(विश्व परिवार)। ज्योतिरादित्य सिंधिया केन्द्रीय संचार तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री हैं तकनीकी प्रगति के साथ पैदा होने वाले खतरों से नागरिकों को बचाने के लिए एक सुदृढ़ साइबर व्यवस्था से लैस भारत का निर्माण करना होगा भारत में, दूरसंचार की उपयोगिता लोगों को जोड़ने से कहीं बढ़कर है। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण उपकरण भी है, जो विकास के हाशिए पर रहने वाले लोगों के उत्थान का काम करता है। पिछले एक दशक में, देश में डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भारी विकास हुआ है। दुनिया में सबसे सस्ते डेटा दरों के साथ, भारत में अब 954.40 मिलियन से अधिक इंटरनेट ग्राहक हैं। इनमें से 398.35 मिलियन इंटरनेट ग्राहक ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। पिछले एक दशक में, ब्रॉडबैंड कनेक्शन 64 मिलियन से बढ़कर 924 मिलियन हो गए हैं। इस व्यापक कनेक्टिविटी ने एक डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है, जो आज हमारे कुल आर्थिक परिदृश्य में 10 प्रतिशत का योगदान देता है। वर्ष 2026 तक इस योगदान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पांचवें हिस्से या 20 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है। बैंकिंग सेवाएं, केवाईसी सत्यापन, डिजिटल भुगतान और मोबाइल-आधारित प्रमाणीकरण भारत की डिजिटल क्रांति की रीढ़ रहे हैं, जिससे जन धन, आधार, मोबाइल (जेएएम) की तिहरी सेवाओं को फलने-फूलने में मदद मिली है। अकेले अक्टूबर 2024 में, देश में आधार समर्थ भुगतान प्रणाली के माध्यम से 126 मिलियन डिजिटल लेनदेन दर्ज किए गए। हालांकि, यह डिजिटल क्रांति विकट चुनौतियां भी प्रस्तुत कर रही है। विशेष रूप से, तकनीकी प्रगति के साथ पैदा होने वाले खतरों से हमारे नागरिकों की सुरक्षा की चुनौती। हमारे हाथ में रखे जाने वाले सुविधा के ये उपकरण स्पैम कॉल, घोटाले वाले संदेश, टेलीमार्केटिंग के अनुचित कॉल, फ़िशिंग घोटाले, नकली निवेश एवं ऋण के अवसरों जैसे साइबर अपराधों के जाल से भी घिरे हैं। एक विशेष चुनौती सामने आई है: “डिजिटल अरेस्ट” के घोटाले आज चिंताजनक दर से बढ़ रहे हैं। इसकी कार्यप्रणाली के तहत – अपराधी सरकारी अधिकारियों के रूप में निर्दोष व्यक्तियों को डराने और जबरन वसूली का कार्य करते हैं। महज वित्तीय नुकसान से परे, ये दुर्भावनापूर्ण कार्यप्रणालियां आजीविका को बाधित करती हैं, विश्वास को खत्म करती हैं और उस आत्मविश्वास को कमजोर करती हैं जो नागरिकों में डिजिटल अर्थव्यवस्था में पूरी तरह से शामिल होने के लिए आवश्यक है। हालांकि, इन उभरते खतरों के विरुद्ध त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए हमारे अधिकारियों ने पूरी तत्परता दिखाई है। उन्होंने फर्जी तरीकों से हासिल किए गए मोबाइल कनेक्शनों को काट दिया है और 7.6 लाख शिकायतों के माध्यम से 2,400 करोड़ रूपये से अधिक की राशि की हानि को बचाया। यह महज आंकड़ों को ही नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा और सपनों की सुरक्षा को भी दर्शाता है।
अब जबकि हम डिजिटल स्पेस की रक्षा के लिए अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं, हमारे नागरिकों के सहयोग के बिना यह एक निरर्थक कवायद साबित होगी। प्रधानमंत्री (पीएम) नरेन्द्र मोदी का हाल ही में नागरिकों से “रुको, सोचो और एक्शन लो” का आह्वान इंटरनेट की छाया में बढ़ते खतरों को रेखांकित करते हुए तात्कालिकता और दूरदर्शिता को दर्शाता है। यह आह्वान केवल बढ़ते साइबर अपराधों के विरुद्ध प्रतिक्रिया भर नहीं है, बल्कि एक सतर्क और सक्रिय समाज के निर्माण की दिशा में एक अपील भी है। अपने हालिया ‘मन की बात’ संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने समर्पित हेल्पलाइन 1930 और cybercrime.gov.in पोर्टल के माध्यम से संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने की अनिवार्यता दोहराई। साइबर अपराधियों के विरुद्ध लड़ाई में नागरिकों की भागीदारी पर जोर बेहद अहम है।
फिर भी, साइबर अपराधियों ने चालाकी बरतते हुए नई रणनीति विकसित कर ली है और अंतरराष्ट्रीय कॉलों को प्रच्छन्न तरीके से स्थानीय नंबरों (+91-xxxxxxxxxx) के रूप में दुरुपयोग कर रहे हैं। कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (सीएलआई) में किया जाने वाला चतुराई भरा यह हेरफेर इन कॉलों को वैध स्थानीय नंबर कॉल के रूप में छिपाना संभव बना देता है, जिससे धोखे का परिदृश्य और भी जटिल हो जाता है।
दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करते हुए स्वदेशी रूप से विकसित अंतरराष्ट्रीय इनकमिंग स्पूफ्ड कॉल्स प्रिवेंशन सिस्टम लॉन्च किया है। यह उपकरण एक बड़ा बचाव साबित हो रहा है, जो 86 प्रतिशत नकली कॉलों– लगभग 1.35 करोड़ कॉल प्रतिदिन – को रोक रहा है। साइबर-सुरक्षित भारत के हमारे दृष्टिकोण के केन्द्र में नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण है। ‘संचार साथी’ प्लेटफॉर्म इस मिशन का प्रतीक है, जिसमें चक्षु जैसे टूल हैं जो उपयोगकर्ताओं को संदिग्ध संदेशों, कॉल और व्हाट्सएप गतिविधियों की रिपोर्ट करने में समर्थ बनाते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति का लाभ उठाते हुए, डीओटी ने 2.5 करोड़ से अधिक धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शनों का पता लगाया और उन्हें काट दिया, 2.29 लाख से अधिक मोबाइल हैंडसेटों को ब्लॉक कर दिया, 71,000 विक्रेताओं को ब्लैकलिस्ट कर दिया और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपीएस) के माध्यम से 1,900 अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। युवा, तकनीक-प्रेमी आबादी के लाभ के साथ, हमने विद्यार्थियों को भी जमीनी स्तर की पहल में
शामिल किया है। देश भर में कॉलेज के विद्यार्थियों ने संचार मित्र स्वयंसेवकों के रूप में कदम बढ़ाया है। ये स्वयंसेवक समुदायों तक पहुंच रहे हैं और ‘संचार साथी’ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। ये युवा हिमायती नागरिकों को दूरसंचार धोखाधड़ी को रोकने के लिए उपलब्ध उपकरणों का उपयोग करने में मदद करते हैं। मई 2023 में अपनी स्थापना के बाद से, संचार साथी पोर्टल ने 7.7 करोड़ विजिट और प्रतिदिन औसतन दो लाख उपयोगकर्ताओं के साथ जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की है। इस पोर्टल ने 12.59 लाख चोरी और खोए हुए मोबाइल फोन का पता लगाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस धारणा को मजबूत करते हुए कि साइबर रक्षा और सुरक्षा एक सामूहिक जिम्मेदारी है, यह पोर्टल अपने डिजिटल अनुभवों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध नागरिकों के लिए एक आवश्यक संसाधन बन गया है। स्पैम कॉल, अनचाहे एसएमएस और टेलीमार्केटिंग के खतरे से निपटने के एक निर्णायक प्रयास के तहत, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जवाबी उपायों की एक मजबूत श्रृंखला भी लागू की है। नियमों के उल्लंघन पर कठोर दंड लगाया जाएगा, जो डिजिटल विश्वास के उल्लंघन के प्रति शून्य-सहिष्णुता (जीरो-टोलेरेंस) की नीति का परिचायक है। अब तक, ट्राई ने असत्यापित प्रचारात्मक कॉल में संलग्न 800 से अधिक संस्थाओं और व्यक्तियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जबकि 1.8 मिलियन से अधिक नंबर काट दिए गए हैं। ऐसी सख्त कार्रवाई एसएमएस संबंधी धोखाधड़ी के मामले में भी की गई है, जिसके तहत 350,000 अप्रयुक्त और असत्यापित मैसेजिंग हेडर और 1.2 मिलियन कंटेंट टेम्पलेट को ब्लॉक कर दिया गया है।
हमारी साइबर रक्षा रणनीति के केन्द्र में डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) है, जो 460 बैंकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों सहित 520 से अधिक हितधारकों को एकजुट करता है। यह सहयोग वास्तविक समय में सूचना साझा करने और साइबर खतरों के विरुद्ध समन्वित कार्रवाई को संभव बनाता है। तेजी से विकसित हो रहे इस डिजिटल युग में, साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देना महज एक सावधानी भर नहीं है। बल्कि यह हमारे देश के डिजिटल भविष्य की सुरक्षा की दृष्टि से एक आवश्यक कदम है। एक मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, तकनीक-प्रेमी युवा आबादी और मजबूत संस्थागत ढांचे के साथ, भारत ने खुद को डिजिटल इकोसिस्टम में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित किया है। जैसे-जैसे हम इस जटिल परिदृश्य में आगे बढ़ रहे हैं, निरंतर सुधार और अनुकूलनशीलता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ बनी रहेगी। प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप कार्य करते हुए, हम एक सुदृढ़ साइबर व्यवस्था से लैस भारत का निर्माण करेंगे – जहां प्रत्येक नागरिक सुरक्षित, सशक्त और इस डिजिटल युग में फलने-फूलने के लिए तैयार हो।