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केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में 100 दिन में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के लिए किये गए महत्वपूर्ण निर्णयों और उपलब्धियों के उपलक्ष्य में प्रेसवार्ता की

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नई दिल्ली(विश्व परिवार)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में 100 दिन में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के लिए किये गए महत्वपूर्ण निर्णयों और उपलब्धियों के उपलक्ष्य में प्रेसवार्ता कर मीडिया को जानकारी दी। सचिव कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, देवेश चतुर्वेदी और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) सचिव, डेयर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक व मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी प्रेसवार्ता में उपस्थित थे।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और हमारे जीवन का आधार भी है। 140 करोड़ देशवासियों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराना यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। किसान कृषि की आत्मा है और उसके प्राण भी हैं। इसलिए किसान कल्याण और कृषि के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 100 दिनों में जो लालक़िले के प्राचीर से प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा था कि तीसरे कार्यकाल में पहले से तीन गुणा काम करूंगा। कृषि विभाग के सभी अधिकारियों ने मेरे सहित यह संकल्प लिया था कि प्रधानमंत्री ही अकेले काम क्यों करें हम सब मिलकर काम करेंगे। पहले सौ दिनों में हमने यह प्रयत्न किया है। किसान कल्याण और कृषि के विकास की हमारी छह सूत्रीय रणनीति है।
श्री चौहान ने कहा कि पहला – उत्पादन बढ़ाना, प्रति हेक्टेयर पैदावार कैसे बढ़े? पिछले दिनों किए गए फैसलों में प्रमुख फैसला था, फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए 65 फसलों की 109 प्रजातियों के नए बीज प्रधानमंत्री ने किसानों को समर्पित किए थे जोकि जलवायु अनुकूल, कीट प्रतिरोधी और अधिक उपज वाली हैं।
दूसरा – उत्पादन की लागत को घटाना, जितना जरूरी उत्पादन बढ़ाना है उतना ही ज़रूरी है कि उत्पादन की लागत में कमी कैसे आए इसका एक तरीका है कि किसानों को सस्ता फर्टिलाइजर उपलब्ध करायें। किसानों को समय पर सस्ता फर्टिलाइजर/खाद उपलब्ध हो जाए, इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि यूरिया की एक बोरी 2366 रुपए में आती है। हम किसानों को 266 रुपए में उपलब्ध कराते हैं, डीएपी की एक बोरी 2433 रुपए की आती है जिसे हम किसानों को 1350 रुपए में उपलब्ध कराते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 100 दिनों में एक और विशेष काम हुआ है कि डिजिटल कृषि मिशन के लॉन्च को स्वीकृति दी गई है। उन्होंने कहा कि नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और किसानों ने इसका उपयोग करना भी प्रारंभ कर दिया है। श्री चौहान ने कहा कि आधुनिक किसान चौपाल – लैब टू लैंड, अक्टूबर में प्रारंभ करने वाले हैं जिसमें वैज्ञानिक, किसानों तक सीधी जानकारियां पहुंचाएंगे। हम परंपरागत फसलों के साथ-साथ बागवानी (हॉर्टिकल्चर) की फसलों के अधिक उत्पादन के प्रत्यन में लगे हैं। हम 9 आधुनिक केंद्र बना रहे हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की 100 दिन की कार्य योजना के तहत प्रमुख उपलब्धियां निम्मनलिखित हैं:-KISAN
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद, प्रधानमंत्री ने अपने पहले महत्वपूर्ण निर्णय में 9.26 करोड़ से अधिक किसानों को पीएम-किसान योजना के तहत रुपये 21000 करोड़ की धनराशि जारी की । सरकार के 100-दिवसीय कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, सैचुरेशन अभियान चलाए गए जिसमें 25 लाख से अधिक नए किसानों को पीएम-किसान योजना से जोड़ा गया । अब इस योजना के तहत कुल लाभार्थियों की संख्या 9.51 करोड़ से अधिक हो गई है । इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने किसानों को उनकी अपनी भाषा में पीएम-किसान से संबंधित प्रश्नों में सहायता करने के लिए एआई-चैटबॉट “किसान-ईमित्र” का उपयोग किया। इस चैटबॉट ने अब तक 50 लाख किसानों के 82 लाख से अधिक प्रश्नों को सफलतापूर्वक हल किया है। किसान ईमित्र चैटबॉट की सफलता को देखते हुए इसे मंत्रालय की अन्य योजनाओं, जैसे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और पीएम फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) योजनाओं के लिए अपग्रेड किया जा रहा है।
आयात निर्यात (हाल ही में लिए गए महत्वपूर्ण कृषि व्यापार नीति निर्णय )
प्याज
• प्याज पर 550 डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य और 40% का निर्यात शुल्क विदेशी आयातकों के लिए प्याज को अत्यधिक महंगा बनाकर इसके निर्यात को प्रतिबंधित कर रहा था।
