लवन(विश्व परिवार)। दीपावली पर्व के पूर्व सुआ नृत्य की हलचल शुरू हो चुकी है। सुबह से घरों में सुआ नृत्य के लिए बालिकाओं की टोली दस्तक दे रही है। इससे पर्व की रौनकता बढ़ती जा रही है। सुआ नृत्य व इन गीतों शिव पार्वती, गणेश, राम-सीता, लक्ष्मण पर आधारित गीत गाते हैं। गांव के देवी देवताओ को गीतों से याद कर खुशहाली की कामना कर रहे हैं।
अंचल के नगर सहित बगबुडा़, लवन, धाराशिव कैलाशगढ़, कोहरौद, दतान, खैरा, कोलिहा, कोरदा, अहिल्दा, तुरमा, खैन्दा , मुंडा,में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व सांस्कृतिक सुआ गीत नृत्य की धूम है। सप्ताह भर पूर्व से सुआ नर्तक दल नृत्य और मनमोहक गीत से आशीष देने पहुंच रहे हैं। इन दिनों छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोगों की सुआ नर्तक टोली गांव व शहर में लोगों के घर आंगन, दुकानों में नृत्य कर आशीष देती नजर आ रही है। सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ की परंपराओं में से एक महत्वपूर्ण नृत्य है। पर्व विशेष को लेकर छोटी-छोटी बालिकाएं साड़ी पहनकर सुवा नृत्य करने पहुंच रही हैं। आस-पास गांव से आ रही सुआ नृत्य की टोली बैंड बाजा पेटी के साथ पहुंच रही है। नृत्य देखने के लिए बच्चों की भीड़ एकत्रित होती है। सुआ नृत्य के लिए बच्चियों के अलावा महिलाओं का समूह भी हिस्सा ले रहा है। गीत गाकर और ताली बजाकर नृत्य कर रहे हैं। गांवों में यह प्रथा अब भी कायम है। महिलाएं गांव के देवी मंदिर, कुल देवी व धार्मिक स्थल, घर के सामने और आंगन में नृत्य प्रस्तुत करती हैं। त्योहार की खुशी जाहिर करने की यह एक परंपरा है। जिसमें लोग अपनी क्षमतानुसार रुपये, अनाज, उपहार देते हैं।