Home धर्म ना भीड़ में गुम हो, ना देने से कम हो, वह है

ना भीड़ में गुम हो, ना देने से कम हो, वह है

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प्रेम-दोस्ती-मैत्री
प्रेम में – राग अनुराग दोनों है।
दोस्ती – वह है जो सुख दुःख में साथ निभा सके।
मैत्री – प्राणी मात्र के प्रति।
हैदराबाद(विश्व परिवार)। सच में – सबको एक अच्छे दोस्त की आवश्यकता होती है। जो हमें – हमारी उन गलतियों से परिचित कराते हैं, जो हमारे जीवन के चहुंमुखी विकास में बाधक होती है,, और उन अच्छाईयों से परिचित कराते हैं, जिसे हम अपने वाणी, व्यवहार में अपनाकर घर, परिवार, समाज और देश में नाम, प्रशन्सा, ख्याति, सद् व्यवहार से पहचान बनाने में कामयाब हो सकते हैं।
दोस्त जन्म से नहीं मिलते – हमारे अच्छे-बुरे, वाणी-व्यवहार से बनते हैं। अच्छी दोस्ती निभाने के लिए कभी कभी कठिन दौर से भी गुजरना पड़ता है। इसलिए सच्चा और अच्छा दोस्त सिर्फ जन्मदिन और शादी की सालगिरह पर बधाई नहीं देता बल्कि घर परिवार की खुशी के वातावरण और व्यापार की उपलब्धियों का भी साथी होता है। अच्छी दोस्ती अनेक समस्याओं का समाधान भी है। दोस्त अपने दोस्त को दिल की बात बताने में कभी झिझकता भी नहीं है। हम कितने खुश है ये ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि हमसे कितने लोग खुश है यह बहुत महत्वपूर्ण है। दुर्भाग्य कहो इस सदी का — आज रिश्तों में ही सबसे ज्यादा पाप और स्वार्थ घुस गया है, तभी तो वर्षों पुराने रिश्ते मिनटो में टूट जाते हैं।

 

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