• इससे प्याज उत्पादकों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था क्योंकि निर्यात गिर गया था और उन्हें लाभकारी घरेलू कीमतें नहीं मिल रही थीं।
• न्यूनतम निर्यात मूल्य को पूरी तरह से हटाने के हालिया फैसले से खुला निर्यात होने की उम्मीद है, साथ ही निर्यात शुल्क को 40% से घटाकर 20% करने का कदम भी उठाया गया है।
• चूंकि निर्यात मांग अब घरेलू मांग में जुड़ जाएगी, इसलिए किसानों को निश्चित रूप से ऊंची कीमतों से लाभ होगा I
बासमती चावल
• बासमती चावल भारत के कृषि निर्यात की एक प्रमुख वस्तु है, और भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक महत्वपूर्ण और सिद्ध तुलनात्मक लाभ के साथ एक बड़ा खिलाड़ी है।
• लेकिन बासमती चावल पर निर्यात प्रतिबंधों के कारण, 800 डॉलर से 950 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की मूल्य वाली किस्मों का बिल्कुल भी निर्यात नहीं किया जा सका, जिससे हमारे उत्पादक विश्व बाजार में अपनी क्षमता का इष्टतम उपयोग नहीं कर सके।
• बासमती चावल के 950 डॉलर प्रति मीट्रिक टन न्यूनतम निर्यात मूल्य को खत्म करने का स्वागतयोग्य निर्णय अब चावल किसानों को अपनी प्रमुख उपज के लिए विदेशी बाजार हासिल करने में सक्षम बनाएगा। • चूंकि भारतीय बासमती अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए निर्यात मांग में वृद्धि अब सुनिश्चित है, और किसानों को बेहतर कीमतें मिल सकेंगी I
खाद्य तेल – पाम, सोया और सूरजमुखी
• जिस प्रकार निर्यात योग्य फसलें उगाने वाले किसानों को प्रतिबंधों को हटाने की आवश्यकता है, उसी प्रकार आयात योग्य वस्तुओं के उत्पादकों को कम अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कुछ सुरक्षा की आवश्यकता है I
• खाद्य तेल सभी भारतीय घरों में एक आवश्यकता है, और इसलिए, ऐसी वस्तुओं के उत्पादन में आत्मनिर्भरता वांछनीय है I
• पाम और सोया तेल की कम अंतर्राष्ट्रीय कीमतें और पाम, सोया और सूरजमुखी तेल के आयात पर शून्य बेसिक कस्टम ड्यूटी के कारण घरेलू बाजार में कीमतें कम हो रही थीं।
• सोयाबीन की कीमतें आगामी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (4892 रुपये प्रति क्विंटल) से काफी नीचे थी।
• कच्चे तेल (पाम, सोया और सूरजमुखी) पर प्रभावी आयात शुल्क को 5.5% से बढ़ाकर 27.5% और रिफाइंड तेल पर 13.75% से बढ़ाकर 35.75% करने का हालिया ऐतिहासिक निर्णय समय की मांग थी।
• इससे मूंगफली तेल और सरसों तेल जैसे घरेलू स्तर पर उत्पादित खाद्य तेलों की कीमतों पर कुछ दबाव पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि इस फैसले ने खाद्य तेल बाजार को एक बहुत जरूरी और बहुप्रतीक्षित संकेत दिया है।
• यह निर्णय सबसे उपयुक्त समय पर आया है – फसल, विशेष रूप से सोयाबीन की, मंडियों में आने वाली है, और यदि आयात पहले की तरह बाजार में जारी रहता, तो कीमतें गिर जातीं। यह निर्णय सबसे उचित समय पर आया है I
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)
कैबिनेट ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) की एकीकृत योजना को 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक ₹ 35,000 करोड़ के कुल बजट के साथ जारी रखने को मंजूरी दी है, ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान किया जा सके और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित किया जा सके।
सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (PSS) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) योजना को पीएम आशा के तहत एकीकृत किया है ताकि किसानों और उपभोक्ताओं की सेवा अधिक प्रभावी ढंग से की जा सके। अब, एकीकृत पीएम आशा योजना लागू किया जाएगा, जिसमें एमएसपी संचालन डीए एंड एफडब्ल्यू द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा और गैर-एमएसपी संचालन डीओसीए द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा और जिसमें एनएएफईडी के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व-पंजीकृत किसानों से खरीद शामिल है। इससे किसानों को इन फसलों की अधिक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा और घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।
पीएम-आशा में अब
मूल्य समर्थन योजना (PSS),
मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS),
मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) और
बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS)
के घटक शामिल होंगे।
सरकार ने अधिसूचित दलहन, तिलहन और नारियल की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी को बढ़ाकर ₹ 45,000 करोड़ कर दिया है। यह तब मदद करेगा जब बाजार में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे गिरेंगी, जिससे किसानों से अधिक दालें, तेल बीज और नारियल खरीदे जा सकेंगे।
अधिसूचित दलहन, तिलहन और नारियल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद 2024-25 सीजन से राष्ट्रीय उत्पादन के 25% पर आधारित होगी, जिससे राज्यों को किसानों से MSP पर इन फसलों की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी और संकट बिक्री को रोकने में सहायता मिलेगी। किसानों को तूर, उड़द और मसूर की अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, 2024-25 वर्ष के लिए इन दालों की खरीद की सीमा 25% हटा दी गई है।
