रायपुर(विश्व परिवार)। एक 40 दिन का बच्चा बहुत बीमार था। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और उसका वजन भी कम हो रहा था। जन्म के समय उसका वजन 2.75 किलोग्राम था, लेकिन खाने में दिक्कत और सांस लेने की समस्या के कारण उसका वजन घटकर 1.8 किलोग्राम रह गया था। पहले उसे दुर्ग के एक अस्पताल में ले जाया गया था, लेकिन बाद में उसे रायपुर के एक बच्चों के अस्पताल में रेफर किया गया। डॉ. किंजल बक्शी ने बच्चे की जांच की और पाया कि उसके दिल में एक बड़ा छेद है। दवाओं के बावजूद बच्चे की हालत में सुधार नहीं हुआ। इसलिए, डॉक्टरों ने फैसला किया कि दिल में छेद को बंद करना होगा। किन बच्चा बहुत छोटा था और उसका ऑपरेशन नहीं किया जा सकता था। इसलिए, डॉक्टरों ने बिना ऑपरेशन के कैथ लैब में दिल का छेद बंद करने का फैसला किया। यह एक बहुत ही चुनौती पूर्ण कार्य था, बच्चा बहुत ही छोटा होने की वजह से उसकी धमनियां काफी छोटी थी, बच्चे के वजन के अनुसार उपयुक्त उपकरणों को रूपांतरित कर डॉक्टर किंजल बक्शी, डॉक्टर सुमंता शेखर पाढ़ी एवं डॉक्टर अरुण अंडप्पन ने मिलकर सफलतापूर्वक इस प्रोसीजर को किया। रोगी को पोषण पुनर्वास के लिए अगले दिन बाल चिकित्सा अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया बच्चा अब ठीक है उसका वजन भी बढ़ रहा है जहां तक हमारी जानकारी है यह मध्य भारत में PDA (पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस) प्रोसीजर वजन के हिसाब से सबसे छोटा बच्चा है।