Home आर्टिकल ‘क्रिएट इन इंडिया’ के मायने अगली सदी की गाथा और अर्थव्यवस्था पर...

‘क्रिएट इन इंडिया’ के मायने अगली सदी की गाथा और अर्थव्यवस्था पर प्रभुत्व के लिए भारत की कुंजी – अनुराग सक्सेना

20
0

(विश्व परिवार)। पश्चिमी देशों ने नवाचार, बौद्धिक संपदा (आईपी) और तकनीकी प्रगति पर सदियों से अपना फोकस निरंतर बनाए रखने का लाभ उठाया है। अक्सर विनिर्माण और सेवा की तुलना में सृजन को महिमामंडित करके, इन देशों ने न केवल अपने आविष्कारों का आर्थिक लाभ प्राप्त किया है, बल्कि अपनी अवधारणाओं को वैश्विक स्तर पर निर्यात भी किया है। इन उपायों से वे आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित हुए हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका ने इंटरनेट, फार्मास्यूटिकल और एयरोस्पेस जैसी विघटनकारी तकनीकों के माध्यम से उद्योग जगत को बदल दिया। इसके परिणामस्वरूप, उनके उत्पादों और सेवाओं की वैश्विक मांग पैदा हुई। इसी तरह, यूरोपीय देशों ने इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे- रेलमार्गों के आर्थिक लाभ), ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग और लक्जरी सामान जैसे क्षेत्रों में नेतृत्व किया है, जहां नवाचार और बौद्धिक संपदा (आईपी) उनके वैश्विक प्रभुत्व के मूल में हैं। इसके विपरीत, भारत और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं ने ऐतिहासिक रूप से विनिर्माण और सेवाओं पर अपने विकास को टिकाया है। यह दोनों ही क्षेत्र मूल्य-संवर्धन के परिदृश्य में निचले स्थान पर हैं। यह दृष्टिकोण, औद्योगिकीकरण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी होने के बावजूद, नवाचार या आईपी सृजन को प्राथमिकता नहीं देता है। वास्तव में बौद्धिक संपदा आर्थिक लाभ उठाने योग्य है। यही कारण है कि ये देश उन्नत प्रौद्योगिकियों के निर्माता बनने के बजाय उपभोक्ता बन गए हैं।
हालांकि, चीन ने हाल के वर्षों में इस मॉडल को तोड़ दिया है। इसने नवाचार, बौद्धिक संपदा और तकनीकी प्लेटफार्मों में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। देश ने दूरसंचार, सोशल मीडिया और गेमिंग जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीकों का विकास किया है। हुआवेई, टिकटोक और टेंसेंट जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियां इसके उदाहरण हैं। इन प्रयासों ने चीन की घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। इतना ही नहीं, इसे एक मजबूत वैश्विक निर्यातक के रूप में स्थापित किया है, और इसे दुनिया भर के अमूल्य डेटा तक पहुंच प्रदान की है। दूसरी ओर, भारत ने एक अलग तीव्र प्रगति का अनुसरण किया। उत्पादीकरण और प्रौद्योगिकी निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, भारत संपर्क केंद्रों, वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) और आईटी सेवाओं का पर्याय बन गया। इस स्थिति ने भारत को दुनिया का बैकरूम का नाम दिया। यह एक ऐसी भूमिका है, जिसने आर्थिक रूप से लाभकारी होने के बावजूद, नवाचार और उच्च-मूल्य प्रौद्योगिकी निर्माण के मामले में देश को पिछड़ा बना दिया। जबकि भारत ने सेवाएं प्रदान करने में उत्कृष्टता हासिल की, इसने अक्सर अन्य देशों के नवाचार और उत्पाद विकास से जुड़े प्रयासों का नेतृत्व करने के बजाय उनका समर्थन किया।