आगामी खरीफ मौसम के दौरान किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए,
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में 28.36 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद के लिए स्वीकृति दी गई है।
महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में 1.33 लाख मीट्रिक टन उड़द की खरीद के लिए स्वीकृति दी गई है।
कर्नाटक को सूरजमुखी की 13,210 मीट्रिक टन की खरीद के लिए स्वीकृति दी गई है
महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में मूंग की 43,500 मीट्रिक टन की खरीद के लिए स्वीकृति दी गई है।
राज्यों को भावान्तर भुगतान योजना (PDPS) के कार्यान्वयन के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए,
अधिसूचित तिलहन की कवरेज को राज्य के तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25% से बढ़ाकर 40% किया गया है
किसानों के लाभ के लिए कार्यान्वयन अवधि को 3 महीने से बढ़ाकर 4 महीने कर दिया गया है।
मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) MIS योजना का लाभ अधिकतम लेने के लिए राज्यों को सक्षम बनाने के लिए, अब MIS के कार्यान्वयन के मानदंड में
केवल पिछले सामान्य वर्ष की तुलना में चलती बाजार कीमतों में 10% की कमी होनी चाहिए।
फसलों की कवरेज को मौजूदा 20% उत्पादन से बढ़ाकर 25% कर दिया गया है।
सरकार ने मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत भौतिक खरीद के बजाय किसानों के खाते में सीधे भावान्तर भुगतान करने का विकल्प जोड़ा है। इसके अलावा, टॉप (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों के मामले में, चरम कटाई के समय उत्पादक राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच टॉप फसलों के मूल्य अंतर को पाटने के लिए, सरकार ने NAFED और NCCF जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा किए गए संचालनों के लिए परिवहन और भंडारण व्यय वहन करने का फैसला किया है, जो न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करेगा बल्कि बाजार में टॉप फसलों के लिए मूल्यों को भी कम करेगा। MIS अब PM-AASHA का एक घटक होगा।
डिजिटल कृषि मिशन
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति ने 2 सितंबर 2024 को 2817 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी।
कृषि क्षेत्र में डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए सरकार ने केंद्रीय बजट 2023-24 एवं 2024-25 में भी कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के निर्माण का उद्घोषण किया था । डीपीआई का निर्माण राज्यों के समन्वय से किया जा रहा है। अब तक 19 राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया जा चुका है।
एग्रीस्टैक डीपीआई के तहत किसानों को आधार के जैसी ही एक डिजिटल पहचान (किसान आईडी) दी जाएगी, जो विश्वसनीय ‘किसान की पहचान’ होगी। किसानों द्वारा बोई गई फसलों को डिजिटल फसल सर्वेक्षण के माध्यम से मोबाइल-आधारित जमीनी सर्वेक्षण के माध्यम से दर्ज किया जाएगा। किसान आईडी बनाने के लिए छह राज्यों में और बोई गई फसल की जानकारी के मोबाइल-आधारित संग्रह के लिए 12 राज्यों में पहले ही पायलट प्रोजेक्ट चलाए जा चुके हैं।
2026-27 तक 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाने का लक्ष्य रखा गया है। फसल बोने के आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए डिजिटल फसल सर्वेक्षण को दो साल के भीतर पूरे देश में शुरू करने का लक्ष्य है, जिसमें 2024-25 में 400 जिले और 2025-26 म ट देश के बाकी जिले शामिल किए जाएंगे।
कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (Krishi DSS) जो की 16 अगस्त 2024 को लॉन्च किया गया, एक अन्य डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर है। यह सिस्टम फसलों, मिट्टी, मौसम, जल संसाधनों आदि पर रिमोट सेंसिंग-आधारित एकीकृत जानकारी प्रदान करेगा।
एक अन्य डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से देश के लगभग 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के विस्तृत मृदा प्रोफ़ाइल तथा उनके मानचित्रों को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक लगभग 29 मिलियन हेक्टेयर की मृदा प्रोफ़ाइल सूची पहले ही पूरी हो चुकी है।
डिजिटल कृषि मिशन का उद्देश्य किसान-केंद्रित डिजिटल सेवाओं के विकास को सक्षम बनाना और कृषि क्षेत्र के लिए समय पर और विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध कराना है, जैसे;
किसान अपने लाभ और सेवाओं जैसे की फसल ऋण, एमएसपी-आधारित खरीद, फसल बीमा, कृषि-इनपुट आपूर्तिकर्ताओं और कृषि उपज के खरीदारों आदि तक पहुँचने के लिए खुद को डिजिटल रूप से पहचानने और प्रमाणित करने में सक्षम होगा। कागजी कार्रवाई से छुटकारा मिलेगा और विभिन्न कार्यालयों या सेवा प्रदाताओं के पास स्वयं के जाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
