जैन समाज ने किया डी आई जी का सम्मान
इस चातुर्मास में सागर की संस्कृति को देशभर के श्रद्धालु देख रहे हैं –डी आईं जी सुनील कुमार
सागर(विश्व परिवार)। कर्म संभाल कर करना चाहिए कर्म को कोई दया नहीं है वह घानी में पिलवा दे अग्नि से जला दें इसलिए तो कहा गया कि प्रथमानुयोग को पढ़ें अध्यात्म पड़ने के बाद इतनी तीव्र कषाय जागतीं है कि वह झुकना भूल जाता है ये जो अध्यात्मी है नाउनके कोई सहनशीलता नहीं होती वह खानें पीने एक दिन को भी नहीं छोड सकता उनसे कहा दो कि संयम ले लो ये ले ही नहीं सकते पाप कर रहा है तो पापी है स्वीकार करना सीखो सत्य को स्वीकार करना सीखो जो सत्य है तो है सत्य को स्वीकार करना पड़ेगा दुनिया में तुम एक व्यक्ति चुन लेना जिससे कुछ नहीं छुडाना उक्त आश्य केउद्गार भाग्योदय तीर्थ सागर में विशाल सभा को सम्बोधित करते हुए मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने व्यक्त किए।
सागर समाज की अपार भक्ति से देशभर की समाज अविभूत है-विजय धुर्रा
इस दौरान मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि सागर समाज की अपार भक्ति झलक रही है जिस दिन से गुरु देव ने सागर जिले में प्रवेश किया तव से ऐसा कोई दिन नहीं वीत रहा जिस दिन कोई नया आयाम स्थापित हो रहा हो हमारे बीच परम पूज्य गुरुभक्त सागर संभाग के डी आई जी सुनील कुमार जैन पधारे हैं चाहे कटनी हो दमोह कुंडलपुर जहां भी गुरु देव विराजे आप पहुंच कर धर्म लाभ प्राप्त करते रहते हैं।
इस दौरान चातुर्मास कमेटी गौरव अध्यक्ष राजेंद्र जैन सुरेन्द्र कुमार बट्टू कार्याध्यक्ष राजेश एडवीना सर्वाध्यक्ष आशीष पटना महामंत्री राजकुमार मिनी मुख्य संयोजक ऋषभ बांदरी कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र डवडेरा शिविर संयोजक साहिल डवडेरा प्रशांत जैन सानोधा अंकित जैन नेता मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय जैन धुर्रा सहित अन्य भक्तों ने माला चित्र साल श्री फल भेंट कर सम्मानित किया।
सागर में चल रहा है ऐतिहासिक चातुर्मास- डी आई जी सुनील कुमार
इस दौरान डी आई जी सुनीलकुमारजैन ने कहाकि सागर जिले की धार्मिक संस्कृतिक क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान है और जिस सभा हम सब उपस्थित उस सभा के नायक निर्यापक श्रमणमुनि पुंगवश्री सुधा सागर जी महाराज की ये कर्म भूमि रही है ऐसे में इस नगर में इतिहास रचना जाना स्वाभाविक है जैसा कि अभी कहां गया प्रतिदिन यहां एक नया इतिहास वन रहा है ये सभी के लिए बहुत आनंद दे रहा धार्मिक आयोजनों के साथ बुंदेलखंड की संस्कृति को देशभर में एक नई पहचान मिलेगी उन्होंने कहा मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज की प्रेरणा से कि विगत दिनों सागर में जो संस्कारो की वायर निकली उसने हमारे संभाग का गौरव बढ़ाया है उन्होंने कहाकि चाहे कटनी हो दमोह या अशोक नगर में पदस्थ रहते हुए वहां की परम्परा को समझने का मौका मिला।
परिग्रह के साथ आत्मा का अनुभव असंभव है
उन्होंने कहा कि परिग्रह के साथ कुछ भी अनुभव मैं नहीं आयजगा उन्होंने कहा कि जिनवाणी कह रही है कि तुम भगवान हो द्रव्यानुयोग में लिखा है यही तो समझा रहा हूं यदि मां झूठ ना बोले तो वह मां नहीं मां तो झूठ बोल रही है आज समयसार पड़ने वालो की मजाक क्यों हो रही है कहते कुछ हैं और करते कुछ और है कहते हैं कि मैं शुद्ध बुद्ध हूं अजर अमर अविनाशी है और सभा में सर्प आ जाये तो सब भाग लेते है जो समय सार में लिखा है घर ग्रहस्थि में आत्मा अनुभव ग्रहस्थ को हो ही नहीं सकता एक धागा भी परिग्रह का है तो कुछ भी अनुभव मैं आ ही नहीं सकता एक मां अपने बेटे को गोदी में लेकर राजा बेटा कहती हैं बिल्कुल सफेद झूठ बोल रही है उसको पता है कि वह राजा नहीं है यदि बेटा बाजार में जाकर कहने लगे तो मजाक बनकर रह जायेगा दुनिया में कहीं चले गए सब जगह मजाक ही बनेगा मां के पास बेटा पहुंच कर कहेगा फिर भी वह अपने बेटो राजा बेटा ही कहेगी ऐसे ही जिनवाणी है जो अपने बेटे को राजा बेटा कह रही है।