रवचन और 24 तीर्थंकरों के नाम व चिन्हों के माध्यम से संयम धर्म की महत्ता को समझाया गया। अंत में, मंगल आरती के साथ इस पावन दिवस का समापन हुआ, जिसमें सभी भक्तों ने संयम और अनुशासन को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने का संकल्प लिया।
इस प्रकार, उत्तम संयम धर्म का यह विशेष दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और आत्मसंयम के संदेश को फैलाने वाला सिद्ध हुआ।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here