विश्वसनीय डीपीआई डेटा सरकारी योजनाओं और सेवाओं को अधिक कार्यक्षम और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा:
सटीक फसल के उत्पादन का अनुमान लगाया जा सकेगा जिससे कृषि उपज के मूल्य निर्धारण, आयात और निर्यात पर साक्ष्य-आधारित सरकारी नीतियों का फायदा लेने में मदद मिलेगी।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से फसल योजना, फसल स्वास्थ्य, कीट और रोग प्रबंधन और सिंचाई आवश्यकताओं से संबंधित किसानों के अनुकूल सलाह देकर उनके समस्याओ के समाधान विकसित करने में भी मदद करेगा। यह किसानों को फसल विविधीकरण में सुविधा प्रदान करने में भी मदद करेगा।
कृषि सखी
ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालयों ने 30.08.2023 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी के तहत कृषि सखियों को “कृषि पैरा-एक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रशिक्षित और प्रमाणित किया गया हे , जो की “लखपति दीदी” कार्यक्रम के उद्देश्यों के अनुरूप है।
कृषि सखी अनुभवी और विश्वसनीय किसान होती हैं, जो की कृषि और किसानो से गहराई से जुड़ी होती हैं। इन्होंने पूर्व में 56 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिसमें प्रमुख कृषि पद्धतियाँ जैसे एग्रो-इकोलॉजिकल तकनीक, मिट्टी की सेहत, पशुपालन और जैव-इनपुट्स शामिल हैं।
कृषि सखियों को वर्तमान में DAY-NRLM कार्यक्रम के तहत 12 राज्यों में प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर पुन: प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण के बाद, कृषि सखियाँ एक प्रवीणता परीक्षा पास करने पर “ कृषि पैरा-एक्सटेंशन वर्कर” के रूप में प्रमाणित हो जाती है ।
प्रमाणित कृषि सखी, गाँव स्तर पर कृषि सेवाएं प्रदान कर, प्रति वर्ष 50,000 रुपये से अधिक कमा सकेंगी, जिससे उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा। (Annexure I)
कृषि सखी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) की विभिन्न योजनाओं के तहत निम्नलिखित गतिविधियाँ अपनाएगी।

क्रम सं. विभाग का नाम गतिविधियाँ
1 INM डिवीजन : मृदा स्वास्थ्य और MOVCDNER मृदा नमूना संग्रहण, मृदा स्वास्थ्य परामर्श, किसान उत्पादक संगठन का गठन, किसानों का प्रशिक्षण
3 फसल डिवीजन क्लस्टर फ्रंट लाइन प्रदर्शन, कृषी मैपर पर डेटा संग्रह और अपलोडिंग
4 फसल बीमा डिवीजन: PMFBY गैर-ऋणी किसानों को संगठित करना, हानि का आकलन
5 MIDH डिवीजन बागवानी मिशन के बारे में जागरूकता
6 NRM डिवीजन: वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास (RAD) एग्रोफॉरेस्ट्री पर ड्रॉप मोर क्रॉप (PDMC) जलवायु लचीला कृषि प्रथाओं का प्रशिक्षण, पौधों का वितरण, माइक्रो इरिगेशन का अनुप्रयोग
7 कृषि अवसंरचना फंड परियोजना को सुगम बनाना, जागरूकता पैदा करना
8 बीज डिवीजन: बीज गाँव कार्यक्रम बीज उत्पादन पर किसान प्रशिक्षण @900 प्रति प्रशिक्षण
9 M&T डिवीजन: कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन (SMAM) डेमोंस्ट्रेशन फील्ड की तीन यात्राएँ, डेटा फोटो इकट्ठा करना और कृषी मैपर ऐप पर अपलोड करना
10 तिलहन डिवीजन: राष्ट्रीय मिशन पर खाद्य तेल/ – तिलहन (NMEO-OS) डेमोंस्ट्रेशन फील्ड की तीन यात्रा, डेटा फोटो इकट्ठा करना और कृषि मैपर पर अपलोड करना
11 पौधा संरक्षण: NPS फसल की स्थिति की जानकारी, NPSS के माध्यम से कीट निगरानी, फोटो इकट्ठा करना और अपलोड करना
12 क्रेडिट डिवीजन: KCC लीड कनेक्ट, KCC आवेदन समर्थन, क्रेडिट लिंकेज
13 फसल सांख्यिकी प्रत्येक मुख्य फसल के लिए कम से कम 6 किसानों का पंजीकरण, फसल की स्थिति का पखवाड़े आकलन

कृषि अवसंरचना कोष
कृषि अवसंरचना में मौजूदा अवसंरचना की कमी को दूर करने और कृषि अवसंरचना में निवेश को जुटाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कृषि अवसंरचना निधि (AIF) की शुरुआत की गई। AIF का उद्देश्य देश के कृषि अवसंरचना परिदृश्य को बदलना है। कृषि अवसंरचना निधि एक मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा है, जो 3% ब्याज सब्सिडी और क्रेडिट गारंटी समर्थन के माध्यम से फसल कटाई के बाद प्रबंधन अवसंरचना और सामुदायिक कृषि संपत्तियों में निवेश के लिए योग्य परियोजनाओं के लिए है। इस योजना के तहत ₹ 1 लाख करोड़ का फंड वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2025-26 तक वितरित किया जाएगा और योजना के अंतर्गत समर्थन वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2032-33 तक प्रदान किया जाएगा।
कृषि अवसंरचना निधि (AIF) का प्रगतिशील विस्तार
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि अवसंरचना निधि (AIF) के विस्तार को मंजूरी दी है। मुख्य उपायों में शामिल हैं:
सभी योग्य लाभार्थियों के लिए व्यवहार्य सामुदायिक कृषि संपत्तियों की अनुमति देना,
योग्य गतिविधियों में प्राथमिक प्रसंस्करण के साथ एकीकृत द्वितीयक प्रसंस्करण परियोजनाओं को शामिल करना,
AIF को PM-KUSUM घटक-A के साथ एकीकृत करना।
