Home धर्म सिद्धचक्र महामंडल विधान के दूसरे दिन 16 अर्घ किये समर्पित

सिद्धचक्र महामंडल विधान के दूसरे दिन 16 अर्घ किये समर्पित

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  • भव्य आगुवानी के मध्य पावागिरि की पावन धरा पर आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता जी का ससंघ शुभागमन।

ललितपुर(विश्व परिवार)। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र पावागिरि में टीकमगढ़ में चातुर्मास पूर्ण कर शुक्रवार को परमपूज्य आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता का ससंघ शुभागमन हुआ। आचार्य सुमति सागर महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता जी, विश्वयश मति माता जी एवं क्षुल्लिका आप्तमति माता के पावागिरि आगमन पर क्षेत्र प्रबंध समिति के तत्वाधान में जैन धर्माबिलंबियों ने ढ़ोल नगाड़ों के साथ जयकारे एवं सत्य अहिंसा के नारे लगाते हुए भव्य आगुवानी की एवं पाद पृच्छालन किया। प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र. अभिषेक भैया पवई, बा.ब्र. पारस भैया प्रशम एवं बा.ब्र. प्रिंस जैन टीकमगढ़ के निर्देशन में मंगल घटयात्रा के साथ सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारम्भ किया जिसमें मांगलाष्टक, देव आज्ञा, गुरु आज्ञा, आचार्य निमंत्रण, जाप्यानुष्ठान, इंद्र प्रतिष्ठा, सकलीकारण, ध्वजारोहण, दीप प्रज्ज्वलन की क्रियाएँ विधि विधान से संपन्न की गयी। दूसरे दिन शनिवार को त्रिकाल चौबीसी के मूलनायक भगवान मुनिसुव्रत नाथ स्वामी का मस्तिकाभिषेक किया गया। मंजीत एन्ड पार्टी भोपाल के मधुर संगीत में भक्ति भाव के साथ सिद्धों की आराधना कर द्विगुण-द्विगुण विधान में 48 अर्घ समर्पित किये। इस मौक़े पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता ने धर्म का मर्म समझाते हुए विशुद्धि पूर्वक सिद्धों की आराधना करने का आह्वान किया। रात्रि में मंगल आरती एवं शास्त्र प्रवचन का आयोजन किया गया। मंदिर समिति के उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा ने बताया की सिद्ध क्षेत्र पावागिरि में 8 से 15 नवंबर तक होने वाले सिद्ध चक्र महामंडल विधान के तीसरे दिन रविवार को 7:30 बजे अतिशय युक्त चमत्कारी बाबा मूलनायक पारसनाथ स्वामी का नित्यमय अभिषेक शांतिधारा एवं चौंसठ रिद्धि विधान का आयोजन किया जायेगा। कार्यक्रम में क्षेत्र प्रबंध कार्यकारिणी समिति एवं सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन क्षेत्र अध्यक्ष ज्ञानचंद्र जैन पुरा एवं आभार व्यक्त अभिषेक जैन विरधा ने किया।

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