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शंकराचार्य की डिमांड, बड़े मंदिरों से हटे सरकारी नियंत्रण, तिरुपति लड्डू धर्म भ्रष्ट करने की साजिश

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जबलपुर(विश्व परिवार)। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनंद ने तिरुपति देवस्थानम के प्रसाद विवाद पर कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि बड़े मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटाया जाना चाहिए. तिरुपति मंदिर के प्रसाद में फिश ऑयल व पशु चर्बी होने के दावे के बाद शंकराचार्य सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि 5 सालों तक अशुद्ध वस्तु से बना प्रसाद मंदिर में जाता रहा, तब सरकार और उसका इंटेलिंजेंस कहां था? उन्होंने कहा कि मंदिरों से सरकारी नियंत्रण नहीं हटाया गया, तो वे कोर्ट जाएंगे. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि सरकार की जगह अगर बड़े मंदिरों का नियंत्रण धर्माचार्यों के पास रहेगा तो इस तरह की गलती नहीं होगी।
तिरुपति की घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
शंकराचार्य ने कहा, ” तिरुपति में जो घटना घटी है वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. स्वतंत्रता के 77 साल बाद भी हिंदुओं को उनके मंदिरों का नियंत्रण नहीं मिल पाया है. इस घटना के बाद अब विधि विशेषज्ञों से सलाह ली जाएगी और जरुरत पड़ी तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और बड़े मंदिरों से सरकारी नियंत्रण को खत्म करने की मांग की जाएगी।”
हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट करने की साजिश
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद का आरोप है कि इस मामले में आंध्र प्रदेश की पूर्व सरकार की साजिश है. वे जानबूझकर हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने ऐसा किया. शंकराचार्य ने कहा कि वे इसी घटना के बाद गौ हत्या को खत्म करने के लिए देश भर में एक यात्रा निकाल रहे हैं. जिससे गाय की हत्या करने वाले उसकी चर्बी का इस्तेमाल न करें और न ही उससे नकली घी बनाया जा सके।
क्या है तिरुपति प्रसाद विवाद?
दरअसल, आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाले लड्डू में गंभीर लापरवाही की बात सामने आई. गुजरात की एक लैब ने लड्डू को बनाने में उपयोग किए गए घी के साथ पशु चर्बी और फिश ऑयल के इस्तेमाल का दावा किया है. इसके बाद मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करने और उनके धर्म से खिलवाड़ करने के ‘महापाप’ का आरोप लगाया है।
अन्य तीर्थों में भी हो सकती है गड़बड़ी
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद ने कहा,” जिस तरीके से तिरुपति देवस्थानम में गड़बड़ी हुई, वही संभावना बद्रीनाथ और केदारनाथ में भी होने की है. क्योंकि यहां पर भी सरकार अपने नियंत्रण के जरिए भर्तियां करने जा रही है. भविष्य में किसकी भर्ती होती है, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता और वह धार्मिक स्थान को कितना समझता है इस पर भी सवाल है।”
जबलपुर प्रवास पर हैं शंकराचार्य
गौरतलब है कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनंद आज मध्य प्रदेश के जबलपुर प्रवास पर हैं. इसके बाद वे यहां से श्रीधाम जा रहे हैं और गौ रक्षा को लेकर एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू कर रहे हैं. इस आंदोलन के तहत वे गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग कर रहे हैं. इस आंदोलन को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के स्थान श्रीधाम से शुरू किया जा रहा है।

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