FPOs को क्रेडिट गारंटी समर्थन प्रदान करने के लिए योजना में NABSanrakshan को शामिल किया गया है।
योजना के तहत प्रगति
वर्तमान में, कृषि अवसंरचना निधि (AIF) के तहत 76,400 परियोजनाओं के लिए ₹ 48,500 करोड़ की स्वीकृति दी गई है। AIF के तहत स्वीकृत प्रमुख परियोजनाओं में 18,606 कस्टम हायरिंग केंद्र, 16,276 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयाँ, 13,724 गोदाम, 3,102 छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयाँ, 1,909 कोल्ड स्टोर परियोजनाएँ और लगभग 21,394 अन्य प्रकार की फसल कटाई के बाद प्रबंधन परियोजनाएँ और सामुदायिक कृषि संपत्तियाँ शामिल हैं।
AIF का प्रभाव
अब तक, 76,400 से अधिक कृषि अवसंरचना परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिससे इस क्षेत्र में ₹ 80,000 करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 8.25 लाख रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं। AIF के तहत बनाई गई भंडारण अवसंरचना ने लगभग 500 लाख मीट्रिक टन (LMT) की भंडारण क्षमता जोड़ी है, जिसमें लगभग 466 LMT की सूखी भंडारण और लगभग 34 LMT की कोल्ड स्टोरेज क्षमता शामिल है। यह अतिरिक्त भंडारण क्षमता हर साल 18.6 LMT खाद्यान्न और 3.44 LMT फल-सब्जियों को बचाने में मदद कर सकती है।
कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW) ने अपने 100 दिन की कार्य योजना के तहत विभिन्न क्षेत्रों में 7,000 से अधिक बुनियादी ढांचे की इकाइयाँ स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इस पहल में कुल ऋण स्वीकृति राशि ₹5,000 करोड़ है, जो विभिन्न पश्चात-फसल बुनियादी ढांचे के परियोजनाओं और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के लिए ₹7,500 करोड़ का निवेश जुटाने में मदद करेगी। इस योजना का कार्यान्वयन 10 जून से शुरू हुआ और इसे 100 दिनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था ।प्रतिदिन 100 परियोजनाएं और 100 करोड़ रुपये का निवेश की दर से लक्ष्य पार कर लिया गया। निर्धारित लक्ष्यों के खिलाफ प्रदर्शन मापदंड निम्नलिखित हैं:

क्रम संख्या  पैरामीटर लक्ष्य  उपलब्धि प्रदर्शन
1 बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं की संख्या 7000 10066 144%
2 स्वीकृत ऋण (₹ करोड़) 5000 6541 131%
3 परियोजना निवेश (₹ करोड़) 7500 10012 133%

किसान उत्पादन संगठन (एफपीओ):
एफपीओ के दैनिक संचालन के लिए विभिन्न लाइसेंसों का समर्थन सुविधाजनक कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW), भारत सरकार, राज्य सरकार के सहयोग से, एफपीओ को बीज, उर्वरक, कीटनाशक और एपीएमसी व्यापार लाइसेंस प्रदान किए। इस पहल से, किसान सामूहिक रूप से कार्य करते हैं और विभिन्न इनपुट (बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि) की खरीद पर समूह छूट प्राप्त करते हैं, और अंततः अपने उत्पादन की बेहतर कीमत प्राप्त करते हैं। Saturation ड्राइव की शुरुआत से लेकर आज तक, एफपीओ को जारी किए गए इनपुट लाइसेंस (बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि), एपीएमसी व्यापार लाइसेंस, एफएसएसएआई और जीएसटी लाइसेंस आदि की संख्या 7,728 से बढ़कर 22,462 हो गई है, जो लगभग 3 गुना वृद्धि है। इसके अलावा, Saturation ड्राइव के दौरान 4433 एफपीओ को ओएनडीसी प्लेटफॉर्म पर भी जोड़ा गया। एफपीओ के किसान सदस्यों को इस हस्तक्षेप से अनेक लाभ होंगे, इनपुट और श्रम लागत में बचत उत्पादन लागत को कम करती है, जिससे किसान अपने उत्पादन से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ओएनडीसी नेटवर्क पर एफपीओ का ऑनबोर्डिंग आज तक, 7757 एफपीओ को ओएनडीसी नेटवर्क पर ऑनबोर्ड किया जा चुका है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाना है और एक ओपन तथा विकेंद्रीकृत नेटवर्क स्थापित करना है। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य है – एफपीओ के बाजार पहुंच का विस्तार करना, जिससे वे पूरे भारत में उपभोक्ताओं से सीधे जुड़ सकें। सीधे उपभोक्ताओं से लेन-देन और उनके फीडबैक के आधार पर, एफपीओ अपने व्यावसायिक निर्णयों में सुधार कर पाएंगे, साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता, पैकेजिंग, उत्पाद मिक्स आदि में भी सुधार कर पाएंगे। ओएनडीसी में शामिल होने से, एफपीओ को एक एकीकृत बाजार उपस्थिति प्राप्त होगी, और वे क्रेडिट, बीमा और लॉजिस्टिक्स जैसी मूल्यवर्धित सेवाओं तक पहुंच प्राप्त कर पाएंगे, जबकि किसी एक प्लेटफॉर्म से बंधे नहीं होंगे। नेटवर्क में बी2बी लेनदेन की सुविधा भी है, जिसके तहत एफपीओ पूरे भारत में थोक ऑर्डर कर पाएंगे। ओएनडीसी की बी2बी कार्यक्षमता में विभिन्न उत्पाद श्रेणियों, पैकेज्ड गुड्स, फल और सब्जियों से लेकर कच्चे माल तक शामिल हैं।
स्वच्छ पौध कार्यक्रम
बागवानी फसल विविधीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और किसानों को उनकी भूमि से बेहतर लाभ प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।
देश के बागवानी किसानों के सामने उच्च उत्पादकता वाले, रोग मुक्त और गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री की उपलब्ध्ता एक बड़ी चुनौती है, खासकर फलों के बगीचे स्थापित करने में।
इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने 1767.67 करोड़ रुपये के निवेश के साथ स्वच्छ पौध कार्यक्रम की शुरुआत की है।
यह कार्यक्रम कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से क्रियान्वित किया जा रहा है, जो फल किसानों को प्रमाणित, रोग मुक्त पौध सामग्री उपलब्ध कराया जायेगा।
स्वच्छ पौध कार्यक्रम देश में फल फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों की आय पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा और भारत की स्थिति को एक प्रमुख वैश्विक फल निर्यातक के रूप में मजबूत करेगा, जिससे बाजार के अवसरों का विस्तार होगा और अंतर्राष्ट्रीय फल व्यापार में इसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी।
इस कार्यक्रम के तहत 9 विश्व स्तरीय अत्याधुनिक स्वच्छ पौध केंद्र (Clean Plant Centres – CPCs) स्थापित किए जाएंगे, जो रोग मुक्त स्वच्छ पौध तैयार करने के लिए अत्याधुनिक तकनिकी सुविधाओं से सुसज्जित होंगे।
स्वच्छ पौध केंद्रों के अलावा, इस कार्यक्रम के तहत लक्षित फल पौधों के लिए 75 से अधिक बड़ी नर्सरियों का निर्माण किया जाएगा, जो चौथे वर्ष से 4 से 6 करोड़, रोग मुक्त स्वच्छ पौध सामग्री का किसानो के लिए उत्पादन शुरू करेंगी।
नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम(एनपीएसएस)
नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम (एनपीएसएस) कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल पहल है, जिसका उद्देश्य देश भर में पेस्ट सर्विलांस व्यवस्था में सुधार करना है। इस प्रणाली में एक मोबाइल ऐप और एक वेब पोर्टल शामिल है। एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध मोबाइल ऐप उपयोगकर्ताओं को पेस्ट संबंधित जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है। वेब पोर्टल पेस्ट संबंधित घटनाओं की निगरानी करने तथा एडवाइजरी जारी करने के लिए उपयोगी है। एनपीएसएस में 61 फसलों के लिए पेस्ट पहचान मॉड्यूल और 15 फसलों के लिए समय पर उपचार सम्बंधित एडवाइजरी जारी करने हेतु मॉड्यूल शामिल है।
कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिनांक 15 अगस्त 2024 को देश में किसानों, छात्रों, वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों आदि के उपयोग के लिए नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम का शुभारम्भ किया गया है। एनपीएसएस के लाभों में बेहतर पेस्ट प्रबंधन, कृषि उत्पादकता में वृद्धि और डेटा-संचालित निर्णय लेना शामिल हैं। एनपीएसएस पेस्ट के कारण फसल के नुकसान को कम करने में मदद करता है और इस तरह से किसानों को समय पर और सटीक पेस्ट प्रबंधन समाधान प्रदान करके कृषि उत्पादकता को बढ़ाता है। यह देश के कृषि उत्पादन की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अपने नवाचारी दृष्टिकोण और प्रौद्योगिकी प्रगति के साथ, एनपीएसएस कृषि में खाद्य सुरक्षा और अनुकूलता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।
दिनाकं 15 अगस्त 2024 से एनपीएसएस एप्लिकेशन उपयोग की प्रगति:
1. देशभर में 16000 किसानों ने एनपीएसएस ऐप डाउनलोड किया है।
2. ऐप का उपयोग करके 22359 सर्वेक्षण पूरे किए गए हैं।
3. ऐप का उपयोग 61 फसलों पर पेस्ट सर्विलांस के लिए किया गया है।
एनपीएसएस एप्लिकेशन से संबंधित मुख्य बिंदु:
माननीय कृषि मंत्री जी द्वारा दिनांक 15 अगस्त 2024 को देश में किसानों, छात्रों, वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों आदि के उपयोग के लिए नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम का शुभारम्भ किया गया है।
एनपीएसएस में 61 फसलों के लिए पेस्ट पहचान मॉड्यूल और 15 फसलों के लिए समय पर उपचार सम्बंधित एडवाइजरी जारी करने हेतु मॉड्यूल शामिल है।
देशभर में 16000 किसानों ने एनपीएसएस ऐप डाउनलोड किया है।
एनपीएसएस ऐप का उपयोग करके 22359 सर्वेक्षण पूरे किए गए हैं।
PMFBY (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana)
PMFBY एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो देश भर में कृषि और बागवानी फसलों के जीवन-चक्र के दौरान होने वाले विभिन्न जोखिमों और खतरों से कृषक समुदायों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।
योजना के तहत गतिविधियों के लिए 100 दिनों की कार्ययोजना के लिए, पिछले खरीफ की तुलना में चालू खरीफ में अधिक संख्या में किसानों को शामिल करना विभाग के कार्य बिंदुओं में से एक था।
इस उद्देश्य के लिए, विभाग ने योजना के तहत किसानों के नामांकन की कट-ऑफ-डेट बढ़ाने के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त अनुरोधों को सक्रिय रूप से मंजूरी दे दी है। इसके अलावा, संबंधित बैंक शाखाओं के माध्यम से PMFBY के तहत केसीसी खाताधारक किसानों को संतृप्त करने के लिए जुलाई 2024 के महीने में एक अभियान शुरू किया गया था। इस अवधि के दौरान एक और राज्य, यानी झारखंड को भी इस योजना के तहत शामिल किया गया।
