टीकमगढ़(विश्व परिवार)। आचार्य श्री सुमति सागर जी से दीक्षित आर्यिका श्री सृष्टिभूषण माताजी अपने संयम जीवन का 31वां वर्षायोग आर्यिका श्री 105 विश्वयशमति और क्षुल्लिका माताजी के साथ टीकमगढ़ में अति उत्साह पूर्वक चल रहा है। दिगभ्रमित युवा पीढ़ी को जैन संस्कार प्रदान करने की वात्सल्य ममतामयी भावना से आर्यिका माताजी की प्रेरणा और निर्देशन में सृष्टि मंगलम सेवा समिति और गुरु मां सृष्टि चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दिनांक 27 अक्टूबर को उपनयन संस्कार (मोजी बंधन) समारोह का आयोजन किया गया है। उपनयन संस्कार शिविर के बारे में आर्यिका श्री सृष्टिभूषण माताजी ने बताया कि जीवन के उचित रूपांतरण के लिए यह संस्कार अति आवश्यक है क्योंकि वर्तमान पश्चिमी सभ्यता के कारण युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही है उन्हें जैनत्व के संस्कार की वर्तमान में महिती आवश्यकता है ।इस कारण 8 वर्ष से 25 वर्ष के युवा/युवतियों को जैनत्व के संस्कार इस शिविर के माध्यम से दिए जाएंगे। इस अवसर पर दिगंबर जैन मंदिर पपौरा में श्री जी के अभिषेक ,शांतिधारा, देव शास्त्र गुरु की पूजन पश्चात पूर्वाचार्यों के चित्र का अनावरण और दीप प्रवजलनआमंत्रित अतिथियों और मंदिर कमेटी जैन समाज टीकमगढ़ के पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा। आर्यिका श्री विश्वयश मति माताजी ने बताया कि अभी तक 200 शिवरात्रियों द्वारा पंजीयन कराया गया है जिन्हें आर्यिका श्री सृष्टिभूषण माताजी के द्वारा उपनयन संस्कार के पश्चात जिनवाणी साहित्य तथा अभिमंत्रित उपहार स्मृति स्वरूप दिए जाएंगे। समाज के अध्यक्ष राजेंद्र जैन, तथा अरुण सेठ ने बताया कि 25 अक्टूबर को आर्यिका माताजी का संघ सहित अतिशय क्षेत्र पपौरा जी के लिए मंगल विहार हो गया है।