हालांकि, पिछले दशक में भारत के वैश्विक रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है। भारत एक भू- राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरा है और इसने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी ताकत दिखाई है। कूटनीतिक रूप से, भारत ने वैश्विक मंच पर एक अधिक मुखर स्थिति अपनाई है, अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी स्वायत्तता बनाए रखते हुए प्रमुख शक्तियों के साथ रणनीतिक साझेदारी भी कायम की है। भू-राजनीतिक क्षेत्र में, भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया है और क्वाड जैसी पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ताकि भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला किया जा सके। व्यापार के मोर्चे पर, भारत ने व्यापार सौदों पर फिर से बातचीत की है और इसे खासकर कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक व्यवधानों के मद्देनजर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण हस्ती के रूप में देखा जा रहा है। यह नई मुखरता इस बात को निहित करती है कि भारत का “क्रिएट इन इंडिया” पर वर्तमान ध्यान समयोचित और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्यों है। नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास का समर्थन करके, भारत आर्थिक रूप से और सॉफ्ट पावर के मामले में, अगली सदी पर प्रभुत्व कायम करने के लिए खुद को तैयार कर रहा है। आर्थिक रूप से, सृजन पर ध्यान केंद्रित करने से भारत मूल्य श्रृंखला में ऊपर उठ सकेगा, अपनी बौद्धिक संपदा पर अधिक लाभ अर्जित कर सकेगा और विदेशी प्रौद्योगिकियों पर अपनी निर्भरता कम कर सकेगा। सॉफ्ट पावर के मामले में, मीडिया और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में अग्रणी होने से भारत को विकृत पश्चिमी कथानकों पर लगातार प्रतिक्रिया करने के बजाय अपने खुद के कथानकों को आकार देने की सुविधा मिलेगी।  जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान किया, आइए हम सब मिलकर क्रिएट इन इंडिया’ यानी ‘भारत में सृजन करें आंदोलन शुरू करें। ऐसे में हर कोई इसके दूसरे और तीसरे क्रम के प्रभावों, खासकर कथानक-सुधार और हमारे सभ्यतागत विचारों को वैश्विक स्तर पर निर्यात करने पर पड़ने वाले प्रभाव को नहीं समझ पाया। ईस्टमैन कलर और विनाइल रिकॉर्ड की "प्रौद्योगिकियों" ने अमेरिका को अपने नायकों और रॉकस्टार को आगे बढ़ाने में मदद की। एक्सआर और गेमिंग का युग भारत को अपने नायकों और रॉकस्टार को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।  सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) 2025 के तत्वावधान में क्रिएट इन इंडिया चैलेंज की घोषणा की। यह एक अनूठा आयोजन है, जो दुनिया के सामने हमारे एवीजीसी सेक्टर के भविष्य को दर्शाता है। यह ब्रॉड स्पेक्ट्रम चैलेंज 25 प्रकार के कंटेंट और गेम में हमारी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को प्रदर्शित करती है। भारत को ऐसे और भी दृश्यमान समारोहों की आवश्यकता है। अब समय आ गया है कि दुनिया हमारी रचनात्मकता और हमारी महत्वाकांक्षा को देखे। हालांकि, इस क्षमता के द्वार को पूरी तरह से खोलने के लिए, भारत को भी भारी निवेश करना होगा। एवीजीसी सेक्टर डिजिटल इंटरैक्शन और मनोरंजन के भविष्य का प्रतिनिधित्व करता है। भविष्य के इस द्वार को खोलने के लिए कौशल-विकास, निवेश पाइपलाइन, ऐसे प्लेटफॉर्म हैं, जो मायने रखते हैं। इसके लिए एक प्रगतिशील नियामक प्रणाली के साथ-साथ और भी कई आवश्यकताएं हैं। यह वास्तव में एक कठिन काम है। लेकिन यहां गंगोत्री स्थापित करके, भारत आने वाले वर्षों के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था और कथानक में अपना नेतृत्व सुनिश्चित कर सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here