भारत सरकार की इन पहलों के परिणामस्वरूप, योजना के तहत लगभग 35 लाख और किसानों और 40 लाख हेक्टेयर भूमि का बीमा किया गया है। खरीफ 2024 के लिए बीमित किसानों की कुल संख्या 293 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है, जो अब तक की सबसे अधिक संख्या है और कुल बीमित क्षेत्र 12% से अधिक की वृद्धि दर्ज करते हुए 365 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है।
बाढ़ सर्वेक्षण:
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री महोदय सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बाढ़ की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिएआन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना का दौरा किया । एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने भी इन राज्यों का दौरा किया। इस संबंध में एक रिपोर्ट माननीय गृह मंत्री को प्रस्तुत कर दी गई है।
नए पहल 
कृषि चौपाल
एक नया टेलीविजन और रेडियो कार्यक्रम “कृषि चौपाल” कृषि शिक्षा और outreach के क्षेत्र में एक नवोन्मेषी कदम है। अक्टूबर 2024 से शुरू होने जा रहा यह पहल किसानों और नवीनतम कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के बीच की खाई को पाटने का लक्ष्य रखता है, ताकि महत्वपूर्ण जानकारी उन लोगों तक पहुँच सके जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
कृषि चौपाल के उद्देश्य
नई कृषि अनुसंधान का प्रसार:
कार्यक्रम का फोकस किसानों के साथ अत्याधुनिक अनुसंधान निष्कर्ष साझा करने पर होगा, जिससे उन्हें नई तकनीकों, फसल किस्मों, कीट प्रबंधन और सतत प्रथाओं की जानकारी मिलेगी। जटिल अनुसंधान को व्यावहारिक, क्रियाशील सलाह में बदलकर, कृषि चौपाल किसानों को उत्पादकता और स्थिरता बढ़ाने के लिए सशक्त बनाने का प्रयास करेगा।
सर्वश्रेष्ठ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना:
कृषि में सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के महत्व पर जोर देते हुए, यह शो सफल केस स्टडीज, नवोन्मेषी खेती के तरीकों और पारिस्थितिकी खेती की रणनीतियों को उजागर करेगा।
कृषि विशेषज्ञों के साथ सीधे संवाद की सुविधा:
कृषि चौपाल की एक प्रमुख विशेषता इसका इंटरैक्टिव प्रारूप होगा, जो किसानों को लाइव प्रश्नोत्तर सत्रों के माध्यम से कृषि विशेषज्ञों के साथ सीधे संवाद करने की अनुमति देगा। यह खुला संवाद किसानों की विशिष्ट प्रश्नों, चिंताओं और चुनौतियों को संबोधित करने में मदद करेगा, जिससे सामुदायिक भावना और समर्थन को बढ़ावा मिलेगा।
किसानों की शिकायत निवारण प्रणाली (FGRS):
DA&FW किसानों की शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करेगा, जो किसानों को किसी भी संबंधित योजना से जुड़ी अपनी शिकायतें दर्ज करने में बहुभाषी सहायता प्रदान करेगा और स्पष्ट रूप से परिभाषित प्रक्रिया के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर निवारण की मांग करेगा।
FGRS प्लेटफॉर्म किसानों को सब्सिडी वितरण, तकनीकी सहायता, विस्तार सेवाओं, और कार्यक्रमों और योजनाओं के कार्यान्वयन से संबंधित किसी भी मुद्दे से जुड़ी अपनी पूछताछ या शिकायतें दर्ज करने के लिए निर्बाध, बहु-चैनल (CSC के माध्यम से वेब पोर्टल, मोबाइल ऐप, कॉल सेंटर समर्थन, IVR आदि) सहायता प्रदान करेगा।
यह शिकायत की स्थिति का वास्तविक समय में ट्रैकिंग और प्रगति पर स्वचालित अपडेट प्रदान करेगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और किसानों को सूचित रखा जाएगा। FGRS कुंजीशब्द ( keyword ) आधारित प्रणालीगत वर्गीकरण और गंभीरता के आधार पर मुद्दों की प्राथमिकता को एकीकृत करेगा ताकि प्रभावी हैंडलिंग और बढ़ाने की मैट्रिक्स सुनिश्चित हो सके, जिससे शिकायत को संबद्ध सरकारों/विभागों/पीएसयू/स्वायत्त निकायों/ सहकारी समितियों को निवारण के लिए सौंपा जा सके और प्रतिक्रिया विकसित की जा सके।
FGRS किसानों को किसी भी संबंधित योजना से जुड़ी अपनी पूछताछ या शिकायतें दर्ज करने में बहुभाषी सहायता प्रदान करने का इरादा रखता है और स्पष्ट रूप से परिभाषित प्रक्रिया के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर निवारण की मांग करेगा।
खाद्य उत्पादन में उपलब्धियां :
वर्ष 2023-24 के लिए अंतिम अनुमानों के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन 332.2 मिलियन टन अनुमानित है जो वर्ष 2022-23 के दौरान प्राप्‍त 329.7 मिलियन टन उत्‍पादन की तुलना में 2.6 मिलियन टन अधिक है।
यह वृद्धि वर्ष 2023-24 मे चावल और गेहू की अच्छी पैदावार के फलस्वरूप हुई है ।
वर्ष 2024-25 मे दिनांक 13.09.2024 तक खरीफ फसलों के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल कवरेज पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 2% अधिक है। चावल मे पिछले वर्ष की तुलना मे लगभग 16 लाख हेक्टेएर एवं मक्का के क्षेत्र मे लगभग 4 लाख हेक्टेएर की वृद्धि हुई है ।
शिवराज सिंह चौहान ने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग ;डेयर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर की 100 दिन की प्रमुख उपलब्धियों के बारे में भी बताया जो कि निम्नलिखित हैं:
1.कलाईमेट रिज़िल्यन्ट एवं गुणवत्ता वाली 109 किस्मों का अनुमोदन तथा भविष्य में उनका प्रभाव: पिछले 100 दिनों के दौरान 61 फसलों की 109 विशेष गुणों वाली किस्मों, जिनमें 34 खाद्य फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं, का विमोचन किया गया तथा माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किसानों को राष्ट्र को समर्पित किया गया । ये सभी किस्में विभिन्न जैविक तथा अजैविक दबाओं जैसे की कीड़े, बीमारी, सुखा, जलभराव, गर्मी, क्षरिए भूमि के प्रति सहनशील हैं तथा कुछ किस्में उच्च पौषक तत्वों से भरपूर है। जैसाकि आप सभी देख रहे हैं जलवायु परिवर्तन विकट रूप लेता जा रहा है। ये किस्में आने वाले समय में विपरीत परिस्थिति में किसान की फसल को नुकसान से बचाएंगी और जहां पूरी फसल बर्बाद हो जाती थी, किसान को उसकी पूरी पैदाववर मिलेगी।
2.नई किस्मों को किसानों तक जल्दी से जल्दी पहुँचाने की रूपरेखा: आईसीएआर, कृषि विस्वविद्यालयों तथा राज्यों ने मिलकर इन किस्मों के बीजों को किसानों तक जल्द से जल्द ले जाने के पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। आने वाले रबी मौसम की फसलों के ब्रीडर बीज के इंडेंट राज्यों से ले लिए गए हैं। इसके अलाव इनको जल्दी से जल्दी किसान तक पहुंचाने के लिए सरकारी बीज उत्पादन संस्थाओं के साथ साथ किसानों की सहभागिता तथा निजी क्षेत्र के उपक्रमों का भी बीज उत्पादन में सहयोग लिया जाएगा
3.बीज उत्पादन केंद्रों को साथी पोर्टल पर शामिल करना: इसी क्रम में मन्त्रालय ने ब्रीडर बीज उत्पादन करने वाले 266 केंद्रों को साथी पोर्टल पर ऑन बोर्ड कर लिया है जिससे बीज की टरेसीबीलीटी रहेगी तथा किसानों को गुणवत्ता वाला बीज मिलने में मदद मिलेगी।
4.उन्नत कृषि तकनीकों का विमोचन: 100 विभिन्न उन्नत कृषि तकनीकों का विमोचन किया गया है जो किसानों को सही मात्रा एवं समय पर इनपुट देने, लागत काम करने तथा विभिन्न बीमारी कीड़ों से फसल को बचाने में कारगर सिद्ध हो रही हैं ।
5.जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए सटरेटेजिक योजनाएं: ब्लॉक स्तर पर जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए 140 ब्लॉकों (28 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों) सटरेटेजिक योजनाएं विकसित की गई जिसमें सुखा, अधिक बारिश के कारण जलभराव, बाढ़, समुद्री तूफान आदि की स्थिति में सही किस्मों का चुनाव, जल संरक्षण के तरीके, जलभराव की स्तिथि में फसल एवं पशुधन को बचाने के तरीके आदि शामिल हैं तथा इसको और क्षत्रों में बढ़ाने पर कार्य चल रहा है।
6.एआई-आधारित एप/ उपकरणों का विकास: एआई-आधारित, कम लागत एवं उच्च क्षमता वाले 10 एप/ उपकरणों का विकास किया गया हैं जिनमें 61 फसलों के लिए एआई आधारित कीट पहचान के लिए प्लेटफॉर्म विशेष है जिससे किसान कीटों की फोटो अपलोड कर उसका नाम तथा नियंत्रण की जानकारी ले रहे है। पिछले एक माह में 15000 से अधिक किसानों ने इस एप को डाउन लोड कर इसका उपयोग शुरू कर दिया है। ऐसे ही नौ अन्य एआई आधारित उपकरण/ एप विकसित कर किसानों को प्रयोग के लिए उपलब्ध कराए हैं जो आने वाले समय में खेती के लिए वरदान शामिल होंगे।
7.कृषि शिक्षा की प्रवेश पद्यति को अनलाइन करना तथा VIKAS एप का विकास: कृषि विश्वविद्यालय में प्रवेश, मान्यता और RAWE कार्यक्रम इत्यादि को पूर्णतया ऑनलाइन किया गया तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार Multiple Entry/Multiple Exit, उद्यमिता पर जोर देने, जैसे प्रावधानों को शामिल कर कृषि स्नातक पाठ्यक्रमोंको विकसित कर लिया गया है जिन्हे आने वाले शिक्षा ससत्र से लागू कर किया जाएगा । इसके साथ ही स्नातक छात्रों के लिए ‘ग्रामीण जागरूकता कार्य अनुभव (RAWE)’ के अंतर्गत एक मोबाइल ऐप “VIKAS” का कार्यान्वयन किया गया है जो छात्रों की कृषि में रूचि बढ़ाने के साथ साथ उनको खेती की विभिन्न गतिविधियों की गहरी जानकारी भी उपलब्ध कराएगा।
8.केवीके द्वारा किसानों का प्रशिक्षण: कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) के माध्यम से युवाओं और महिलाओं को कौशल विकास के क्रम में पिछले 100-दिन में कुशल युवा कार्यक्रम के तहत 65,000 से अधिक किसानों एवं युवाओं को को प्रशिक्षित किया गया, इनमें से 32465 महिलाएं और 32941 पुरुष प्रशिक्षु शामिल हैं।
9.प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की तरफ उठाए गए कदम: प्राकृतिक खेती के वैज्ञानिक तथ्यों को जानने के लिए अनुसंधान एवं मूल्यांकन का कार्य जारी है तथा स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम का विकास किया गया है । प्राकृतिक खेती पर 425 केवीके द्वारा 2,476 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से 1,01,633 किसानों को प्रशिक्षित किया गया तथा 7,592 प्रदर्शनों का आयोजन किया। इसके साथ ही 11,341 जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से 11.37 लाख किसानों और अन्य हितधारकों को शामिल किया गया।

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